कलात्मकता वह दुनिया है, जहां रचनात्मकता अपने स्वतंत्र रूप से बहती है. ऐसी ही एक निश्चल अभिव्यक्ति नजर आती है शरण्या सिंह की चित्र पुस्तिका- 'अ पैलेट ऑफ इमोशंस' में. शरण्या ने बतौर एक कलाकार इस सफर की शुरुआत महज 8 साल की उम्र में की थी, जो कि जिंदगीभर के जुनून को रोशन करने जैसा था. यह चित्र पुस्तिका/पिक्टोरियल बुक, उस सफर की गवाही देते हुए उनकी कलात्मक अभिव्यक्ति की ताकत का एक जीता-जागता ब्यौरा पेश करती है.
एक तरफ जहां युवा होते बच्चों की स्केचबुक्स वक्त के साथ ढेर का हिस्सा बनती जाती हैं, वहीं, शरण्या की ये बुक दस्तावेज में बदल गई है. उन्होंने इस बात को पूरी तरह झुठला दिया कि उम्र के साथ जुनून खत्म हो जाता है और ध्यान भटकाने वाली चीजें उसकी जगह ले लेती हैं. यह कलाकार अपनी कलात्मक दृष्टि को उस मुकाम पर लेकर जाती है, जब तक वह एक किताब न बन जाए.
उनके क्रेयॉन्स के कागज पर हर स्पर्श और दिल-ओ-दिमाग में कौंधने वाले हर ख्याल के साथ अंतर्दृष्टि और गहरी होती चली गई. इस पिक्टोरियल बुक के हर पन्ने के अंदर एक एकांतप्रिय और शांत कलाकार का संयम महसूस किया जा सकता है. इन पन्नों के भीतर की सचित्र यात्रा सिर्फ एक व्यक्तिगत यात्रा नहीं है, बल्कि सभी के लिए अपने अंदर छुपी-दबी रचनात्मकता को खोज निकालने और उसे जगाने की प्रेरणा भी है. ये याद दिलाता है कि कला बाहरी दुनिया की शिकायतों, नसीहतों या उम्मीदों से बंधी नहीं है, बल्कि खुद को खोजने और शख्सियत को निखारने का एक कभी न खत्म होने वाला सफर है.
इस कलाकार के अपने शब्दों में, "इस पुस्तिका का मकसद न केवल मेरी इस कला यात्रा को फिर से शुरू करना था, बल्कि लोगों को यह बताना भी था कि चाहे आप कुछ भी बना रहे हों या कर रहे हों, इसे जारी रखें. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग क्या कर रहे हैं, जब तक आपको अपना काम पसंद है, तब तक उसके बारे में सोचिए. एक कलाकार के रूप में जो मुख्य रूप से यथार्थवाद पर ध्यान केंद्रित करता है, मुझे पता है कि जब लोग आपके काम को कमतर दिखाने की कोशिश करते हैं तो कैसा महसूस होता है. यह पुस्तिका केवल मेरी यात्रा का एक वसीयतनामा नहीं है, यह एक न्यौता भी है. मैं उम्मीद करती हूं कि यह आपको अपने जुनून को अपनाने, शक-सुबह-संदेह की भावनाओं को दूर करने और आपके पास मौजूद असीमित क्षमता को उजागर करने के लिए प्रेरित करेगा."
इस युवा प्रतिभा की यह खूबसूरत यात्रा वास्तव में प्रेरणादायक है. उम्मीद है कि यह आपको भी अपने जुनून के अहमियत और वक्त देने,और एक कलाकार के तौर पर अपनी कला के प्रति सम्मान विकसित करना सिखा जाएगा.
'अ पैलेट ऑफ इमोशंस' को प्रकाशित किया है The Write Order पब्लिशिंग हाउस ने. इस पिक्टोरियल बुक में कुल 17 पृष्ठ हैं और इसका मूल्य 499 रुपए है.
राहुल झारिया