व्यापमं जैसे घोटाले की कालिख से मध्य प्रदेश अभी उबरा भी नहीं था कि अब नया भर्ती घोटाला सामने आया है. STF की जांच में पता चला कि 25 अधिकारियों और कर्मचारियों ने अनुसूचित जाति-जनजाति के फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी पदों पर नियुक्ति ली.
ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल के तीन डॉक्टर डॉ. दिनेश मांझी (एनाटॉमी विभाग), डॉ. सुमन मांझी (वायरोलॉजी विभाग) और डॉ. विनोद मांझी (पैथोलॉजी विभाग) समेत PWD के कार्यपालन यंत्री रजनीश कुमार भी शामिल हैं.
डॉ. दिनेश मांझी ने aajtak से कहा कि उन्होंने जाली सर्टिफिकेट नहीं बनवाया. उन्होंने आरोप लगाया कि एक RTI कार्यकर्ता उन्हें ब्लैकमेल कर रहा है. डॉ. ने कहा, ''मैंने जिस जाति में पढ़ाई की, एडमिशन लिया, नौकरी पाई, उसी मांझी जाति से हूं, जो अनुसूचित जनजाति में आती है. अगर सर्टिफिकेट बनाने वाले के पास रिकॉर्ड नहीं है, तो मैं क्या करूं? मामला कोर्ट में है, स्टे है, फिर भी STF ने FIR दर्ज की. यह गलत है. मैं आखिरी दम तक लड़ूंगा. शिकायतकर्ता की संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए.''
यह कार्रवाई ग्वालियर के गौरीशंकर राजपूत की शिकायत पर शुरू हुई. STF ने शिकायत और सबूतों के आधार पर 25 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया.
STF के जांच अधिकारी भूपेंद्र गुर्जर ने बताया कि गोपनीय सूचना के आधार पर तस्दीक में पाया गया कि सक्षम कार्यालय से ये प्रमाण पत्र जारी नहीं हुए थे. स्वास्थ्य, शिक्षा, पुलिस सहित विभिन्न विभागों के लोग शामिल हैं. प्रकरण जांच में है.
जांच में खुलासा हुआ कि ज्यादातर फर्जी प्रमाण पत्र ग्वालियर, भिंड और मुरैना से जारी हुए. आरोपी इंदौर, बैतूल, नर्मदापुरम, शाजापुर, विदिशा और ग्वालियर-चंबल अंचल में कार्यरत हैं.
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी मुकेश नायक ने कहा कि व्यापमं घोटाले के बाद अब फर्जी प्रमाण पत्रों से नौकरी का मामला सामने आया है, जिससे मध्य प्रदेश घोटालों का केंद्र बन गया है.
STF ने राजस्व, पुलिस, मेडिकल और PWD विभाग के अन्य कर्मचारियों को भी रडार पर लिया है. अधिकारियों को शक है कि यह संख्या 50 से अधिक हो सकती है.
सरकार ने निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई का भरोसा दिया. मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि STF की जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.
बता दें कि हाल ही में पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में सॉल्वर गैंग और आधार कार्ड के बायोमेट्रिक में बदलाव का मामला सामने आया था. यह नया घोटाला कई सवाल खड़े कर रहा है.
रवीश पाल सिंह / सर्वेश पुरोहित