सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक 2011 के हत्या मामले में छह आरोपियों को बरी कर दिया. अदालत ने यह फैसला भारी मन से सुनाया क्योंकि इस मामले में गवाहों ने अपने ही बयान से पलटकर न्याय प्रक्रिया को कमजोर कर दिया था.
यह मामला कर्नाटक का है, जिसमें रामकृष्ण नामक व्यक्ति की उनके ही भाई के प्रतिद्वंद्वियों ने हत्या कर दी थी. आरोप है कि रामकृष्ण एक भाई के यहां नौकरी छोड़कर दूसरे भाई के साथ काम करने लगे थे, जिससे नाराज होकर हत्या की साजिश रची गई. 28 अप्रैल 2011 को रामकृष्ण अपने बेटे के साथ टहल रहे थे, तभी उनकी हत्या कर दी गई.
हत्या मामले में छह आरोपी बरी
हालांकि, 87 गवाहों में से 71 ने अदालत में पहले दिए गए बयान से मुकर गए, जिनमें चश्मदीद गवाह मृतक का बेटा भी शामिल था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस और सरकारी गवाहों के बयानों के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा दी गई सजा अवैध थी और यह सिर्फ अनुमान और धारणा पर आधारित थी.
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि गवाहों के पलटने से मुकदमा मजाक बन गया. अदालत ने यह भी कहा कि केवल जांच अधिकारियों के बयान और आरोपियों के स्वयं के कथनों के आधार पर सजा नहीं दी जा सकती.
71 गवाह अपने बयानों से पलटे
अदालत ने सभी आरोपियों को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है, अगर वो किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं. न्यायालय ने यह भी कहा कि बिना ठोस सबूत किसी को सजा देना आपराधिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है.
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