इस ब्लड ग्रुप के लोगों को जल्दी घेरती हैं दिल की बीमारियां, ये है वजह

ए और बी की रक्त कोशिकाओं के सरफेस पर अलग-अलग तरह की एंटीबॉडीज होती हैं, जबकि एबी ब्लड ग्रुप में दोनों तरह की एंटीबॉडीज पाई जाती हैं. ओ ब्लड ग्रुप के सरफेस पर कोई एंटीबॉडी नहीं होती है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 4:02 PM IST
  • एबी ब्लड ग्रुप में दो तरह की एंटीबॉडीज पाई जाती हैं
  • ओ ब्लड ग्रुप के सरफेस पर कोई एंटीबॉडी नहीं

इंसान का खून उसके शरीर के बारे में बहुत सी चीजें बताता है. न्यूट्रिशनल साइकाइट्रिस्ट डॉ. शेल्डन जैबलो कहते हैं कि A, B, AB और 0 ब्लड ग्रुप की रक्त कोशिकाओं के सरफेस से कुछ खास एंटीबॉडीज जुड़ी होती हैं. A और B की रक्त कोशिकाओं के सरफेस पर अलग-अलग तरह की एंटीबॉडीज होती हैं, जबकि AB ब्लड ग्रुप में दोनों तरह की एंटीबॉडीज पाई जाती हैं. O ब्लड ग्रुप के सरफेस पर कोई एंटीबॉडी नहीं होती है.

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एक्सपर्ट के मुताबिक, एंटीबॉडी खून और कोशिकाओं की सतह पर एक ऐसा चिपचिपा पदार्थ होता है जो बाहर से आए वायरस, बैक्टीरिया और पैरासाइट्स से शरीर का बचाव करता है. जेनिटिसिस्ट एंड लीड प्रोडक्ट डेवलपमेंट साइंटिस्ट जैम लिम कहते हैं, 'नॉन O ब्लड ग्रुप यानी A, B और AB ब्लड ग्रुप में दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है. इसके पीछे का वास्तविक कारण पता नहीं है, लेकिन कुछ लोग ब्लड क्लॉटिंग या थ्रोम्बॉसिस को इसकी वजह मानते हैं.'

डॉ. जैबलो का कहना है कि  A, B या AB की लाल रक्त कोशिकाएं और जिन वाहिकाओं से ये बहती हैं, उनके चिपचिपी होने के कारण इनमें ब्लड फ्लो आसान नहीं हो पाता है. शोधकर्ता कहते हैं कि AB ब्लड ग्रुप वाले लोगों में कार्डियोवसक्यूलर डिसीज (हृदय संबंधी बीमारियां) का खतरा ज्यादा होता है. A और B ब्लड ग्रुप में इसके मुकाबले कम एंटीबॉडीज होती हैं.

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एक स्टडी बताती है कि A और B ब्लड ग्रुप वालों की नसों में ब्लड क्लॉट की संभावना 51 प्रतिशत होती है. जबकि उनके फेफड़ों में ब्लड क्लॉट की संभावना 47 प्रतिशत रहती है. मेमोरियल केयर में कार्डियोलॉजिस्ट होआंग पी गुयेन कहते हैं कि टाइप A ब्लड ग्रुप में हार्ट डिसीज का खतरा 6 प्रतिशत, टाइप B में 15 प्रतिशत और AB में सबसे ज्यादा 23 प्रतिशत होता है.

एक्सपर्ट कहते हैं कि नॉन टाइप O ब्लड ग्रुप और दिल की बीमारियों के ज्यादा जोखिम के बीच संबंध के कई साक्ष्य मौजूद हैं. खून में वॉन विलेब्रांड फैक्टर लेवल, कॉलेस्ट्रोल लेवल और ज्यादा ब्लड क्लॉट की संभावना इसे दर्शाती है. O ब्लड ग्रुप वाले लोगों में वॉन विलेब्रांड फैक्टर का स्तर थोड़ा कम होता है.

हालांकि डॉ. जैबलो ये भी कहते हैं कि खून को गाढ़ा करने वाले कोई भी कारण जैसे- डिहाइड्रेशन, दवाएं या ऑटो इम्यून इलनेस भी दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ा सकते हैं. इसलिए ब्लड टाइप केवल मोटापा, जेनेटिक्स, डाइट, विटामिन की कमी या एक्सरसाइज की तरह ही कार्डियोवस्क्यूलर डिसीज को बढ़ावा देने का एक कारक है.

 

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