बिहार में एनडीए की सत्ता में वापसी का ट्रंप कार्ड साइलेंट वोटर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जीत का श्रेय बीजेपी के साइलेंट वोटरों को दिया है. पीएम ने खुद बताया कि ये साइलेंट वोटर कोई और नहीं बल्कि वो महिलाएं थीं, जिन्होंने न सिर्फ बढ़-चढ़कर वोट किया बल्कि बीजेपी के पक्ष में वोट किया. बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी मोदी के साइलेंट वोटरों को बीजेपी ने साधने की कवायद शुरू कर दी है. सूबे की चुनाव प्रक्रिया में आधी आबादी के नेतृत्व को बीजेपी ने गांव स्तर पर सिर्फ तैयार करने की ही नहीं बल्कि बड़ी जिम्मेदारी देने की रणनीति बनाई है.
गांव स्तर पर महिला नेतृत्व खड़ा करना
बीजेपी ने यूपी पंचायत चुनाव के जरिए गांव स्तर पर नेतृत्व तैयार करने के लिए ग्राम प्रधान तक के चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है. बीजेपी प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने बुधवार को कहा कि पार्टी के नेता और पदाधिकारियों को चाहिए कि वे महिलाओं की ऐसी टीम तैयार करें, जो पंचायत चुनाव लड़ सकें और चुनाव में जीत दर्ज कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें. साथ ही उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव में बीजेपी का कोई भी पदाधिकारी और कार्यकर्ता अपनी पत्नियों को चुनाव नहीं लड़ा सकेंगे.
बीजेपी महिला कार्यकर्ता की सूबे में एक नई टीम तैयार करने की रणनीति अपनाई है. पंचायत चुनाव के जरिए बीजेपी अपने महिला संगठन को गांव-गांव तक खड़ा करना चाहती है. फिलहाल बीजेपी के संगठन के साथ जो महिलाएं जुड़ी हुई हैं, उनके ज्यादातर शहरी इलाके से हैं. हालांकि, बीजेपी एक समय शहरी पार्टी मानी जाती थी, लेकिन पार्टी का राजनीतिक आधार जिस तरह से ग्रामीण स्तर पर बढ़ा है. बिहार चुनाव में साइलेंट वोटर की भूमिका को देखते हुए बीजेपी ने यूपी में भी गांव स्तर पर महिलाओं को पार्टी से जोड़ने की कवायद शुरू की है.
पंचायत में महिलाओं का प्रतिनिधित्व
बता दें कि उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में 33 फीसदी महिला आरक्षण है. सूबे में कुल 59,163 प्रधान चुने जाते हैं. इसके अलावा ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य की 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, जहां बीजेपी ने अपने महिला कार्यकर्ता को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है. इस फॉर्मूले के जरिए बीजेपी का यूपी के हर एक गांव में महिला नेतृत्व खड़ा हो जाएगा, जो 2022 के विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ के लिए सियासी तौर पर बड़ा फायदा दिला सकता है.
बीजेपी ने 2017 के बाद यूपी में राज्यसभा चुनाव में महिलाओं का प्रतिनिधित्व जरूर रखा है. 2018 में बीजेपी ने कांता कर्दम को राज्यसभा भेजा तो 2020 में जौनपुर की सीमा द्विवेदी औरैया की जुझारू नेता गीता शाक्य को उच्च सदन भेजा. इसके अलावा 2018 में बीजेपी ने सरोजनी अग्रवाल को विधान परिषद भेजा था. इस तरह से बीजेपी ने महिलाओं को खास तवज्जो दी है.
यूपी में महिला वोटर की भूमिका
यूपी चुनाव आयोग के मुताबिक 14.40 करोड़ मतदाता हैं. इसमें 7.79 करोड़ पुरुष और 6.61 करोड़ महिला वोटर हैं. हालांकि, यह आंकड़ा 2019 के लोकसभा चुनाव का है, जो 2022 के चुनाव में बढ़ सकता है. इससे साफ तौर पर समझा जा सकता है कि सूबे में महिला वोटर कितनी अहम ताकत रखती हैं, जिन्हें साधने में महिला कार्यकर्ताएं कितना अहम साबित हो सकती हैं. अब बीजेपी ने महिला कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि बूथों तक जाएं और पार्टी को मजबूत करें.
मोदी की महिलाओं के लिए योजनाएं
बता दें कि महिलाओं का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी कई योजनाओं पर विश्वास 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दिखा है. बीजेपी संगठन से लेकर सत्ता तक महिला सशक्तिकरण और सरकार की उपलब्धियों पर केंद्रित रही है. केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना, शौचालयों का निर्माण, पक्का घर, मुफ्त राशन, महिलाओं को आर्थिक मदद जैसी कई ऐसी योजनाएं हैं, जिनका सीधा लाभ महिलाओं को होता है. मुद्रा योजना के तहत सर्वाधिक जोर अनुसूचित समाज की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर है.
बीजेपी के यूपी प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन ने आजतक से बताया कि आधी आबादी को सशक्त एवं स्वावलंबी बनाने के लिए उनकी शिक्षा, सुरक्षा, आत्मनिर्भरता एवं सशक्तिकरण पर हमारा जोर है. महिलाओं के सशक्त हुए बिना कोई राष्ट्र व समाज विकास नहीं कर सकता है. इसके मद्देनजर बीजेपी ने महिलाओं को चुनाव में लड़ाने का फैसला किया है. इसके अलावा हमने अपने संगठन में भी महिलाओं को बड़ी तदाद में शामिल किया है.
कुबूल अहमद