सिस्टम की अनदेखी से 95 साल के बुटिया को देना पड़ रहा अपने जिंदा होने का प्रमाण, 'मृत' बताकर ढाई एकड़ जमीन कर दी दूसरे के नाम

MP News: मध्य प्रदेश के खरगोन में 'सिस्टम' की अनदेखी के कारण 95 वर्ष के बुजुर्ग को अपने जिंदा होने का प्रमाण देना पड़ रहा है. बुजुर्ग को मृत बताकर ढाई एकड़ जमीन दूसरे के नाम कर दी गई. मजबूर वृद्ध अपनी ढाई एकड़ जमीन वापस लेने के लिए पिछले एक साल से तहसीलदार से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगा रहा है.

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अपने खेत पर 95 वर्षीय बुजुर्ग. अपने खेत पर 95 वर्षीय बुजुर्ग.

उमेश रेवलिया

  • खरगोन ,
  • 26 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:08 PM IST

तीन साल पहले आई बालीवुड फिल्म डायरेक्टर सतीश कौशिक की फिल्म 'Kaagaz' सिस्टम से परेशान एक ऐसे जिंदा आदमी की कहानी है, जिसे सरकारी कागजों में मृत बता दिया गया. हंसी-ठहाके से भरी इस फिल्म में एक नया मोड़ तब आता है, जब मृत बताए गए किसान की पत्नी मांग में सिंदूर भरकर सरकारी दफ्तर में पेंशन मांगने पहुंच जाती है. किसान को इस फ़िल्म में अपने को जिंदा साबित करने में 18 साल लग जाते हैं. फिल्म की तर्ज पर खरगोन जिले का किसान भी खुद को कागजों में जिंदा साबित करने की कोशिश में जुटा है.

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जिला मुख्यालय से महज 40 किमी दूर कसरावद तहसील के छोटे से गांव डोलानी में किसान बुटिया पिता फाटला (95 साल) भी सिस्टम में परीक्षा दे रहा है. गांव में बुधा पिता फाटला की मौत हुई है लेकिन बुटिया फाटला को मृत मानकर उसकी अलग-अलग टूकड़ों में ढाई एकड़ जमीन को राजस्व विभाग ने दूसरे लोगों के नाम पर कर दी है.

बुटिया एक साल से तहसील से लेकर सीएम तक जीवित होने की गुहार लगा रहा हैं लेकिन उसे कोई जीवित नहीं मान रहा है. राजस्व विभाग के सिस्टम ने उसे मृत मान लिया और ढाई एकड़ जमीन दूसरे के नाम पर कर दी है. 

अपने परिवार के साथ 95 वर्षीय बुजुर्ग

बुजुर्ग बुटिया कहते हैं कि खुद को जीवित साबित करना पड़ रहा है लेकिन कोई अधिकारी मानने को तैयार नहीं हैं. बुटिया ने बताया कि खसरा नंबर 17/6, 21/2, 56/3 बुटिया पुत्र फाटला जाति भिलाला निवासी डोलानी के नाम से पावती बनी हुई होकर कई वर्षों से खेती करते आ रहे हैं. उनके नाम से दर्ज जमीनों को बुटिया को मृतक बताकर दूसरों के नाम पावती पर चढ़ा दिया गया. 

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बुटिया ने जमीन के लिए ग्राम पंचायत से लेकर तहसीलदार कार्यालय, कलेक्टर कार्यालय से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक गुहार लगाई है, लेकिन खुद को जीवित साबित करने में सफल नहीं हो पा रहे. बुटिया फटाला अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गुहार लगा रहे हैं, ''मैं जिन्दा हूं, मेरी जमीन मुझे दिलाई जाए.''

बुटिया के मामले में राजस्व विभाग की सिस्टम कितना सुस्त है कि मामले की जांच तक नहीं करा रहे हैं. चार साल पहले बुधा फाटला की मौत हुई है और बुटिया फाटला को मृत बता दिया है. इसकी ढाई एकड़ की जमीन को दूसरे के नाम पर करने वाले पटवारी, तहसीलदार पर भी कार्रवाई होना चाहिए. 

वहीं, इस मामले मे एसडीएम ने फोन पर चर्चा में बताया तहसीलदार से जानकारी जुटाएंगे. एक साल में उसके नाम की जमीन कब दूसरे किसान के नाम पर हुई है. इसकी जानकारी लेंगे किसान को बुलाएंगे.

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