सागर के लाखा बंजारा झील के किनारे स्थित ऐतिहासिक गणेश मंदिर में एक बार फिर चमत्कार देखा जा रहा है. लगभग 400 साल पुराना यह मंदिर अष्टकोणीय सिद्धिविनायक मंदिर के नाम से जाना जाता है. देश में इस तरह का यह दूसरा मंदिर है.
माना जाता है कि 400 साल पहले तालाब की खुदाई के दौरान भगवान गणेश की स्वयंभू प्रतिमा मिली थी. इसके बाद मंदिर का निर्माण हुआ और प्रतिमा को विराजमान किया गया. आश्चर्य की बात यह रही कि यह प्रतिमा अपने आप बढ़ने लगी. तब शंकराचार्य ने विशेष पूजा के बाद भगवान गणेश के सिर पर कील ठोक दी. इसके बाद प्रतिमा की वृद्धि रुक गई थी.
400 साल पहले तालाब की खुदाई के दौरान मिली थी प्रतिमा
अब चार शताब्दियों बाद प्रतिमा फिर से बढ़ने लगी है. हालांकि इस बार यह सीधी ऊपर की ओर नहीं बढ़ रही है, बल्कि भगवान गणेश के माथे पर नया हिस्सा उभर आया है. यह उभरा हिस्सा करीब चार इंच तक दिखाई देने लगा है. मंदिर की सेवा पिछले छह पीढ़ियों से आठले परिवार कर रहा है. वर्तमान में 81 वर्षीय गोविंद राव आठले मंदिर के सेवादार हैं. वे रोजाना पूजा-अर्चना कर रहे हैं.
चार शताब्दियों बाद फिर से बढ़ी गणेश जी की प्रतिमा
माना जाता है कि भगवान गणेश यहां रिद्धि और सिद्धि के साथ विराजमान हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. भक्त अपनी इच्छा पूरी करने के लिए पीले कपड़े में नारियल, सुपारी, जनेऊ और सिक्का बांधकर अर्पित करते हैं.
हिमांशु पुरोहित