विकास दुबे ने 22 साल पहले भी पुलिस पर किया था हमला, हिरासत से हुआ था फरार

बदमाशों ने पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट कर विकास और उसके साथी को छुड़ा लिया. एसएसआई की ओर से तब दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार विकास दुबे ने जान से मारने की धमकी भी दी थी.

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गैंगस्टर विकास दुबे (फाइल फोटो) गैंगस्टर विकास दुबे (फाइल फोटो)

कुमार अभिषेक

  • कानपुर,
  • 19 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 5:35 PM IST

  • तब पुलिसकर्मियों की फटी थी वर्दी भी
  • एसएसआई ने दर्ज कराई थी शिकायत

कानपुर के बिकरू गांव में दबिश देने गई पुलिस टीम पर हमले और इस घटना में 8 पुलिसकर्मियों के शहीद होने के बाद से ही विकास दुबे का नाम चर्चा में है. कानपुर पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने विकास दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया, लेकिन उसे लेकर हर दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं.

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बिकरू गांव में 2 जुलाई की रात पुलिस पर हमला हुआ था. ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ था. गैंगस्टर विकास दुबे पहले भी ऐसा कर चुका है. विकास दुबे 22 साल पहले भी ऐसा कर चुका था. तब 5 मई 1998 को बिकरू गांव में पुलिस ने एक मुकदमे के सिलसिले में मुख्य अभियुक्त रहे विकास दुबे समेत दो अभियुक्तों को पकड़ा था. पुलिस के मुताबिक तब विकास की मां, पत्नी और भाई के साथ 16 अज्ञात बदमाशों ने अवैध असलहों के साथ पुलिस टीम पर हमला कर दोनों को छुड़ा लिया था. वे फरार हो गए थे. तब वह गांव का ग्राम प्रधान भी था.

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तब विकास को पकड़ने वाले एसएसआई बिजेंद्र सिंह ने इस मामले में शिकायत भी दर्ज कराई थी. एसएसआई सिंह मुखबिर से मिली सूचना के आधार पर मुख्य अभियुक्त विकास दुबे के घर से एक मुकदमे में वांछित अपराधियों को पकड़ने गए थे. एफआईआर के मुताबिक मुखबिर के इशारे पर पुलिस ने विकास दुबे और एक अन्य को पकड़ लिया और थाने ले जाने के लिए अपनी जीप में बैठा भी लिया. लेकिन इसी बीच अवैध हथियारों से लैस बदमाशों के साथ विकास दुबे की मां, पत्नी और भाई पहुंच गए.

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बदमाशों ने पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट कर विकास और उसके साथी को छुड़ा लिया. एसएसआई की ओर से तब दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार विकास दुबे ने जान से मारने की धमकी भी दी थी. इस घटना में पुलिसकर्मियों की वर्दी भी फट गई थी. सिंह की शिकायत में साफ कहा गया है कि आरोपी बिकरू गांव का ग्राम प्रधान है और इसके आतंक, गुंडागर्दी के कारण गांव को कोई भी व्यक्ति गवाही देने को तैयार नहीं है.

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गौरतलब है कि 2 जुलाई की रात पुलिसकर्मियों पर हमले की जघन्य वारदात से पहले तक विकास दुबे का नाम थाने के हिस्ट्रीशीटर की लिस्ट में भी नहीं था. बिकरू कांड के बाद पुलिस ने उसके सर पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया. बाद में इसे बढ़ाते-बढ़ाते पांच लाख रुपये कर दिया गया था. विकास दुबे मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल मंदिर से पकड़ा गया था. उज्जैन पुलिस से हैंडओवर लेकर यूपी पुलिस और एसटीएफ की टीम विकास दुबे को लेकर कानपुर आ रही थी.

विकास दुबे को लेकर आ रही पुलिस टीम का वह वाहन दुर्घटनाग्रस्त होकर सड़क पर पलट गया, जिसमें विकास दुबे सवार था. पुलिस के मुताबिक विकास ने घायल पुलिसकर्मियों की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की. कॉम्बिंग कर विकास दुबे से सरेंडर करने के लिए कहा गया, लेकिन वह पुलिस टीम पर फायरिंग करने लगा. जवाबी कार्रवाई में उसे मार गिराया गया.

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