मौलिक कर्तव्यों को लागू करने वाली याचिका पर केंद्र-राज्यों ने नहीं दिया जवाब, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट में मौलिक कर्तव्यों को लागू करने वाली याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब दाखिल करने को कहा था लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है. साथ ही कोर्ट ने चेतावनी देते हुए जवाब दाखिल करने का कुछ और वक्त दे दिया है.

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सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का दिया और वक्त (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का दिया और वक्त (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 30 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:45 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 51A में निर्धारित मौलिक कर्तव्यों को लागू करने की मांग वाली याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था लेकिन जवाब न मिलने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने पिछली बार जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा था लेकिन अभी तक केंद्र ने जवाब नहीं दाखिल किया है. अभी तक सिर्फ यूपी और कर्नाटक ने ही जवाब दाखिल किया है.

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केंद्र और राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट से चार हफ्ते की और मोहलत मांगी है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार ने अब अगर तय समय में हलफनामा दाखिल नहीं दिया तो 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. याचिकाकर्ता दुर्गा दत्त ने इस मामले में याचिका दायर की है. 

केके वेणुगोपाल ने किया है विरोध

इस याचिका पर पिछली सुनवाई में पूर्व अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने आपत्ति जता चुके हैं. उन्होंने व्यक्तिगत हैसियत से अपनी राय रखते हुए कहा था कि कानून मंत्रालय की वेबसाइट पर मौलिक कर्तव्यों के बारे में जागरूक करने के लिए उठाए कदमों की जानकारी मौजूद है. जहां तक इस बारे में कानून बनाने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग है तो उसमें कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए.

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याचिका में SC के फैसला का जिक्र

याचिका वकील दुर्गा दत्त ने अपनी याचिका में कहा है कि यह समय की जरूरत है कि हर नागरिक को भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखने और उसकी रक्षा करने और कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाए. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का जिक्र किया गया है, जिसमें केंद्र सरकार को इस पर विचार करने और संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए गठित राष्ट्रीय आयोग के रिपोर्ट के कार्यान्वयन के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश जारी किए गए थे.

 


 

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