MP में शिवराज चौहान की तारीफ डैमेज कंट्रोल है या बीजेपी की मजबूरी? इन 5 बातों से समझिए

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में वोटिंग के दिन अब गिनती के रह गए हैं. चुनाव प्रचार के निर्णायक दौर में पीएम नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश की एक सभा में जिस तरह शिवराज सरकार के एक स्कीम की तारीफ की है उससे लगता है कि मुख्यमंत्री बनाने को लेकर भाजपा के पास शिवराज के अलावा कोई विकल्प नहीं है. तो क्या शिवराज का नाम लेकर पार्टी अब डैमेज कंट्रोल कर रही है?

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मध्य प्रदेश के मुख्मंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के मुख्मंत्री शिवराज सिंह चौहान

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 06 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:59 PM IST

चुनाव के अंतिम चरण में पहुंचते-पहुंचते मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और प्रदेश की जनता के बीच मामा के नाम से लोकप्रिय शिवराज चौहान का अपनी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के बीच फिर से सिक्का जमता नजर आ रहा है. बीजेपी ने चुनाव से पहले ही यह साफ कर दिया था कि चुनावी कैंपेन में पार्टी की ओर से सीएम शिवराज सिंह चौहान अगले मुख्यमंत्री के लिए चेहरा नहीं होंगे. इस बात की आशंका ओर प्रबल तब हो गई थी जब पार्टी ने तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत आठ चेहरों को मैदान में उतार दिया.  साथ ही चुनावी मंच पर कोई भी बड़ा नेता सीएम शिवराज सिंह चौहान का नाम लेने से बचने लगा था.   
 पर रतलाम रैली में जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के काम की तारीफ की है उससे तो यही संकेत मिलता है कि पार्टी के लिए शिवराज सिंह चौहान अब मजबूरी बन गए हैं. सीएम शिवराज के पक्ष में माहौल बनने के पीछे इन पांच कारणों का बड़ा योगदान देखा जा सकता है.

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1-सर्वे में बीजेपी पिछड़ी पर शिवराज सीएम के रूप में पहली पसंद बने रहे

पिछले महीने तक हुए कई सर्वे में मध्यप्रदेश में बीजेपी कांग्रेस के मुकाबले पिछड़ती नजर आ रही थी. सभी सर्वे यह दिखा रहे थे कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन रही है. पर जब सर्वे में स्पेसिफिकली सीएम की बात की जाती तो सीएम शिवराज सिंह चौहान का नाम कांग्रेस के चीफ मिनिस्टरियल कैंडिडेट कमलनाथ से ऊपर नजर आता रहा. चुनाव प्रचार की शुरूआत में हुए सीवोटर सर्वे में 37 फीसदी लोगों ने सीएम पद के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपनी पसंद बताया था. 36 फीसदी लोगों ने इस पद के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपनी पसंद बताया था.

आईएएनएस-पोल स्ट्रैट में भी सीएम शिवराज सिंह चौहान सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में बाजी मार ली थी. सर्वे में जहां शिवराज सिंह को 40 फीसदी वोट मिला पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को 35 फीसदी लोगों का ही समर्थन मिल सका. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को लगता था कि प्रदेश में एंटी इनकंबेंसी के चलते मुख्यमंत्री शिवराज का नाम आगे रखना ठीक नहीं होगा. पर हुआ इसके उल्टा लोग बीजेपी को नापसंद कर रहे थे पर सीएम शिवराज को उनकी पहली पसंद थे. 

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2-कांग्रेस के 3 ओबीसी मुख्यमंत्री, बीजेपी के इकलौते शिवराज

वर्तमान में कांग्रेस अपनी हर सभा में यह बताना नहीं भूलती कि कांग्रेस के 3 सीएम ओबीसी समुदाय से आते हैं. छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैयापिछड़े समुदाय से आते हैं . इसके उलट बीजेपी में केवल मध्यप्रदेश के सीएम ही ओबीसी समुदाय के हैं. बीजेपी जानती है कि प्रदेश में करीब 50 प्रतिशत आबादी ओबीसी समुदाय की है. और जाति सर्वे के नाम पर कांग्रेस ओबीसी राजनीति को लेकर आक्रामक तरीके से खेल रही है. यही कारण है कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व शिवराज को किनारे लगाने से बाज आ गया है.

हालांकि पार्टी ने एक और ओबीसी नेता प्रहलाद सिंह पटेल पर भी दांव खेल रही है. पर  शिवराज सिंह चौहान ने अपने 4 बार के मुख्यमंत्रित्व काल में अपने कद को इतना बड़ा कर लिया है कि प्रदेश का कोई भी नेता उनके सामने बौना ही नजर आता है. बीजेपी शिवराज को अवॉयड करके प्रदेश में अपना भद नहीं पिटवाएगी.

3- महिलाओं में लोकप्रिय लाडली बहना जैसी योजना का चेहरा हैं शिवराज

एमपी में 4 बार मुख्यमंत्री बन चुके शिवराज सिंह चौहान की उपलब्धियों को बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व अपनी सभाओं में बताने से बच रहा था. पहली बार रतलाम में पीएम नरेंद्र मोदी ने लाड़ली बहना योजना का जिक्र किया. यह शिवराज सरकार की फ्लैगशिप योजना रही है. अब पार्टी को लगता है कि इसी के जरिए एमपी में वापसी की जा सकती है.अब चूंकि प्रधानमंत्री ने इस योजना का जिक्र किया तो ऐसा लग रहा है कि शिवराज सिंह चौहान को लेकर पार्टी की सोच बदली है.हालांकि पीएम ने शिवराज सिंह चौहान का नाम नहीं लिया. शिवराज चौहान ने लाड़ली बहना योजना और लाड़ली लक्ष्मी योजना की शुरुआत कर महिलाओं के बीच बहुत लोकप्रियता हासिल की है.इस योजना के तहत प्रति माह एक हजार रुपये राशि की दो किस्तें महिलाओं के खातों में भेजकर यह विश्वास भी जगा दिया है कि यदि फिर शिवराज मुख्यमंत्री बनते हैं तो यह राशि तीन हजार रुपये हो जाएगी. यही कारण है कि कांग्रेस की डेढ़ हजार रुपये देने की घोषणा अब बेमानी हो गई है.

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4-हिमाचल और कर्नाटक की हार से सबक

बीजेपी हिमाचल और कर्नाटक चुनावों से मिले सबक के चलते भी शिवराज को परिदृश्य से हटाने में घबरा रही है.हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को हटाने की अफवाहों के बावजूद पद वो पर बने रहे और पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा. कर्नाटक में भी इसी तरह बसवराज बोम्मई के भविष्य पर सस्पेंस बरकरार रहा . कर्नाटक  और हिमाचल में पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लडा जा रहा था. मतदाताओं में मन में डिलेमा की स्थिति थी कि पार्टी सत्ता में आती है तो क्या बसवराज या जयराम ठाकुर सीएम बनेंगे? मप्र में भी इस तरह का भ्रम न पैदा हो जाए इसलिए पार्टी अंतिम चरण के चुनावों में चाहती है कि यह संदेश चला जाए कि अगर बीजेपी की सरकार बनती है तो शिवराज चौहान ही सीएम होंगे.

5-कमलनाथ चीफ मिनिस्टिरियल कैंडिडेट के चलते ले रहे थे माइलेज

शिवराज की तारीफ करने का एक और कारण यह भी है कि कांग्रेस ने कमलनाथ का नाम आगे बढाकर बीजेपी से माइलेज ले लिया था. प्रदेश की जनता के सामने कमलनाथ के रूप में एक मुख्यमंत्री चेहरा मौजूद है. दूसरी ओर जनता को यह लग रहा है कि बीजेपी अगर सरकार बनाती है पता नहीं कौन मुख्यमंत्री बनेगा. जनता जानती है कि नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने के लिए तो कुछ महीने बाद वोट देना ही है. इस भ्रम की स्थिति में कमलनाथ बाजी मार न ले जाएं पार्टी ने शिवराज की तारीफ कर जनता के बीच यह संदेश दे दिया है कि अगर बीजेपी सरकार बनती है तो शिवराज ही सरकार बनाएंगे. 

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