अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खां की 205वीं जयंती को विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों ने 'सर सैयद डे' के नाम से मनाया. इस मौके पर यूनिवर्सिटी कैंपस में भी AMU में दो दिवसीय वर्ल्ड एलुमिनी मीट 2022 का आयोजन किया गया. बीते दो सालों से कोविड प्रतिबंधों की वजह से इसका आयोजन रद्द हो गया था या फिर इसे ऑनलाइन मनाया गया.
सर सैयद का जन्म 17 अक्टूबर 1817 को दिल्ली में हुआ था. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उन्हें शिक्षा जगत का पैग़म्बर बताया था. उनकी 205वीं जयंती के अवसर पर यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रों ने इस दिन को बड़े धूमधाम से मनाया. इसी अवसर पर यूनिवर्सिटी कैंपस में मनाए गए वर्ल्ड एलुमिनी मीट 2022 में दुनियाभर से पूर्व छात्र भी शामिल हुए.
पूर्व छात्रों को जोड़ता है तराना
दुनियाभर में फैले पूर्व छात्रों को आपस में जोड़ने में सबसे बड़ा योगदान AMU के तराने का है. विश्वविद्यालय का हर छात्र अलीगढ़ मूवमेंट से जुड़े हर शख्स के दिल में ये तराना पैवस्त है. इस दिन को हर छात्र और पूर्व छात्र अपनी शैली में यादगार बनाने की ख़्वाहिश रखता है. अलीगढ़ के रहने वाले मुजीब अख्तर जो अभी कुवैत में काम कर रहे हैं और उनके दोस्त जुजर नाथ व आतिफ हनीफ ने बीते कई महीनों के प्रयास के बाद त'तराना-ए-AMU'की व्याख्या लिखी है और उसका वीडियो बनाकर यूट्यूब पर अपलोड कर दिया है.
मजाज लखनवी ने लिखा था तराना
'तराना-ए-AMU' असरारूल हक़ मजाज़ 'मजाज़ लखनवी' ने साल 1936 में अपने छात्र जीवन में 'नज़रें अलीगढ़' नाम से एक नज़्म के तौर पर लिखी थी और ख़ान इश्तेयाक़ के द्वारा इस नज़्म को धुन देने के बाद 17 अक्टूबर 1954 में 'सर सैयद डे' के दिन ही यूनिवर्सिटी प्रशासन ने प्रभावित होकर इसे हमेशा के लिए 'तराना-ए-AMU' के तौर पर समायोजित कर लिया था. दो साल पहले मशहूर अभिनेता और विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नसीरुद्दीन शाह भी इसके वीडियो में शामिल थे. इस साल इस 'तराना-ए-AMU' पर मुजीब अख्तर, जुजर नाथ और आतिफ हनीफ ने अलग व्याख्या कर इसका वीडियो यूट्यूब पर डाल दिया है, जिसे काफी पसंद किया जा रहा है.
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