दुनिया में मशहूर महान उपन्यासकार भगवतीचरण वर्मा की आज पुण्यतिथि है. उनका निधन आज ही के रोज 5 अक्टूबर 1981 में हुआ था. उन्होंने लेखन तथा पत्रकारिता के क्षेत्र में ही प्रमुख रूप से कार्य किया. मानवीय संबंधों पर उनकी गज़ब की पकड़ थी. आइए जानते हैं उनके बारे में
हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार भगवतीचरण वर्मा का जन्म 30 अगस्त, 1903 में उन्नाव ज़िले, उत्तर प्रदेश के शफीपुर गांव में हुआ था. उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए., एल.एल.बी. की डिग्री ली. उन्होंने लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र में ही प्रमुख रूप से कार्य किया. वहीं वह साथ- साथ में आकाशवाणी में भी कार्य करते रहे. इसके बाद वह स्वतंत्र लेखन की वृत्ति अपनाकर लखनऊ में बस गए. बता दें, उनके बेहद लोकप्रिय उपन्यास ‘चित्रलेखा’ पर दो बार फिल्में बनीं है. वहीं भगवतीचरण वर्मा को भूले बिसरे चित्र पर साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया है.
प्रमुख कृतियां
कवि के रूप में भगवतीचरण वर्मा के रेडियो रूपक 'महाकाल', 'कर्ण' और 'द्रोपदी'- जो 1956 ई. में 'त्रिपथगा' के नाम से एक संकलन के आकार में प्रकाशित हुए हैं, उनकी विशिष्ट कृतियां हैं. उनकी प्रसिद्ध कविता 'भैंसागाड़ी' का आधुनिक हिंदी कविता के इतिहास में अपना महत्व है.मानववादी दृष्टिकोण के तत्व, जिनके आधार पर प्रगतिवादी काव्यधारा जानी-पहचानी जाने लगी, 'भैंसागाड़ी' में भली-भाँति उभर कर सामने आये थे. उनका पहला कविता संग्रह 'मधुकण' के नाम से 1932 ई. में प्रकाशित हुआ.
उनके उपन्यास की सूची
पतन (1928),
चित्रलेखा (1934),
तीन वर्ष,
टेढे़-मेढे रास्ते (1946) - इसमें मार्क्सवाद की आलोचना की गई थी.
अपने खिलौने (1957)
भूले-बिसरे चित्र (1959)
वह फिर नहीं आई
सामर्थ्य और सीमा (1962),
थके पांव
रेखा
सीधी सच्ची बातें
युवराज चूण्डा
सबहिं नचावत राम गोसाईं, (1970)
प्रश्न और मरीचिका, (1973)
धुप्पल
चाणक्य
क्या निराश हुआ जाए
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