रेड मीट सेहत के लिए हानिकारक या फायदेमंद? दूर कर लें अपना कन्फ्यूजन

एक रिसर्च टीम ने धूम्रपान, रेड मीट और सब्जियों से शरीर पर पड़ने वाले अलग-अलग प्रभावों पर जांच की और उनके नतीजों को एक से पांच की रेटिंग में बांटा. इस रिसर्च में अनप्रोसेस्ड रेड मीट से स्ट्रोक, दिल के रोग, कैंसर और कई प्रकार की बीमारियों का खतरा होने पर रिसर्च की गई.

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रेड मीट सेहत के लिए अच्छा है या नहीं, दूर करें अपना कनफ्यूजन रेड मीट सेहत के लिए अच्छा है या नहीं, दूर करें अपना कनफ्यूजन

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 11:04 AM IST

भारत में नॉन वेजिटेरियन लोगों के बीच रेड मीट बेहद लोकप्रिय है और ये ज्यादातर मांसाहारी लोगों की डेली डाइट का हिस्सा भी है. हालांकि कई लोग इसे स्वास्थ्य के लिए अच्छा तो कई लोग बुरा मानते हैं. यही वजह है कि रेड मीट के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर अक्सर रिसर्च होती रहती हैं. इस खबर में भी हम आपको इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर हुई एक नई रिसर्च की जानकारी देंगे जिसके बाद रेड मीट को लेकर आपकी काफी आशंकाएं दूर हो जाएंगी. 

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क्या होता है रेड मीट

रेड मीट स्तनधारी प्रजातियों के मांस को कहा जाता है जिसमें  बीफ, पोर्क, भेड़ आदि शामिल हैं. इसमें प्रोटीन, आयरन, जिंक, विटामिन डी और ओमेगा -3 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसमें भारी मात्रा में फैट और कोलेस्ट्रॉल भी पाया जाता है जो ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, मोटापा और कई प्रकार की बीमारियों को दावत देता है.

अमेरिका की एक रिसर्च टीम ने लाखों लोगों पर रिसर्ट करके रेड मीट को लेकर अलग-अलग आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की है.

रिसर्च में मिले ये नतीजे

अमेरिका स्थित इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) ने वहां के 180 इलाकों के लोगों पर हुई रिसर्च का विश्लेषण करने के बाद बताया कि अनप्रोसेस्ड रेड मीट के ज्यादा सेवन का स्ट्रोक के साथ कोई मजबूत संबंध नहीं पाया गया. इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति अनप्रोसेस्ड रेड मीट का रोज सेवन करता है तो इसका मतलब ये नहीं कि उसे स्ट्रोक का जोखिम होगा ही.

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इस रिसर्च टीम ने धूम्रपान, रेड मीट और सब्जियों से शरीर पर पड़ने वाले अलग-अलग प्रभावों पर जांच की और इस दौरान मिले नतीजों को एक से पांच की रेटिंग में बांट दिया. इस दौरान टीम ने काफी मात्रा में अनप्रोसेस्ड रेड मीट खाने से स्ट्रोक होने के खतरे को सिर्फ एक स्टार दिया गया जिसका मतलब है कि अनप्रोसेस्ड रेड मीट का स्ट्रोक से कोई संबंध नहीं पाया गया.


वहीं, रेड मीट खाने से पेट का कैंसर, स्तन कैंसर, हृदय रोग और डायबिटीज होने के जोखिम को दो स्टार की रेटिंग दी गई. 

रिसर्च ने किया साफ, धूम्रपान है सेहत का दुश्मन

धूम्रपान और फेफड़ों के कैंसर के बीच जोखिम को सबसे ज्यादा पांच स्टार रेटिंग दी गई. इस दौरान हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग के बीच भी यही संबंध पाया गया. रिसर्च टीम ने साफ किया कि ये निष्कर्ष काफी ठोस हैं और भविष्य में इनके बदलने की संभावना नहीं है.

हालांकि रिसर्च में रेड मीट जैसी कई खानपान की चीजों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को सिर्फ एक या दो स्टार रेटिंग ही मिली जिसका मतलब है कि इन चीजों से बीमारी बढ़ने के खतरे पर खास ठोस सबूत नहीं मिले हैं और ये लोगों की आम धारणाओं के विपरीत हैं.

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रिसर्च टीम के लिए भी हैरान करने वाले थे नतीजे

IHME के निदेशक और नेचर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित कई 'बर्डन ऑफ प्रूफ' अध्ययनों के वरिष्ठ लेखक क्रिस्टोफर मरे ने कहा, "हम ये देखकर बहुत हैरान हुए कि निष्कर्ष हमारी सोच से अलग थे. हर कोई नई-नई स्टडीज को सटीक मानकर उसे फॉलो करने लगता है, भले ही वो निष्कर्ष पूरी तरह से ठोस ना हो."

सब्जियों पर क्या निष्कर्ष मिले

इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने अधिक सब्जियां खाने से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर की जांच के लिए 34 देशों में 46 लाख लोगों पर 50 अध्ययन किए.

IHME में महामारी वैज्ञानिक और इस रिसर्च के सह लेखक जेफरी स्टैनवे ने कहा कि हमने रिसर्च में लोगों की डाइट में सब्जियों की मात्रा को शून्य से बढ़ाकर हफ्ते में चार दिन किया जिससे उनमें दिल के रोग के जोखिम में 23 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. इसे तीन स्टार की रेटिंग दी गई है. रिसर्च में ये भी पाया गया कि ज्यादा से ज्यादा सब्जियों का सेवन पुरानी बीमारियों को कम करने से जुड़ा है. हालांकि सब्जियों और टाइप 2 डायबिटीज के बीच के संबंध को इस रिसर्च में सिर्फ एक स्टार रेटिंग ही दी गई है.

जेफरी स्टैनवे ने कहा कि हालांकि इसमें कोई शक नहीं है कि सब्जियों का सेवन पुरानी बीमारी के जोखिम को कम करने से जुड़ा है.

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वहीं, इस रिसर्च पर ब्रिटेन की ऐस्टन यूनिवर्सिटी के डाइटीशियल डुएन मेलौर ने भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्ति की और कहा कि रेड मीट पर मिले नतीजे आश्चर्यजनक नहीं हैं क्योंकि ये अनप्रोसेस्ड मीट पर केंद्रित थे. वास्तव में प्रोसेस्ड कई बीमारियों से जुड़ा है जिसकी बात इस रिसर्च में नहीं की गई.

IHME ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि इस नई रिसर्च के नतीजे लोगों और नीति-निर्माताओं की आशंकाओं को दूर करने और उनका अपने खानपान के प्रति बेहतर तरीके से मार्गदर्शन करने का काम करेंगे. ये शोध टीम इसके अलावा भी खाद्य पदार्थों और बीमारियों के बीच संबंध को लेकर कई तरह की मेडिकल रिसर्च कर रही है.

 

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