Varanasi Weather Update: सदाबहार और हमेशा गुलजार रहने वाले काशी के गंगा घाटों की रौनक वक्त से पहले ही गर्मी ने छीन ली है. वाराणसी में तापमान लगभग साढ़े 42 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा है, जिसका साइड इफेक्ट गंगा घाट पर आश्रित लोगों की आजीविका पर भी पड़ने लगा है. रही सही कसर पेयजल और छांव की किल्लत ने पूरी कर दी है.
जो पक्के घाट कभी गंगा किनारे की खूबसूरती में चार चांद लगाया करते थे, तो वहीं पक्के घाट वक्त से पहले और रिकॉर्डतोड़ गर्मी में भट्टी का काम कर रहें हैं. घाटों के पत्थरों से उठने वाली तपिश और आसमान से बरसते अंगारों के चलते वाराणसी का तापमान 42.4 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा है. जो गंगा घाट लोगों के आवागमन से हमेशा गुलजार रहा करता था वहां मुश्किल से ही कोई दिखाई पड़ रहा है.
वाराणसी के राजघाट की बात करें तो अगर कोई आ भी रहा है तो छांव और पेयजल की व्यवस्था न होने के चलते मुश्किल का सामना कर रहा है. हैंडपंप और वॉटरकूलर या तो खराब हो चुके हैं या तो फिर बंद पड़े हैं. सबसे ज्यादा नाविकों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.
वाराणसी निषाद कल्याण समिति के उपाध्यक्ष दुर्गा साहनी बताते हैं कि उनकी कमाई 70 प्रतिशत तक कम हो चुकी है. रिकॉर्डतोड़ गर्मी की वजह से यात्री आना नहीं चाह रहें हैं. जो कुछ आ भी रहें हैं उन्हे छांव और पेयजल न मिल पाने के चलते भारी दिक्कत का भी सामना करना पड़ रहा है, जिसका नगर निगम को ध्यान देना चाहिए.
गंगा घाट घूमने आए स्थानीय अनुपम राय ने बताया कि ऐसी गर्मी जून में पड़ा करती थी. अभी साढ़े 42.4 डिग्री तापमान हो चुका है. गर्मी के चलते कोई गंगा घाट घुमने नहीं आना चाह रहा है. उन्होंने बताया कि नगर निगम को कम से कम पेयजल और टेंट हाउस की व्यवस्था करनी चाहिए.
वहीं, राजघाट किनारे पूजा पाठ कराने वाले पंडा पकंज तिवारी ने बताया कि वे गंगा घाट पर पिंडदान कराते हैं. वाराणसी में तापमान साढ़े 42 डिग्री तक हो चुका है. सरकार और नगर निगम की कोई व्यवस्था है ही नहीं. यहां तक कि महिलाओं के लिए गंगा घाट पर चेंजिंग रूम तक नहीं है. पेयजल और छांव तक की व्यवस्था नहीं है. खुद अपनी चौकियों से हटकर धूप से बचा जा रहा है.
रोशन जायसवाल