'बच्चे के साथ ओरल सेक्स अति गंभीर अपराध नहीं', इलाहाबाद HC ने दोषी की सजा घटाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए बच्चों के साथ ओरल सेक्स (oral sex) को 'अति गंभीर अपराध' नहीं माना है. हालांकि, ऐसे मामलों को हाईकोर्ट ने POCSO एक्ट की धारा 4 के तहत दंडनीय माना है.

Advertisement
एक दोषी की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दिया फैसला. (फाइल फोटो) एक दोषी की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दिया फैसला. (फाइल फोटो)

पंकज श्रीवास्तव

  • प्रयागराज,
  • 23 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:21 AM IST
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
  • ओरल सेक्स अति गंभीर अपराध नहीं
  • दोषी की सजा घटाकर 7 साल की

बच्चों के यौन उत्पीड़न से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक अहम फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने बच्चों के साथ होने वाले ओरल सेक्स को 'अति गंभीर अपराध' मानने से इनकार कर दिया है. हालांकि, कोर्ट ने प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस (POCSO) एक्ट के तहत दंडनीय माना है.

हाईकोर्ट ने ये फैसला एक आरोपी की याचिका पर दिया है, जिस पर एक बच्चे के साथ 'ओरल सेक्स' करने का आरोप था. इस मामले में आरोपी को झांसी की निचली अदालत ने दोषी मानते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी. 

Advertisement

सोनू कुशवाहा ने झांसी की निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार की बेंच ने ये फैसला दिया है. 

ये भी पढ़ें-- यौन उत्पीड़न केस: 'स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट होना जरूरी नहीं', POCSO पर SC ने बदला हाईकोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट ने ओरल सेक्स को 'अति गंभीर अपराध' की श्रेणी से बाहर रखा है, लेकिन इसे POCSO एक्ट की धारा 4 के तहत दंडनीय माना है. कोर्ट ने कहा कि ये कृत्य एग्रेटेड पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट या गंभीर यौन हमला नहीं है. ऐसे मामलों में POCSO एक्ट की धारा 6 और 10 के तहत सजा नहीं सुनाई जा सकती. 

हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले में सुधार करते हुए दोषी की सजा को 10 साल से घटाकर 7 साल करने का फैसला दिया है. साथ ही कोर्ट ने दोषी पर 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement