इंडिया टुडे ग्रुप के आयोजन इंडिया टुडे कॉन्क्लेव मुंबई के मंच पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ थे. उन्होंने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के मंच पर अयोध्या के राम जन्मभूमि केस में फैसले को लेकर उठे सवालों से लेकर संविधान में सोशलिस्ट और सेक्यूलर को लेकर जारी बहस तक, हर विषय पर अपनी बात रखी.
अयोध्या के मामले में फैसला सुनाने वाली बेंच में शामिल रहे पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि फैसला आस्था की बुनियाद पर नहीं, एडवर्स पजेशन के बेस पर हुआ था. उन्होंने कहा कि सवाल उठाने से पहले पूरा फैसला पढ़ लेना चाहिए. हमने मस्जिद के लिए भी पांच एकड़ जमीन देने का फैसला दिया था. पूर्व सीजेआई ने कहा कि यह केस जब कोर्ट आया था, क्लेम टाइटल पर आया था. मैं सिस्टम का अनुशासित सिपाही रहा हूं और रिटायरमेंट के बाद भी अनुशासित हूं.
उन्होंने कहा कि जब आप जज के रूप में काम करते हैं, हर सुबह यह प्रार्थना करके कोर्ट जाते हैं कि हमारे हाथ से बस न्याय हो. जैन नहीं हूं, लेकिन हर दिन नवकार मंत्र पढ़ता था. सोशल मीडिया पर आलोचना को लेकर पूर्व सीजेआई ने कहा कि सोशल मीडिया पर लोग चाहते हैं कि हर फैसला सरकार के खिलाफ हो, एक विचारधारा के खिलाफ हो. अगर ऐसा नहीं होता है, तो आलोचना की जाती है कि आप प्रो गवर्नमेंट हैं. मैंने सरकार के खिलाफ भी कई फैसले दिए हैं.
पूर्व सीजेआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड से लेकर केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से संबंधित केस तक, सरकार के खिलाफ दिए अपने फैसले भी गिनाए. जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली तबादले को लेकर उठे सवालों और रिश्तों को लेकर हुई आलोचनाओं पर उन्होंने कहा कि तब कॉलेजियम में मुझसे भी वरिष्ठ जज थे, और भी जज थे. पूर्व सीजेआई ने एक सवाल के जवाब में कहा कि निगेटिव बातों में क्या पड़ना. मेरा सिद्धांत रहा है कि पॉजिटिव देखो.
आदित्य ठाकरे के स्ट्रीट डॉग्स पर तुरंत फैसला, दो दलों के सिंबल की लड़ाई पर फैसले में देरी वाले सवाल पर उन्होंने कहा कि जज बेकार नहीं बैठे हैं, वह भी हर दिन काम करते हैं. सुप्रीम कोर्ट में इतने केस पेंडिंग पड़े हुए हैं. चंद्रचूड़ ने कॉलेजियम को लेकर कहा कि हमने अपने समय में सदस्यों से अच्छे लोगों के नाम लाने, उनका रिकॉर्ड देखने, प्रदर्शन का आकलन करने के लिए कहा था. उन्होंने 12वीं फेल, लापता लेडीज और तारे जमीं पर को अपनी फेवरेट फिल्म बताया.
उमर खालिद की बेल पर क्या बोले पूर्व सीजेआई
पूर्व सीजेआई ने संवैधानिक नैतिकता के सवाल पर कहा कि एक केस आया, जिसमें बिजली चोरी के एक मामले में एक व्यक्ति को दो साल की सजा हुई. यह बिजली चोरी का मामला था और वह व्यक्ति नौ मामलों में दोषी करार दिया गया था. उन्होंने कहा कि इसका मतलब था कि उसे 18 साल की सजा होती. पूर्व सीजेआई ने कहा कि उसने किसी भी केस में फैसले को चैलेंज भी नहीं किया था. अंत में वह इलाहाबाद हाईकोर्ट गया और रिट दाखिल कर पूछा कि बिजली चोरी के केस में 18 साल सजा कैसे हो सकती है. उसकी रिट पर सुनवाई हुई.
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उन्होंने बुल्डोजर एक्शन पर रोक के अपने फैसले का भी जिक्र किया और कहा कि हमने फैसला दिया कि बिना प्रक्रिया पूरी किए बुल्डोजर एक्शन नहीं होना चाहिए. उमर खालिद का केस जानबूझकर बेल ना देने की इमेज वाली जस्टिस बेला त्रिवेदी की कोर्ट में भेजे जाने की बातों पर पूर्व सीजेआई ने कहा कि मेरा यह स्पष्ट मानना रहा है कि हर उस व्यक्ति को बेल मिलनी चाहिए, जो इसके लिए योग्य है. बेल मेरिट के आधार पर होती है. उन्होंने कहा कि क्रिमिनल केस में बेंच सिस्टम से अलॉट होती है. एक जज का काम आसान नहीं है, केस दर केस प्राथमिकताएं देखनी पड़ती हैं.
पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट ने प्रोटेक्ट किया
पूर्व सीजेआई ने अपने कार्यकाल में बेल के आंकड़े गिनाए और पवन खेड़ा के केस का उदाहरण देते हुए कहा कि वह बोर्डिंग करने वाले थे और उनकी गिरफ्तारी होने वाली थी. उनके वकील कोर्ट आए और हमने गिरफ्तारी पर रोक लगाई. उन्होंने कहा कि पवन खेड़ा को भी सुप्रीम कोर्ट ने ही प्रोटेक्ट किया.
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पूर्व सीजेआई ने संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर को लेकर सवाल पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केशवानंद भारती केस में सुप्रीम कोर्ट ने इसकी विशेषताएं बताई थीं. संविधान की प्रस्तावना में सेक्युलर और सोशलिस्ट को लेकर जारी बहस और इसकी वैधानिकता से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि जब संविधान अंगीकार किया गया था, तब से ही इसमें समानता की बात है. सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्द भी उसी भावना का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो संविधान की भावना रही है.
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