बीएनएस कानून से पुलिसकर्मियों की बढ़ी मुश्किलें... खुद के रुपयों से खरीदनी पड़ रही पेनड्राइव

भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस के तहत दर्ज मामलों में सबूतों की रिकवरी या बयानों को डिजिटल फॉर्म में सुरक्षित रखना अनिवार्य कर दिया गया है और यही सुधार अब कुछ मामलों में पुलिसकर्मियों पर ही भारी पड़ रहा है. 

Advertisement
हर केस के लिए खरीदनी पड़ रही पेन ड्राइव. हर केस के लिए खरीदनी पड़ रही पेन ड्राइव.

रवीश पाल सिंह

  • भोपाल ,
  • 14 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 9:52 AM IST

केंद्र सरकार ने कुछ महीने पहले ही भारतीय न्याय संहिता लागू कर कानूनी न्याय व्यवस्था में बेहतरी के लिए बड़ा कदम उठाया. लेकिन इसकी वजह से अब पुलिसकर्मियों की जेब पर बोझ बढ़ गया है. दरअसल, बीएनएस के तहत दर्ज मामलों में सबूतों की रिकवरी या बयानों को डिजिटल फॉर्म में सुरक्षित रखना अनिवार्य कर दिया गया है और यही सुधार अब कुछ मामलों में पुलिसकर्मियों पर ही भारी पड़ रहा है. 

Advertisement

aajtak ने राजधानी भोपाल में इसकी पड़ताल की तो पाया कि कई पुलिसकर्मी खुद के खर्चे से पेन ड्राइव और सीडी खरीद रहे हैं. नाम न छापने की शर्त पर नए शहर में स्थित पुलिस थाने के एक कांस्टेबल ने बताया कि कुछ रोज पहले दर्ज एक मामले में सबूत की रिकवरी का वीडियो बनाया था और जांच अधिकारी ने उन्हें यह रिकॉर्डिंग एक नई पेन ड्राइव में सेव करने के लिए कहा. लेकिन जब वो थाने पहुंचे तो वहां पेन ड्राइव उपलब्ध नहीं थी, ऐसे में थाने के नज़दीक स्टेशनरी पर जाकर एचपी की 8 जीबी वाली पेनड्राइव लेनी पड़ी जो करीब 295 रुपए यानी तकरीबन 300 रुपए में पड़ी. 

यही नहीं, जिला अदालत में एक मामले की सुनवाई के लिए आरोपियों को लेकर पहुंचे एक सब-इंस्पेक्टर को 3 पेन ड्राइव करीब हज़ार रुपए में पड़ीं, क्योंकि उन्हें कोर्ट में पेशी से पहले सभी सबूतों की वीडियो रिकॉर्डिंग डिजिटल साक्ष्य के रूप में सुरक्षित करनी थी. तीन पेन ड्राइव में से एक थाने के रिकॉर्ड के लिए, एक पेन ड्राइव कोर्ट के लिए और एक पेन ड्राइव आरोपी के वकील को देनी पड़ी. हालांकि, उनका कहना है कि आरोपी के वकील ने पेनड्राइव का रुपया उन्हें दिलवा दिया है. 

Advertisement

टीटी नगर थाने के एक सब-इंस्पेक्टर भी एक मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी को गिरफ्तार करने जा रहे थे. थाने में उस समय पेन ड्राइव उपलब्ध न होने के चलते वो दुकान से खुद एक पेन ड्राइव और एक सीडी खरीद कर लाए थे. पूछने पर उन्होंने बताया कि कुछ समय से पेन ड्राइव नहीं है. लिहाज़ा वो खुद के ही रुपयों से पेन ड्राइव खरीद कर डिजिटल साक्ष्य के रूप में जमा कर रहे हैं.

यह कहानी सिर्फ इन तीन पुलिसकर्मियों की नहीं बल्कि सूबे के कई पुलिसकर्मियों की है जिनके ऊपर न्यूनतम 300 रुपए से लेकर 1000 रुपए तक का आर्थिक बोझ प्रति केस पड़ रहा है. सबसे पहले आपक बताते हैं कि अब पुलिसकर्मियों के लिए पेन ड्राइव इतनी महत्वपूर्ण क्यों है? 

दरअसल, बीएनएस कानून के तहत अब पुलिस को केस से जुड़े सबूतों, बयानों, क्राइम सीन और केस से जुड़े तथ्यों को पेन ड्राइव में सेव करना है. इसके लिए केस की जांच करने वाले इन्वेस्टिगेटिव ऑफिसर को हर केस के लिए कम से कम तीन पेन ड्राइव की ज़रूरत पड़ती है. एक पेन ड्राइव थाने के रिकॉर्ड में रहती है, दूसरी पेन ड्राइव अदालत में जमा करानी होती है और तीसरी पेन ड्राइव आरोपी के वकील को देनी होती है. 

Advertisement

रिकवरी बड़ी होने या एक से अधिक आरोपी होने पर पेन ड्राइव की संख्या भी बढ़ जाती है. लेकिन राजधानी के कई थानों में पेन ड्राइव उपलब्ध न होने से जांच कर रहे पुलिसकर्मी को अपने खर्चे से पेन ड्राइव लेनी पड़ रही है. 

नाम न छापने की शर्त पर पुलिसकर्मियों ने बताया कि बीएनएस लागू जब हुआ था तब 50 पेन ड्राइव हर थाने को उपलब्ध कराई गयी थीं, लेकिन वो नाकाफी रहीं. इसके बाद समय-समय पर पेन ड्राइव आ जाती हैं, लेकिन कुछ समय से पेन ड्राइव थाना स्तर पर उपलब्ध नहीं हो रहीं, इसलिए खुद खरीद कर काम चलाना पड़ रहा है. 

टीटी नगर थाना प्रभारी सुधीर अरजरिया ने 'आजतक' से बात करते हुए बताया कि थाना स्तर पर हेडक्वार्टर्स से पेन ड्राइव और सीडी उपलब्ध कराई गई हैं. डिजिटल साक्ष्य के लिए पेन ड्राइव उपलब्ध रहती हैं, लेकिन कई बार जब मौके पर पेन ड्राइव नहीं रहती है तो जांच अधिकारी अपने खर्चे से पेन ड्राइव ले लेते हैं, लेकिन बाद में उसकी राशि रीइम्बर्स करवा ली जाती है. लेकिन पेन ड्राइव उपलब्ध न होने की स्थिति में हम केस की जांच में कोई असर नहीं पड़ने देते हैं. 

बता दें कि पेन ड्राइव की वजह से पुलिस के खजाने पर एक नया बोझ बढ़ गया है, क्योंकि 8 जीबी की एक पेन ड्राइव करीब 300 रुपये तक आती है और ऐसे में हर पुलिस थाने में यदि 100 पेन ड्राइव महीने में इस्तेमाल होती है तो पुलिस थाने पर 30 हज़ार रुपये प्रतिमाह का खर्च बढ़ जाएगा. यह राशि सिर्फ 8 जीबी की पेन ड्राइव के लिए है, जबकि कई मामलों में ज्यादा जीबी वाली पेन ड्राइव की ज़रूरत भी पड़ती है ऐसे में यह राशि कई गुना बढ़ जाएगी. बात जब पूरे प्रदेश की होगी तो यह राशि लाखों में पहुंच जाएगी.

Advertisement

फीडबैक में परेशानी का ज़िक्र किया भी गया 
ऐसा नहीं है कि मैदानी अमले को आ रही इस परेशानी की आला अधिकारीयों को जानकारी नहीं है. कुछ समय पहले भोपाल के सभी पुलिस थानों से नए बीएनएस कानून के तहत की जा रही कार्रवाईयों का फीडबैक मांगा गया था तब उन्हें बताया गया था कि कई बार पेन ड्राइव की कमी सामने आ रही है, इसलिए हर केस में या कम सज़ा वाले केस में वीडियोग्राफी यदि संभव हो तो न कराई जाए. गंभीर प्रवृत्ति के अपराध में ही जब्ती की वीडियो रिकॉर्डिंग कराई जाए जिससे गुणवत्तापूर्ण रिकॉर्डिंग हो और उसे अच्छे से सुरक्षित रखा जाए. यही नहीं, अधिकारीयों को फीडबैक के तहत यह भी बताया गया है कि पेन ड्राइव और वीडियोग्राफी की वजह से यह केस की जांच प्रक्रिया काफी खर्चीली हो गई है, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ेगा.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement