कतर से रिहा हुए पूर्व नौसेना अधिकारियों में से एक मंगलवार को देहरादून स्थित अपने घर पहुंचे. देहरादून के कैप्टन सौरभ वशिष्ठ ने घर पहुंचकर आजतक से भी बातचीत की. कैप्टन वशिष्ठ के परिवार ने आजतक से बातचीत में पीएम मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर का आभार व्यक्त किया. परिवार ने अन्य भारतीयों को आशा के साथ-साथ गर्व की भावना देने वाले पीएम मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर नेतृत्व के लिए उनका आभार व्यक्त किया.
परिजनों ने कैप्टन सौरभ के वापस लौटने पर भगवान श्री राम को धन्यवाद ज्ञापित किया. साथ ही बताया कि परिवार के सभी लोग मंगलवार का उपवास रख रहे थे.
सोमवार को हुई वतन वापसी
बता दें कि सोमवार सुबह कतर की जेल में बंद 8 पूर्व भारतीयों में से 7 वापस अपने वतन भारत लौट आए हैं. कतर से भारत लौटे नौसेना के अधिकारी ने अपनी वापसी पर कहा कि पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बिना हमारा फिर से वापस लौटना संभव नहीं था. भारत सरकार ने लगातार हमारी रिहाई के लिए लगातार प्रयास किए थे. कतर से लौटे नौसेना के दिग्गजों में से एक का कहना है, हमने भारत वापस आने के लिए लगभग 18 महीने तक इंतजार किया. हम पीएम के बेहद आभारी हैं. यह उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप और कतर के साथ उनके समीकरण के बिना संभव नहीं होता. हम भारत सरकार द्वारा किए गए हर प्रयास के लिए तहे दिल से आभारी हैं और उन प्रयासों के बिना यह दिन संभव नहीं होता.
कौन हैं ये 8 पूर्व नौसैनिक?
भारतीय नौसेना के आठ पूर्व सैनिकों में- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक राकेश शामिल हैं. जो कतर में अलदाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी में काम कर रहे थे, जो कि एक सर्विसेज और रक्षा सेवा प्रदान करने वाली कंपनी है.
जासूसी के आरोप में हुए थे गिरफ्तार
बता दें कि इन सभी आठ पूर्व भारतीय सैनिकों को जासूसी के आरोपों में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था और 26 अक्टूबर, 2023 को कतर की एक अदालत ने सभी को मौत की सजा सुनाई थी. इसके बाद भारतीय सरकार ने नागरिकों की रिहाई के लिए कानूनी विकल्प तलाशना शुरू कर दिया था.
मौत की सजा को उम्रकैद में बदला
इसके बाद बीते साल 1 दिसंबर, 2023 को दुबई में COP28 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी के बीच बैठक के बाद पूर्व नौसैनिकों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था.
अंकित शर्मा