हाथ नहीं, मुड़े हुए पैर...जब पिता ने फेर लिया मुंह, अब उसी बेटी ने करवाया कैंसर का इलाज

ऋषिकेश की रहने वाली अंजना बिना हाथों के पैदा हुईं. पैर भी मुड़े हुए हैं, जिससे वह खड़ी नहीं हो पातीं. लेकिन बावजूद इसके वह पैरों से खूबसूरत पेंटिंग और स्कैच बनाकर परिवार को पाल रही हैं. उन्होंने बताया कि जब वह पैदा हुईं तब कोई खुश नहीं था. इसलिए पापा ने मां से कह दिया था इस लड़की को फेंक दो.

Advertisement
मुड़े हुए पैरों से पेंटिंग बनाती हैं अंजना. मुड़े हुए पैरों से पेंटिंग बनाती हैं अंजना.

तेजश्री पुरंदरे

  • ऋषिकेश,
  • 31 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 1:01 PM IST

जिंदगी जब आपसे सब कुछ छीन लेती है और फिर भी आप हौसला नहीं टूटने देते, तब आप यह जंग जीत जाते हैं. इसी तरह जिंदगी की जंग जीतकर मिसाल कायम कर रही हैं उत्तराखंड के ऋषिकेश की अंजना.

दरअसल, बचपन से ही अंजना के दोनों हाथ नहीं हैं और वह अपने पैरों पर भी खड़ी नहीं हो सकतीं. परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह अपनी पढ़ाई भी पूरी नहीं कर सकीं. लेकिन आज विकलांगता के बावजूद वे अपने पैरों से खूबसूरत पेंटिंग और स्केच बना रही हैं.

Advertisement

कभी ऋषिकेश के लक्ष्मण झूले पर बैठकर या फिर अपने घर की छोटी सी छत पर बैठकर अंजना चित्रकारी करती हैं. अंजना खासतौर पर सिर्फ भगवान के चित्र ही कैनवास पर उकेरती हैं. उनके ये चित्र ज्यादातर विदेशी लोग खरीदते हैं. इससे पहले अंजना पैरों की उंगलियों से ही राम नाम लिखा करती थीं. फिर एक दिन विदेशी महिला ने उसे चित्र बनाने के लिए प्रेरित किया. तब से वह चित्र ही बनाती हैं.

उनका कहना है कि भगवान के चित्र बनाने से उन्हें असीम ऊर्जा मिलती है. वे कहती हैं कि, खासतौर पर वह श्री कृष्ण और राधा की तस्वीरें बनाती हैं. अंजना के घर में उनकी माता और भतीजा रहते हैं. पिता की कुछ सालों पहले मौत हो गई थी.

लेकिन अंजना के जीवन का संघर्ष यही नहीं है. अपनी घर की छत पर श्री कृष्ण की तस्वीर बनाते हुए अंजना थोड़ी सी भावुक हो गईं और बताया कि जब वह पैदा हुईं तब कोई खुश नहीं था. हाथ नहीं थे और पैर भी मुड़े हुए थे. इसलिए पापा ने मां से कह दिया था इस लड़की को फेंक दो.

Advertisement

'पापा के कैंसर का करवाया इलाज'
इन सबके बावजूद अंजना जीती रहीं और अपने लिए रास्ता बनाती रहीं. एक दिन अचानक पिता की तबियत खराब हो गई. डॉक्टर ने बताया कि उनके पिता को कैंसर है. अंजना बताती हैं उस दौरान उन्होंने पापा के इलाज के लिए पैसा इकट्ठा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हर संभव चीज की जिससे वह पैसा कमा सकें. कुछ समय तक तो उनकी पिता ठीक रहे लेकिन उसके बाद उनका देहांत हो गया. अंजना ने परिवार की जिम्मेदारी उठाते हुए अपनी मां, बड़ी बहन और खुद का भी खर्चा पेंटिंग करके उठाया.

'भगवान ने जैसा बनाया, उसमें खुश हूं'
अंजना कहती हैं कि, "भगवान ने मुझे जो दिया है, जैसे बनाया है मैं वैसे ही खुश हूं. मुझे किसी से को शिकायत नहीं है. बस मैंने अपने सफर से यही सीखा है कि चाहे कुछ भी हो जाए कभी हार नहीं माननी है. मैं दूसरों को भी यही सलाह देती हूं कि चाहे कुछ भी हो है जिंदगी रुकनी नहीं चाहिए, कुछ न कुछ काम करते रहना ही चाहिए. आप सफर में टूटेंगे, गिरेंगे, लड़खड़ाएंगे लेकिन चलना जारी रखना होगा. तभी आप सुबह के सूरज को देख पाएंगे."

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement