Keto diet side effect: कीटो डाइट से बढ़ा हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा...इन लोगों के लिए जानलेवा!

Keto or low-carb, high-fat diets: कीटो डाइट को कीटोजेनिक डाइट भी कहा जाता है. इस डाइट में फैट की मात्रा अधिक ली जाती है जो लिवर में कीटोन्स बनाते हैं और फैट सेल्स को बर्न करते हैं. इससे तेजी से वजन कम होता है. लेकिन हाल ही में हुई स्टडी में दावा किया गया है कि कीटो डाइट करने से हार्ट संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

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सांकेतिक फोटो (Image credit: getty images) सांकेतिक फोटो (Image credit: getty images)

मृदुल राजपूत

  • नई दिल्ली,
  • 13 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 9:53 AM IST

Keto diet side effect: वजन कम करने के लिए लोग कई तरह की डाइट्स को फॉलो करते हैं. जिसमें पेलियो डाइट, लो-कार्ब डाइट, हाई प्रोटीन डाइट, इंटरमिटेंट फास्टिंग आदि शामिल होती हैं. ऐसी ही एक फेमस डाइट का नाम है कीटोजेनिक या कीटो डाइट (ketogenic or keto diet). यह वजन कम करने के लिए काफी प्रयोग में लाई जाती है और कई ऐसे बॉलीवुड सेलेब्स भी हैं जिन्होंने खुलासा किया कि वजन कम करने के लिए उन्होंने कीटो डाइट का सहारा लिया. 

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वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ कार्डियोलॉजी के साथ अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के एनुअल साइंटिफिक सेशन में एक स्टडी पेश की गई जिसमें पाया गया है कि कीटो डाइट फॉलो करने से खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा दोगुनी हो जाती है. इससे सीने में दर्द (एनजाइना) जैसी कार्डियोवैस्कुलर स्थितियां, धमनियों में रुकावट, दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का जोखिम भी बढ़ सकता है.

ह्रदय रोग का बढ़ सकता है खतरा

कनाडा में यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया सेंटर फॉर हार्ट लंग इनोवेशन और स्टडी के मेन राइटर यूलिया इटान (Iulia Iatan) ने कहा, "हमारी स्टडी में पाया गया कि लो-कार्बोहाइड्रेट और हाई फैट वाली डाइट का नियमित सेवन करने से एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है जो हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा देता है."

नई दिल्ली के फोर्टिस सीडीओसी अस्पताल फॉर डायबिटीज एंड एलाइड साइंसेज के प्रेसिडेंट डॉ. अनूप मिश्रा ने कहा, "यह स्टडी गेम चेंजर होने दा रही है क्योंकि यह डाइट पर होने वाला अब तक की सबसे बड़ी स्टडी है. स्टडी के रिजल्ट बताते हैं कि कीटो डाइट के नुकसान उससे होने वाले फायदों से अधिक हैं.' 

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क्या पाया गया स्टडी में

डॉ. इटान और उनकी टीम ने यूके बायोबैंक के डेटा का विश्लेषण किया जो यूके में रहने वाले 5 लाख से अधिक लोगों की हेल्थ जानकारी का डेटाबेस है जिस पर पिछले 10 सालों से नजर रखी जा रही है. स्टडी में यूनाइटेड किंगडम के 305 लोगों के स्वास्थ्य डेटा बेस का आंकलन किया गया. जिन लोगों ने पिछले 24 घंटे में कीटो डाइट ली थी उस ग्रुप की तुलना 1220 ऐसे लोगों से की जो उम्र में तो कीटो डाइट लेने वालों के बराबर ही थे लेकिन उन्होंने बैलेंस डाइट ली थी.

कीटो डाइट लेने वाले लोग दैनिक कैलोरी का 25 प्रतिशत कैलोरी कार्बोहाइड्रेट से और 45 प्रतिशत से अधिक कैलोरी फैट से ले रहे थे. इस स्टडी में 73 प्रतिशत महिलाएं थीं जिनका वजन अधिक था और उनकी औसत उम्र 54 साल थी. शोधकर्ताओं ने इसके लिए लगभग 12 साल तक लोगों के सेहत का विश्लेषण किया था.

रिसर्च में पाया गया कि जिन लोगों ने कीटो डाइट फॉलो की थी उनमें एलडीएल कोलेस्ट्रॉल काफी अधिक बढ़ गया था. फॉलो-अप पीरियड के दौरान बैलेंस डाइट वाले लोगों में 4.3 प्रतिशत और कीटो डाइट वाले लोगों में हार्ट संबंधित बीमारी का जोखिम 9.8 प्रतिशत बढ़ गया था. रिसर्चर्स ने सुझाव दिया कि अगर कोई व्यक्ति कीटो डाइट फॉलो करना चाहता है तो उसे पहले किसी डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए. 

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अनहेल्दी फैट पहुंचाता है नुकसान

पटपड़गंज दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की डायटीशियन ज्योति खानिओझ (Dt. Jyoti Khaniojh) ने Aajtak.in से बात करते हुए बताया, 'कीटोजेनिक डाइट में दैनिक डाइट का 10 प्रतिशत हिस्सा कार्बोहाइड्रेट से, 20-30 प्रतिशत हिस्सा प्रोटीन से और 60-80 प्रतिशत हिस्सा फैट से आता है. कीटो डाइट में कार्ब्स के बारे में बात की जाए तो वह उतने ही होते हैं जो कि एक सेव या केले में होते हैं. इस डाइट में ना रोटी खाते हैं ना चावल, ना ब्रेड खाते हैं ना पास्ता. आपको शरीर की कुल कैलोरी का 60-80 प्रतिशत हिस्सा फैट से लेना होता है जिसमें मक्खन, घी और पनीर खाना होते हैं जो कि सैचुरेटेड (अनहेल्दी) फैट में अधिक होते हैं. अगर कोई रोजाना इतने अधिक फैट का सेवन करेगा तो उसका एलडीएल लेवल बढ़ जाएगा जो आगे चलकर हार्ट संबंधित बीमारियां का जोखिम पैदा करेगी. मैं सलाह देती हूं किसी को भी बिना डॉक्टर की सलाह लिए कीटो डाइट नहीं करनी चाहिए और उसे 2-3 महीने से अधिक फॉलो नहीं करनी चाहिए.'

डायटीशियन ज्योति ने आगे कहा, 'भारतीय खाने में केवल 8 से 10 प्रतिशत प्रोटीन होता है जब कि शरीर की जरूरत 20-25 प्रतिशत होती है. अगर  और लंबे समय से हम इस बात पर जोर देते रहे हैं कि हमें प्रोटीन की खपत को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए.'

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भारत में किसी भी एक नॉर्मल थाली में कार्ब की मात्रा ही अधिक होती है जिससे वेट गेन होता है और ट्राइग्लिसराइड के लेवल में भी वृद्धि होती है. इसलिए थाली में कार्ब-फैट-प्रोटीन और फाइबर को बैलेंस करके रखें. कार्ब्स 50 फीसदी रखें, प्रोटीन 25 प्रतिशत और 25 प्रतिशत हेल्दी फैट (मोनोअनसैचुरेटेड फैट) लें. साबुत अनाज, ब्राउन राइस, मल्टीग्रेन ब्रेड, साबुत गेहूं, चोकर के साथ ओट्स और बिना पॉलिश किया हुआ बाजरा जैसे अनाजों को डाइट में एड करें. मोनोअनसैचुरेटेड फैट में मछली, बादाम, अखरोट, मूंगफली, अदरक और सरसों के तेल को एड करें. सबसे खराब तेल नारियल और ताड़ हैं जो सैचुरेटेड फैट में हाई होता है.'

3 महीने से अधिक फॉलो ना करें कीटो डाइट: सेलेब्रिटी फिटनेस कोच प्रसाद नंदकुमार शिर्के

सेलेब्रिटी फिटनेस कोच कोच प्रसाद नंदकुमार शिर्के (Prasad nandkumar shirke) ने बताया, 'डाइट में फैट के अधिक सेवन से मोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग और संभवतः कैंसर का जोखिम बन जाता है. वहीं कीटो आहार से लो ब्लड प्रेशर, किडनी स्टोन, कब्ज, पोषक तत्वों की कमी और हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है. कीटो डाइट उन लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है जिन्हें अग्न्याशय, यकृत, थायरॉयड, किडनी और पित्ताशय की थैली संबंधित बीमारियां शामिल हैं. लो कार्ब, हाई फैट वाली कीटो डाइट "खराब" कोलेस्ट्रॉल के हाई लेवल से जुड़ी है और हृदय संबंधी जोखिमों को दोगुना कर देता है और धमनियों को अवरुद्ध, दिल का दौरा और स्ट्रोक का भी कारण बनता है. मैं सुझाव देता हूं कि अगर आप कीटो डाइट करना चाहते हैं तो अधिकतम 3 महीने काफी हैं. बॉडीबिल्डिंग में एंडोमॉर्फ बॉडीबिल्डर कीटो डाइट को फॉलो करते हैं लेकिन समय-समय पर. वे हमेशा इस डाइट को फॉलो नहीं करते.'

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फैट स्टोरेज को करता है तेज

डॉ. मिश्रा का कहना है, 'कार्बोहाइड्रेट हमारे शरीर के लिए एनर्जी का प्राइमरी सोर्स है. कम कार्बोहाइड्रेट लेने का मतलब है शरीर को एक प्रमुख मैक्रो-न्यूट्रीएंट्स से दूर करना. ऐसे में शरीर खुद को फ्यूल देने के लिए अन्य सोर्स की तलाश करता है और एनर्जी के लिए फैट सेल्स को तोड़ने लगता है. लिवर में फैट सेल्स के टूटने से कीटोन्स कैमिकल पैदा होते हैं जिनका उपयोग शरीर कार्बोहाइड्रेट की अनुपस्थिति में एनर्जी के रूप में उपयोग कर लेता है."  

डॉ. मिश्रा ने आगे कहा, 'भारतीयों द्वारा खाई जाने वाला अधिकतर फैट सैचुरेटेड फैट होता है जो नारियल तेल, पनीर, घी और मेयोनेज में पाया जाता है. अगर कोई कुल दैनिक कैलोरी में 30 से 35 फीसदी फैट से लेता है तो उसका करीब 15 से 20 फीसदी सैचुरेटेड फैट होता है ना कि पॉली या मोनोअनसैचुरेटेड फैट. सैचुरेटेड फैट शरीर में फैट स्टोरेज की प्रोसेस को तेज करता है.'

हार्ट संबंधित बीमारियां का खतरा बढ़ेगा

चेन्नई के डॉ. मोहन मधुमेह विशेषज्ञ सेंटर के प्रेसिडेंट डॉ. वी मोहन (Dr V Mohan) ने कहा, "मैं इस स्टडी से बिल्कुल भी शॉक्ड नहीं हूं क्योंकि मेरे पास कीटो डाइट फॉलो करने वाले लोगों पर निकाले हुए निष्कर्षों के वास्तविक प्रमाण है. मैं लंबे समय से कीटो डाइट या किसी लोकार्ब-हाई फैट डाइट के हानिकारक प्रभावों के बारे में बात कर रहा हूं. कीटो डाइट में कार्ब बिल्कुल कम और फैट काफी अधिक होता है. इंडियन लोग अधिकतर सैचुरेटेड फैट का सेवन करते हैं जिससे पोषक तत्व, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट की कमी हो सकती है और हार्ट संबंधित बीमारियां घेर लेंगी. 

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डॉ. मोहन का तर्क है कि कीटो डाइट से कुछ समय तक फायदा मिल सकता है और वजन कम हो सकता है लेकिन लंबे समय तक फॉलो करने से हृदय स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ेगा और ब्लड फैट की बढ़ोतरी भी होगी. 


 

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