अखिलेश यादव निर्विरोध सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए, 2017 से हैं इस पद पर

अखिलेश यादव को निर्विरोध सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए हैं. वे 2017 से इस पद पर हैं. सपा सांसद राम गोपाल यादव ने लखनऊ में चल रहे सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में ये ऐलान किया. इससे पहले बुधवार को नरेश उत्तम पटेल को फिर से सपा का प्रदेश अध्यक्ष चुना गया था.

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अखिलेश यादव को सपा का अध्यक्ष चुना गया. अखिलेश यादव को सपा का अध्यक्ष चुना गया.

aajtak.in

  • लखनऊ,
  • 29 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 12:00 PM IST

अखिलेश यादव को निर्विरोध सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए हैं. वे 2017 से इस पद पर हैं. सपा सांसद राम गोपाल यादव ने लखनऊ में चल रहे सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में ये ऐलान किया. इससे पहले बुधवार को नरेश उत्तम पटेल को फिर से सपा का प्रदेश अध्यक्ष चुना गया था. 


 

 


पीएम बनने का सपना नहीं- अखिलेश यादव

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इससे पहले बुधवार को अखिलेश यादव ने सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद इशारों में कहा था कि वो प्रधानमंत्री की रेस में नहीं हैं. लेकिन वो बीजेपी को हराने के लिए विपक्ष में अहम भूमिका निभाना चाहते हैं. अखिलेश यादव ने सपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि मैं अपने प्रतिनिधियों के सामने कहना चाहता हूं, ये लड़ाई बड़ी है. हमारा कोई ऐसा सपना नहीं है, कि उस स्थान (पीएम पद) पर पहुंचे. लेकिन समाजवादियों का सपना ये जरूर है कि समाज को बांटने वाली ताकतें हैं, उन्हें बाहर निकालने का काम हम सब लोग मिलकर करें.  

2000 में अखिलेश ने लड़ा था पहला चुनाव

अखिलेश यादव ने 24 नवंबर 1999 को डिपंल सिंह से शादी की. इसके बाद अख‍िलेश यादव सक्र‍िय राजनीत‍ि में आए और 2000 में उन्‍होंने पहला चुनाव लड़ा.  

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27 की उम्र में सांसद बन गए थे अखिलेश

2000 में कन्नौज लोकसभा का उपचुनाव अखिलेश यादव ने लड़ा था. 27 साल की उम्र में अखिलेश यादव सांसद बन गए थे. अखिलेश यादव ने 2004 में भी कन्नौज से चुनाव लड़ा और दूसरी बार जीते. 2009 में अखिलेश यादव दो सीटों (कन्नौज और फिरोजाबाद) से लोकसभा का चुनाव लड़े और दोनों सीटों पर जीत दर्ज की. फिर फिरोजाबाद सीट छोड़ दी थी.

अखिलेश यादव के लिए 2012 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव गेमचेंजर साबित हुआ. इस चुनाव में सपा ने 224 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल किया. मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे अखिलेश यादव की मेहनत का ईनाम उन्हें मुख्यमंत्री का पद सौंप दिया था. हालांकि, उसके बाद 2017 और 2022 में उनके नेतृत्व में लड़े गए दो विधानसभा में सपा को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा. 2019 लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन के फॉर्मूले को भी जनता ने नकार दिया था. 

 



 

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