सिद्धारमैया तोड़ेंगे उर्स का रिकॉर्ड! और करीब पहुंचे, बेंगलुरु में जश्न की तैयारी

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एक नया रिकॉर्ड बनाने की ओर हैं. कुर्सी की खींचतान में सिद्धारमैया अब डी देवराज उर्स का रिकॉर्ड तोड़ने की दहलीज पर आ गए हैं. इस मौके पर बेंगलुरु में बड़े जश्न की तैयारी भी है.

Advertisement
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Photo: PTI) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Photo: PTI)

नागार्जुन

  • बेंगलुरु,
  • 31 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:48 AM IST

कर्नाटक में सत्ता के लिए छिड़ी जंग के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अब अपना नाम रिकॉर्डबुक में दर्ज कराने के और करीब पहुंच गए हैं. सिद्धारमैया अब कर्नाटक में सबसे लंबे समय तक सीएम रहने वाले नेता बनने की ओर हैं. सिद्धारमैया ने करीब एक साल पहले एक कन्नड़ टीवी को दिए इंटरव्यू में यह रिकॉर्ड कायम करने की इच्छा जताई थी और अब वह इसकी दहलीज पर हैं.

Advertisement

सीएम सिद्धारमैया इस मामले में डी देवराज उर्स का रिकॉर्ड तोड़ने से महज एक कदम दूर हैं. उर्स भी ओबीसी वर्ग से आने वाले एक कद्दावर नेता थे और उनके सियासी सफर और सिद्धारमैया के सफर में कई समानताएं देखने को मिलती हैं. सिद्धारमैया की इस उपलब्धि का जश्न मनाने की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. अहिंदा मंच ने 6 जनवरी को बेंगलुरु में 'नाटी कोली ओटा' का आयोजन रखा है.

नाटी कोली ओटा यानी देसी चिकन का भोज. गौर करने वाली बात यह भी है कि अहिंदा शब्द भी डी देवराज उर्स की ही देन है. कन्नड़ में यह अल्पसंख्यक, ओबीसी और दलित समुदाय का संक्षिप्त रूप है. इस समय यह रिकॉर्ड डी देव राज उर्स के नाम है, जिन्होंने दो कार्यकाल में कुल 2792 दिन तक सीएम रहे थे. सिद्धारमैया और उर्स के बीच तुलना बस कार्यकाल को लेकर ही नहीं होती, दोनों के सामाजिक आधार में भी गहरी समानता है.

Advertisement

1973 में सीएम बने थे उर्स

डी देवराज उर्स साल 1973 में मुख्यमंत्री बने थे. मैसूर राज्य का नाम बदलकर कर्नाटक किए जाने के बाद उर्स सूबे के पहले मुख्यमंत्री भी थे. उनसे पहले की सियासत में लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय ही दबदबा रखते थे. अरसु जाति से आने वाले उर्स कर्नाटक के पहले ओबीसी सीएम भी थे. उर्स को ओबीसी के साथ ही अल्पसंख्यकों के नेता के रूप में भी पहचाना जाता है और उन्होंने इन वर्गों के उत्थान के लिए कई कदम भी उठाए, राजनीति में भागीदारी को बढ़ावा दिया.

उर्स के बाद तीसरे ओबीसी सीएम

सिद्धारमैया, डी देवराज उर्स के बाद कर्नाटक के तीसरे और कुल मिलाकर चौथे ओबीसी सीएम हैं. सिद्धारमैया से पहले देवराज उर्स के अलावा सरेकोप्पो बंगारप्पा और एम वीरप्पा मोइली भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं. सिद्धारमैया कुरुबा गौड़ा समुदाय से आते हैं, जिसकी अनुमानित आबादी करीब 50 लाख मानी जाती है. सिद्धारमैया उर्स की 'अहिंदा राजनीति' को फिर से जीवित करने की कोशिश करते रहे हैं.

यह भी पढ़ें: सिद्धारमैया रचेंगे इतिहास, 7 जनवरी को बनेंगे कर्नाटक के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री, बोले कांग्रेस व‍िधायक

उर्स की ही तरह सिद्धारमैया ने भी कर्नाटक की लिंगायत और वोक्कालिगा प्रभुत्व वाली राजनीति को चुनौती दी. साल 2006 में बीजेपी और जेडी(एस) के गठबंधन के बाद इन समुदायों के नेताओं के फिर से मुख्यमंत्री बनने के बाद सिद्धारमैया का राजनीतिक उभार और स्पष्ट हुआ. सिद्धारमैया साल 2013 में पहली बार कर्नाटक के सीएम बने थे. साल 2018 में चुनाव बाद कांग्रेस ने जेडीएस से गठबंधन किया और सीएम पद एचडी कुमारस्वामी को दे दिया था.

Advertisement

उर्स और सिद्धारमैया के बड़े नेताओं से रहे मतभेद

डी देवराज उर्स और सिद्धारमैया, दोनों ही नेताओं के बड़े राष्ट्रीय नेताओं से मतभेद रहे. 1975 में आपातकाल को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से टकराव के बाद उर्स को 1979 में कांग्रेस से बाहर कर दिया गया था. वहीं, सिद्धारमैया को भी कांग्रेस-जेडीएस सरकार में डिप्टी सीएम रहते मतभेद के बाद एचडी देवगौड़ा की अगुवाई वाली पार्टी छोड़नी पड़ी थी और वह साल 2006 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे.

यह भी पढ़ें: 'संवेदनशीलता और सावधानी...', बेंगलुरु में बुलडोजर एक्शन पर कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार से की बात

उर्स और सिद्धारमैया, दोनों में समानताएं...

-डी देवराज उर्स और सिद्धारमैया, दोनों की ही अगुवाई में कर्नाटक चुनाव के दौरान कांग्रेस को बड़ी सफलताएं मिलीं. उर्स की अगुवाई में कांग्रेस ने 1972 में 216 में से 165 सीटें जीती थीं और टर्नआउट 52.17 प्रतिशत रहा था.

-सिद्धारमैया के नेतृत्व में कांग्रेस को 2023 के विधानसभा चुनाव में सिद्धारमैया के नेतृत्व में कांग्रेस ने 224 में से 135 सीटें जीतकर 42.88 प्रतिशत वोट शेयर के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल किया. पिछले 34 वर्षों में कर्नाटक में कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत थी.

-उर्स और सिद्धारमैया के बीच एक और समानता उनकी राजनीतिक बहुमुखी प्रतिभा है. दोनों कांग्रेस और जनता पार्टी से जुड़े रहे हैं. उर्स ने दो कार्यकाल पूरे किए, जबकि सिद्धारमैया का दूसरा कार्यकाल फिलहाल जारी है.

Advertisement

-दोनों नेताओं ने व्यापक जनसमर्थन जुटाने की क्षमता दिखाई, जिससे पार्टी और राज्य की राजनीति में उनकी स्थिति और मजबूत हुई.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement