सिगरेट नहीं पीते फिर भी बढ़ रहा फेफड़ों के कैंसर का खतरा, सामने आईं ये वजहें

फेफड़ों का कैंसर दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है. लेकिन पिछले कुछ समय में जो रिपोर्ट्स आईं हैं, उनमें धूम्रपान ना करने वाले लोगों में भी फेफड़ों के कैंसर का पता चला है.

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स्मोकिंग ना करने वालों में भी कैंसर का खतरा बढ़ा स्मोकिंग ना करने वालों में भी कैंसर का खतरा बढ़ा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 7:31 AM IST

फेफड़ों का कैंसर को लेकर अक्सर स्मोकिंग से जोड़कर देखा जाता है. यह तब होता है जब फेफड़ों की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं और ट्यूमर बनाती हैं जिससे फेफड़ों के ठीक से काम करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. ये ट्यूमर शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकते हैं. फेफड़ों का कैंसर दुनिया भर में इस बीमारी से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है. अगर हम हाल के दिनों पर नजर डालें तो अब बड़ी संख्या में धूम्रपान न करने वालों में भी इस बीमारी का पता चला है जो काफी चौंकाने वाली बात है.  

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फेफड़ों के कैंसर का बदलता रूप

पारंपरिक रूप से धूम्रपान करने वालों की बीमारी मानी जाने वाली फेफड़ों के कैंसर में एक चौंकाने वाला बदलाव आया है. अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में फेफड़ों के कैंसर के 20% तक मामले अब उन लोगों में हो रहे हैं जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है.  

एशिया के कुछ क्षेत्रों में यह आंकड़ा लगभग 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है. यानी लोगों इतने लोगों ने कभी धूम्रपान नहीं किया, खासकर महिलाओं में भी स्थिति ज्यादा भयावह थी. धूम्रपान न करने वालों के बीच इस बीमारी के बढ़ते ट्रेंड ने ना केवल वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है बल्कि फेफड़ों के कैंसर से जुड़ी रिसर्च के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी बदल दिया है. 

क्या है इसके कारण

1-वायु प्रदूषण

फेफड़ों के कैंसर के सबसे बड़े कारणों में से एक वायु प्रदूषण है, खासकर PM2.5 सूक्ष्म कण. ये सूक्ष्म कण, जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम होता है, फेफड़ों के ऊतकों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और ब्लडफ्लो में भी प्रवेश कर सकते हैं.

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अध्ययनों से पता चला है कि PM 2.5 के लंबे समय तक संपर्क में रहने से फेफड़ों के कैंसर का खासकर धूम्रपान न करने वालों के बीच गहरा संबंध है. 

2- रेडॉन गैस का संपर्क
रेडॉन एक गंधहीन, रंगहीन रेडियोधर्मी गैस है जो मिट्टी और चट्टानों में यूरेनियम के Decay (नाश होने की प्रक्रिया) से प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होती है. यह नींव या दीवारों की दरारों से घरों में रिस सकती है. रेडॉन फेफड़ों के कैंसर का दूसरा प्रमुख कारण है और अमेरिका में धूम्रपान न करने वालों में ये इस बीमारी की एक बड़ी वजह है.

2-ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) और एपस्टीन-बार वायरस के कुछ प्रकार के वायरस भी इस कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं.

3-आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन सेंकड हैंड स्मोकिंग यानी वो लोग जो धूम्रपान नहीं करते हैं लेकिन दूसरों के संपर्क में आने से वो प्रभावित हो सकते हैं. इसके अलावा जीन्स भी इस बीमारी के बड़े कारणों में एक है.

4-खाने बनाने के दौरान होने वाला प्रदूषण जैसे लड़की या गोबर के कंडों की वजह से होना वाला प्रूदषण भी फेंफड़ों के लिए खतरनाक होता है. 

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