Indore: 6 साल में 102 मरीजों का हुआ बोन मैरो ट्रांसप्लांट, कैलाश विजयवर्गीय बोले- BMT की 'राष्ट्रीय राजधानी' बने सिटी

मध्य प्रदेश के शहरी विकास और आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, डॉक्टरों को इंदौर को बोन मैरो ट्रांसप्लांट की 'राष्ट्रीय राजधानी'  के लिए एक योजना बनानी चाहिए. राज्य सरकार हरसंभव मदद करेगी. 

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(प्रतीकात्मक तस्वीर) (प्रतीकात्मक तस्वीर)

aajtak.in

  • इंदौर ,
  • 25 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 6:16 PM IST

मध्य प्रदेश के शहरी विकास और आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि इंदौर को बोन मैरो ट्रांसप्लांट की 'राष्ट्रीय राजधानी' बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए. इसकी वजह यह है कि पिछले 6 साल के भीतर इंदौर में सरकारी महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (MGMMC) से जुड़े दो अस्पतालों में 85 बच्चों सहित कुल 102 लोगों ने सफलतापूर्वक बोन मैरो ट्रांसप्लांट (BMT) करवाया है. 

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एक अधिकारी ने बताया,  पिछले 6 साल में सरकारी महाराजा यशवंतराव अस्पताल और सरकारी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया और ब्लड कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित कुल 85 बच्चों और 17 वयस्कों ने बीएमटी करवाया है. प्राइवेट अस्पतालों में ये प्रक्रियाएं बहुत महंगी हैं, जिनकी कीमत लाखों रुपये में है. 

इस उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए आयोजित एक समारोह में पहुंचे एमपी के शहरी विकास और आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, डॉक्टरों को इंदौर को बोन मैरो ट्रांसप्लांट की 'राष्ट्रीय राजधानी'  के लिए एक योजना बनानी चाहिए. राज्य सरकार हरसंभव मदद करेगी. 

इस अवसर पर बोलते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने यह भी कहा कि अधिकारी इस बात की जांच करेंगे कि शहर में बच्चों को परोसे जाने वाले पिज्जा, मोमोज और नूडल्स में मसाले के तौर पर हानिकारक सिरप तो नहीं मिलाए जा रहे हैं. 

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बोन मैरो ट्रांसप्लांट (BMT) को स्टेम सेल ट्रांसप्लांट भी कहा जाता है. इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करके स्वस्थ रक्त बनाने वाली स्टेम कोशिकाओं को शरीर में डाला जाता है. यह ट्रांसप्लांट उन स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है, जिनमें बोन मैरो क्षतिग्रस्त हो जाती है और हेल्दी ब्लड सेल्स का उत्पादन करने में सक्षम नहीं होती. 

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