सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोस्ट गार्ड में महिला अधिकारी को नौकरी से निकालने के लिए फटकार लगाई है. कोर्ट ने कोस्ट गार्ड ऑफिसर प्रियंका त्यागी को फिर से सर्विस में बहाल करने का निर्देश दिया. भारतीय तटरक्षक दल ने महिला अधिकारी को साल 2021 में शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी के रूप में छुट्टी दे दी थी. उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित याचिका को अपने पास ट्रांसफर करते हुए कहा निर्देश दिया कि अगले आदेश तक याचिकाकर्ता को उसकी योग्यता के अनुसार महत्वपूर्ण पोस्टिंग दी जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने तट रक्षक को महिला ऑफिसर प्रियंका त्यागी को उस पद पर फिर से शामिल करने का निर्देश दिया.
CJI ने व्यक्त की चिंता
सीजेआई ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र कैसे प्रियंका त्यागी की याचिका का विरोध कर रहा है. साथ ही अदालत ने अपने फैसलों का ज्रिक करते हुए कहा कि ये भेदभाव खत्म होने चाहिए, पहले महिलाएं बार में शामिल नहीं हो सकती थीं. फाइटर पायलट नहीं बन सकती थीं. एक महिला के कोस्ट गार्ड में शामिल होने का विरोध देख रहे हैं, क्योंकि महिलाओं के लिए शौचालय नहीं थे. लेकिन अब वो नौसेना में शामिल हो गई हैं. अगर महिलाएं ऑपरेशन थिएटर या सुप्रीम कोर्ट बार में जा सकतीं हैं तो वो गहरे समुद्र में भी जा सकती हैं. साथ ही कोर्ट ने 26 फरवरी को SC ने केंद्र को कहा था कि या तो स्थायी कमीशन बनाए नहीं तो कोर्ट इसका आदेश देगा.
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बिल्कुल अलग हैं नौसेना और आर्मी
याचिकाकर्ता प्रियंका त्यागी की ओर पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अर्चना पाठक दवे ने जोरदार दलील दी और पीठ को बताया कि कोस्ट गार्ड महिला अधिकारियों के साथ किस तरह का भेदभाव कर रहा है. इस पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने पीठ को बताया कि नौसेना और आर्मी के साथ तुलना करना गलत है. दोनों बहुत बिल्कुल अलग हैं.
वहीं, दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सीजेआई ने मौखिक रूप से कहा कि हम पहले ही सेना, नौसेना और एयर फोर्स में स्थायी कमीशन से संबंधित मामलों में अपने फैसले दे चुके हैं, लेकिन इंडियन कोस्ट गार्ड इस मामले में लगातार पीछे बना हुआ है.
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बता दें कि प्रियंका त्यागी ने इंडियन कोस्ट गार्ड की पात्र महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की मांग की है.
'यहां दिखाएं नारी शक्ति'
अदालत ने पिछली सुनवाई में कहा कि आप नारी शक्ति की बात करते हैं, अब इसे यहां दिखाएं. मुझे नहीं लगता कि कोस्ट गार्ड ये कह सकता है कि जब सेना, नौसेना ने यह सब किया है तो वो इस लाइन से बाहर है. मुझे लगता है कि आप सभी ने अब तक बबीता पुनिया का फैसला नहीं पढ़ा है. बबीता पुनिया फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अधिकारी अपने पुरुष समकक्षों के समान स्थायी कमीशन की हकदार हैं.
कनु सारदा