उत्तर प्रदेश शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी की हरे रंग पर चांद तारा बने झंडे पर आपत्ति जताने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. रिजवी ने देशभर की इमारतों और धार्मिक स्थानों पर इस झंडे को फहराने पर रोक लगाने की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि वो चांद-सितारे वाले हरे झंडे को बैन करने की याचिका पर अपना जवाब दे.
जस्टिस एके सिकरी की अध्यक्षता वाली दो जजों की बेंच ने रिजवी की ओर से पेश हुए वकील से याचिका की एक प्रति अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को देने के लिए कहा ताकि वह केंद्र की तरफ से जवाब दे सकें.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार की इस बारे में राय जानने के बाद ही याचिका पर कोई फैसला सुनाया जा सकता है. ऐसे में केंद्र सरकार इस मामले को गंभीरता से ले.
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले वसीम रिजवी की दलील है कि हरे कपड़े पर चांद तारा निशान वाले मुस्लिम लीग के इस झंडे का इस्लामी मान्यताओं से कोई लेना देना नहीं. न तो हरा रंग और ना ही चांद तारा इस्लाम के अभिन्न अंग हैं.
इससे मिलता-जुलता पाकिस्तान का झंडा है और इस्लाम के नाम पर ऐसे झंडे लहराने वाले दरअसल पाकिस्तान के साथ खुद का जुड़ाव महसूस करते हैं.
रिजवी ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि दरअसल ये झंडा 1906 में बनी मुस्लिम लीग का था जो 1946 में खत्म हो गई. देश के बंटवारे के जिम्मेदारों में से अहम किरदार निभाने वाली मुस्लिम लीग ने 1947 में पाकिस्तान में नया चोला पहना और नए नाम के साथ, लेकिन अपना झंडा और निशान वही चांद तारा वाला हर झंडा रखा.
पाकिस्तान का झंडा भी मुस्लिम लीग के झंडे में ही एक सफेद पट्टी लगाकर तैयार किया गया. इस्लाम के नाम पर ऐसे झंडे इमारतों की छतों पर फहराना दरअसल अपने देश के संविधान, स्वतंत्रता और संप्रभुता का उल्लंघन है. संविधान इसकी कतई इजाजत नहीं देता कि लोग धर्म या सेक्युलरिज्म की आड़ में दुश्मन देश की एक खास राजनीतिक पार्टी का झंडा अपने घरों, इमारतों या अन्य सार्वजनिक जगहों पर फहराएं.
इस्लाम में काला रंग खास
रिजवी के मुताबिक इस्लाम में वैसे हरा नहीं बल्कि काला रंग ज्यादा अहमियत रखता है. हजरत मोहम्मद साहब को भी काला रंग ज्यादा पसंद था. तभी उनका एक नाम काली कमली वाले भी है. हदीस भी बताते हैं कि हजरत मोहम्मद साहब काला अमामा पहनते थे साथ ही काबा शरीफ पर गिलाफ भी काले रंग का ही है.
इतिहास गवाह है कि हजरत मोहम्मद साहब जब काबे में दाखिल हुए थे तो उनके हाथों में हरा नहीं बल्कि शांति और अमन का निशान सफेद झंडा लहरा रहा था. ना कि कोई हरा.
कुबूल अहमद