'किन 3.66 लाख वोटरों के नाम काटे गए?', बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट ने EC से मांगा डेटा

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर (गुरुवार) को तय की है. इस बीच याचिकाकर्ता नई दलीलों के साथ अपने हलफनामे दाखिल करेंगे, जिन पर निर्वाचन आयोग जवाब देगा. सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि जिन लोगों के नाम हटाए गए, उन्हें सूचना दी गई थी, और ड्राफ्ट तथा फाइनल सूची दोनों राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई गई हैं.

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कोर्ट ने आयोग से कहा कि ड्राफ्ट और फाइनल लिस्ट के डेटा की तुलना कर रिपोर्ट गुरुवार तक दाखिल की जाए. (File Photo- ITG) कोर्ट ने आयोग से कहा कि ड्राफ्ट और फाइनल लिस्ट के डेटा की तुलना कर रिपोर्ट गुरुवार तक दाखिल की जाए. (File Photo- ITG)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 07 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 4:23 PM IST

बिहार में मतदाता सूची के गहन विशेष पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने निर्वाचन आयोग की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर (गुरुवार) को तय की है. इस बीच याचिकाकर्ता नई दलीलों के साथ अपने हलफनामे दाखिल करेंगे, जिन पर निर्वाचन आयोग जवाब देगा. साथ ही कोर्ट ने चुनाव आयोग से उन 3.66 लाख वोटों की भी जानकारी देने को कहा है जिनके नाम फाइनल वोटर लिस्ट में काटे गए हैं.

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मंगलवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि लाखों मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं, लेकिन उन्हें इसकी कोई सूचना नहीं दी गई. सिंघवी ने आरोप लगाया कि 3.66 लाख से अधिक लोगों के नाम बिना नोटिस हटाए गए, किसी को कारण नहीं बताया गया. उन्होंने कहा कि अपील का प्रावधान तो है, पर जब लोगों को जानकारी ही नहीं है, तो अपील का सवाल ही नहीं उठता.

वहीं, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि अब तक 47 लाख नाम हटाए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि 2003 और 2016 के आयोग के निर्देश बताते हैं कि फर्जी मतदाताओं को हटाने की प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए, लेकिन इस बार पारदर्शिता का पूर्ण अभाव है. भूषण ने कहा कि 65 लाख मतदाताओं की जानकारी अदालत के आदेश के बाद ही दी गई, जबकि आयोग को यह डेटा वेबसाइट पर अपलोड करना चाहिए था.

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निर्वाचन आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि जिन लोगों के नाम हटाए गए, उन्हें सूचना दी गई थी, और ड्राफ्ट तथा फाइनल सूची दोनों राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई गई हैं. अदालत ने सवाल किया कि 3.70 लाख नामों में से कितनों से शिकायतें मिलीं, और उन पर क्या कार्रवाई हुई. इस पर आयोग की ओर से कहा गया कि कोई औपचारिक शिकायत नहीं आई है.

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यदि कोई यह सूची दे सके कि किन लोगों को आदेश की जानकारी नहीं मिली, तो अदालत उन्हें सूचित करने का निर्देश दे सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि हर व्यक्ति को अपील का अधिकार है और यदि लोग आगे आते हैं, तो अदालत उनकी बात सुनेगी. सवाल यह है कि हम किसके लिए ऐसा कर रहे हैं, लोग आगे क्यों नहीं आ रहे हैं. 

कोर्ट ने आयोग से कहा कि ड्राफ्ट और फाइनल लिस्ट के डेटा की तुलना कर रिपोर्ट गुरुवार तक दाखिल की जाए. प्रशांत भूषण ने कहा कि आयोग बटन दबाकर यह डेटा तुरंत दे सकता है, लेकिन पारदर्शिता की कमी के कारण ऐसा नहीं किया जा रहा. अदालत ने कहा कि यह पूरी कवायद चुनावी प्रक्रिया में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए की जानी चाहिए.

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सुनवाई अब 9 अक्टूबर, गुरुवार को होगी, जब याचिकाकर्ता नई दलीलों के साथ हलफनामे दाखिल करेंगे और निर्वाचन आयोग उस पर जवाब देगा.

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