उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में नस्लीय टिप्पणियों का विरोध करने पर हुए हमले में गंभीर रूप से घायल हुए त्रिपुरा के 24 वर्षीय छात्र एंजल चकमा ने 17 दिनों तक इलाज के बाद मौत हो गई. इसके साथ ही पुलिस ने अब इस मामले में हत्या की धारा जोड़ दी है और जांच को आगे बढ़ाते हुए फरार एक आरोपी की तलाश तेज कर दी है. पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और दो नाबालिग आरोपियों को हिरासत में ले लिया है.
पुलिस के अनुसार, ये घटना 9 दिसंबर को सेलाकुई थाना क्षेत्र में हुई. जहां एंजल चकमा और उनके भाई माइकल चकमा एक सड़क किनारे कैंटीन के पास थे, तभी नशे में धुत कुछ युवकों ने उन पर नस्लीय टिप्पणियां कीं. जब दोनों ने इसका विरोध किया तो विवाद हाथापाई में बदल गया और छह आरोपियों ने एंजल पर तेजधार हथियार से हमला कर दिया. एंजल के सिर, पीठ और पेट पर गंभीर चोटें आईं, जिससे वे मौके पर ही गिर पड़े.
17 दिन ICU में इलाज
देहरादून के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि आरोपी नशे में थे और मामला मिनटों में बेकाबू हो गया. एंजल को तुरंत निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वे 17 दिनों तक आईसीयू में रहे, लेकिन शुक्रवार को उनकी मौत हो गई.
पुलिस ने बताया कि मृतक के भाई माइकल चकमा की शिकायत पर 10 दिसंबर को सेलाकुई थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी. जांच में विशेष टीम गठित किया गया है.
दो नाबालिग समेत 5 पकड़े
पुलिस ने बताया कि 14 दिसंबर को तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि दो नाबालिगों को हिरासत में लिया गया है. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान अवनीश नेगी, शौर्य राजपूत, सूरज खवास के रूप में हुई है. एक आरोपी फरार है, जिसके नेपाल भाग जाने की आशंका है. पुलिस ने उसके लिए 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है.
एंजल की मौत के बाद भारतीय न्याय संहिता की हत्या संबंधी धाराएं जोड़ी गई हैं. पुलिस गवाहों के बयान, मेडिकल रिकॉर्ड और फोरेंसिक सबूतों की फिर से जांच कर रही है.
ये मामला पूर्वोत्तर के छात्रों के खिलाफ नस्लीय भेदभाव और हिंसा के घटनाक्रम को फिर से उजागर कर रहा है. एंजल जिज्ञासा यूनिवर्सिटी में एमबीए के अंतिम वर्ष के छात्र थे. पुलिस ने पीड़ित परिवार को सख्त कार्रवाई और निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है.
पुलिस ने बताया कि फरार आरोपियों का पता लगने की कोशिश जारी है और हमले में शामिल किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा.
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