Uttarkashi: सहस्त्रताल ट्रैक पर 5 ट्रैकर्स की मौत, खराब मौसम के चलते रेस्क्यू रुकाट

मौसम के खराब होने के बाद ट्रैकर्स के गाइड ने सरकार से सहायता मांगी. जिसके बाद टिहरी प्रशासन ने अपने-अपने जिलों से एसडीआरएफ की टीमों को साजों सामान के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए भेजा. रेस्क्यू कर 7 और लोगों को बेस कैंप लाया गया. जबकि ज्यादा ठंड की वजह से पांच लोगों ने दम तोड़ दिया.

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5 ट्रैकर्स की मौत, 7 को रेस्क्यू किया 5 ट्रैकर्स की मौत, 7 को रेस्क्यू किया

ओंकार बहुगुणा

  • उत्तरकाशी,
  • 05 जून 2024,
  • अपडेटेड 9:58 PM IST

उत्तराखंड के उत्तरकाशी टिहरी बॉर्डर पर मौजूद 15 हजार फीट की ऊंचाई पर सहस्त्रताल ट्रैक में एक बड़ा हादसा हुआ. जिसमें करीब पांच लोगों की मौत हो गई. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है. जानकारी के मुताबिक करीब 22 लोग सहस्त्रताल ट्रैक से लौट रहे थे, मौसम खराब की वजह से वह कुफरी टॉप पर फंस गए. इन्होंने 29 मई से ट्रैक करना शुरू किया था और 7 जून तक इनकी वापसी थी. ये सभी कर्नाटक और महाराष्ट्र के से आए थे.  

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मौसम के खराब होने के बाद ट्रैकर्स के गाइड ने सरकार से सहायता मांगी. जिसके बाद टिहरी प्रशासन ने अपने-अपने जिलों से एसडीआरएफ की टीमों को साजों सामान के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए कुछ कल्याण बेस कैंप भेजा. यहीं से सहस्त्रताल ट्रैक की चढ़ाई शुरू होती है. रेस्क्यू कर 7 और लोगों को बेस कैंप लाया गया. जबकि ज्यादा ठंड की वजह से पांच लोगों ने दम तोड़ दिया, चार की तलाश जारी है. खराब मौसम की वजह से फिलहाल रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया है. 

ठंड की वजह से 5 ट्रेकर्स मौत

इस मामले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर दुख जताया. साथ ही उन्होंने कहा कि प्रशासन की तरफ से एसडीआरएफ और बचाव रक्षक दल को रेस्क्यू के लिए भेजा है. जरूरत पड़ी तो सेना की भी मदद ली जाएगा. एसडीआरएफ कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने का कहना है कि सूचना मिली थी कि करीब 22 लोग कुफरी टॉप पर फंसे हैं. इसके बाद टीमों को भेजा गया साथ ही वायु सेवा की मदद ली जा रही है अब तक 10 लोगों को देहरादून लाया जा चुका है और अन्यों का इलाज उत्तरकाशी में चल रहा है.

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खराब मौसम के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन रोका

बता दें, सहस्रताल ट्रैक मध्यम से कठिन स्तर का माना जाता है और इसके लिए अच्छी शारीरिक क्षमता और ट्रैकिंग का अनुभव होना आवश्यक है. ट्रैक के दौरान ऊंचाई में बदलाव आता रहता है, जिससे Acclimatization की आवश्यकता होती है. 

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