कार्ति चिदंबरम को SC से राहत नहीं, CBI ने लगाया सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप

कार्ति की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार इतनी भी लाचार नहीं है कि उसकी जानकारी के बगैर कोई विदेश यात्रा पर चला जाए. अगर सबूत इतने ही पुख्ता हैं तो वो कार्ति का पासपोर्ट जब्त क्यों नहीं कर लेती.

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मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 6:58 PM IST

सीबीआई के लुक आउट नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पहुंचे कार्ति चिदंबरम को गुरुवार को भी राहत नहीं मिली. कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई जारी रखी, ये अलग बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की भी नहीं सुनी. कोर्ट ने सीबीआई को कहा कि वो जो तीन सीलबंद लिफाफे यहां दिखा रही है वो मद्रास हाईकोर्ट को क्यों नहीं सौंपती, क्योंकि मूल याचिका पर तो वहीं सुनवाई हो रही है.

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सीबीआई ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच के सामने चल रही सुनवाई के दौरान फिर तीन सीलबंद लिफाफे हवा में लहराते हुए कहा कि माई लॉर्ड, इन लिफाफों में जो सबूत हैं उन्हें देखकर आप भी दंग रह जाएंगे. सरकार और सीबीआई की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता ने कहा कि इन सीलबंद लिफाफों में मौजूद दस्तावेज इस बात की तसदीक करते हें कि इस साल हुई विदेश यात्राओं के दौरान मुलजिम कार्ति चिदंबरम ने अपने विदेशी बैंक खातों में से बड़ी बड़ी रकम का लेन देन किया है. कुछ खाते इन्होंने बंद भी किये हैं और कई बंद करने की तैयारी है, यानी सबूतों से छेड़छाड़ जारी है. ऐसे में इनके खिलाफ लुक आउट नोटिस बरकरार रहना जरूरी है.

लुकआउट नोटिस के बारे में सफाई देते हुए सीबीआई ने कहा कि इसका मकसद कार्ति की गिरफ्तारी कतई नहीं है. बल्कि ये तो उनको विदेश जाने से रोकने के लिए है ताकि सबूतों से छेड़छाड़ या नष्ट किये जाने से रोका जा सके. यानी वो कानून की पहुंच से दूर ना जा सकें और ना ही सबूतों से छेड़छाड़ कर सकें.

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इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल किया कि ये तो मद्रास हाईकोर्ट ने भी व्यवस्था कर दी है कि कार्ति विदेश जाने से तीन दिन पहले जांच अधिकारी को बताएंगे और सीबीआई उन पर जो शर्तें लगाना चाहे लगा दे, तो इसमें भी क्या परेशानी है. इस पर एएसजी तुषार मेहता ने कुछ मोहलत मांगी ताकि सीबीआई से इस बिंदु पर बातचीत की जा सके.

वहीं कार्ति की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार इतनी भी लाचार नहीं है कि उसकी जानकारी के बगैर कोई विदेश यात्रा पर चला जाए. अगर सबूत इतने ही पुख्ता हैं तो वो कार्ति का पासपोर्ट जब्त क्यों नहीं कर लेती. कार्ति और उसके परिवार के खिलाफ सीबीआई की इस कार्रवाई के पीछे सरकार की बदनीयती है. इस मामले की अगली सुनवाई 9 अक्तूबर को होगी, यानी तब तक तो कार्ति विदेश नहीं जा सकते हैं.

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