वही नैन-नक्श, वही बोलने का अंदाज... जया किशोरी को टक्कर दे रहीं पलक किशोरी

17 साल की कथावाचक पलक किशोरी इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रही हैं. कारण है जया किशोरी से मिलता जुलता उनका अंदाज और लुक्स. दरअसल, पलक के नैन नक्श और बोलने का अंदाज बिल्कुल कथावाचक जया किशोरी से मेल खाता है. लोग उनका कंपेयर जया से करने लगे हैं.

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पलक किशोरी और जया किशोरी (फाइल फोटो) पलक किशोरी और जया किशोरी (फाइल फोटो)

योगितारा दूसरे

  • सतना,
  • 17 जून 2023,
  • अपडेटेड 3:44 PM IST

अब तक आपने कथावाचक और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी के बारे में पढ़ा, सुना और जाना होगा. मगर हम एक ऐसी ही 'किशोरी' से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं जिनके न केवल नैन नक्श जया किशोरी से मिलते जुलते हैं, बल्कि उनके बोलने का अंदाज भी बिल्कुल जया किशोरी से मेल खाता है.

नाम है पलक किशोरी. पलक महज 17 वर्ष की हैं लेकिन कथा सुनाने का हुनर और अंदाज किसी प्रोफेशनल कथावाचक से कम नहीं है. पलक यूं तो मध्य प्रदेश के रीवा से ताल्लुक रखती हैं मगर सतना से भी उनका गहरा नाता है. पलक सतना नगर निगम में पदस्थ अतिक्रमण दस्ता अधिकारी रमाकांत शुक्ला की नातिन हैं.

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घर में मिला धार्मिक माहौल
कहते हैं पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं. पलक के साथ भी यही हुआ. 24 दिसंबर 2005 को रीवा के अधिवक्ता सतीश मिश्रा के घर पर शाम्भवी मिश्रा (घर का नाम पलक) का जन्म हुआ. दो बड़ी बहनें अपराजिता मिश्रा, अदिति मिश्रा और भाई मानस के साथ पलक को बचपन से ही घर का धार्मिक माहौल मिला.

बड़े पिता मनीष मिश्रा के धार्मिक प्रवत्ति के होने की वजह से घर में आए दिन धार्मिक अनुष्ठान होते रहते थे. 3 भाई बहनों में सिर्फ पलक के दिलों दिमाग पर इसका गहरा असर हुआ और उनका रुझान पूजा पाठ और धार्मिक किताबों की ओर होने लगा. बड़े पिताजी से पलक जो भी कथा सुनती बाद में वही कथा अपनी दादी, मम्मी, बड़ी मम्मी को सुनाने की कोशिश करती. धीरे-धीरे पलक इसमें पारंगत होती गई.

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हिंदी-इंग्लिश में बराबर कमांड
12वीं कक्षा में पढ़ने वाली पलक किशोरी का हिंदी और अंग्रेजी भाषा में बराबर की पकड़ है. पलक जब व्यास गद्दी से श्रीमद भागवत कथा और कृष्ण कथा का वाचन करती हैं या फिर उसके बीच मोटिवेशनल स्पीच देती हैं तो इसकी झलक आसानी से मिलती है.

किसी प्रोफेशनल कथावाचक से कम नहीं
घर पर परिवार वालों को रोजाना कथा सुनाने का नतीजा ये निकला कि पलक किसी प्रोफेशनल कथावाचक की तरह ही कथा सुनाने लगीं. वर्ष 2021 में पलक ने रीवा के बांकेबिहारी मंदिर में एक मंझे हुए कथा वाचक की तरह श्रोताओं को भगवदगीता सुनाई थी. इसके बाद पलक रीवा संभाग में छा गईं. अब तक पलक के कई कार्यक्रम हो चुके हैं.

 

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