कौन हैं बीएल संतोष, जिन्हें BJP में मिला अमित शाह के बाद दूसरा सबसे ताकतवर पद

कर्नाटक में संघ के हार्डलाइनर प्रचारक की छवि रखने वाले संतोष चुनावों के दौरान वार रूम के कुशल संचालन के लिए जाने जाते हैं. रहते लो प्रोफाइल हैं, लेकिन परदे के पीछे रणनीति बनाने में माहिर माने जाते हैं.

Advertisement
बीजेपी के संगठन महासचिव बने बीएल संतोष (फोटो-Twitter) बीजेपी के संगठन महासचिव बने बीएल संतोष (फोटो-Twitter)

नवनीत मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 10:30 PM IST

बीजेपी में पिछले 13 वर्षों से राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) का पद संभाल रहे रामलाल की विदाई के बाद अब बीएल संतोष को यह जिम्मेदारी मिली है. बीजेपी की ओर से रविवार को यह जानकारी सार्वजनिक की गई. बीएल संतोष अब तक रामलाल के सहयोगी के तौर पर न सिर्फ पार्टी में संयुक्त महासचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, बल्कि दक्षिण भारत के प्रभारी के तौर पर संबंधित राज्यों में बीजेपी के प्रसार की ज़िम्मेदारी भी उन पर रही.

Advertisement

कर्नाटक में संघ के हार्डलाइनर प्रचारक की छवि रखने वाले संतोष चुनावों के दौरान वार रूम के कुशल संचालन के लिए जाने जाते हैं. रहते लो प्रोफाइल हैं, लेकिन परदे के पीछे रणनीतियां बनाने में माहिर माने जाते हैं. हालांकि उनकी साफगोई कई बार बीजेपी को असहज भी कर जाती है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को भी कर्नाटक में येदियुरप्पा से उनकी सियासी मुठभेड़ को लेकर अतीत में कई बार दखल देना पड़ा है.

इंजीनियर, अविवाहित और प्रचारक

कर्नाटक के शिवमोगा जिले से नाता रखने वाले बी एल संतोष पेशे से केमिकल इंजीनियर रहे हैं. आरएसएस की विचारधारा इस कदर मन में रच बस गई कि इस इंजीनियर ने गृहस्थ जीवन बसाने का इरादा ही छोड़ दिया. अविवाहित रहते हुए बीएल संतोष संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन गए.  कर्नाटक सहित दक्षिण भारत के आधे दर्जन राज्यों में संघ और अनुषांगिक संगठनों में भूमिकाएं निभाते रहे.

Advertisement

बीजेपी में आए तो BSY न सुहाए

आरएसएस ने प्रचारक के रूप में काम करने वाले बीएल संतोष को बाद में बीजेपी में भेज दिया. तब वह कर्नाटक प्रदेश संगठन में आरएसएस कोटे से संगठन महामंत्री बने. 2008 के विधानसभा चुनाव में बीएल संतोष ने पर्दे के पीछे रहकर पूरी रणनीति तैयार की थी. जिसका नतीजा रहा कि बीजेपी को चुनाव में जीत मिलने पर दक्षिण के इस सूबे में सत्ता नसीब हुई. मगर बाद में बीएल संतोष की येदियुरप्पा से खटपट शुरू हो गई. वह येदियुरप्पा की छवि को पार्टी के लिए खतरा मानते रहे.

रामलाल की जगह बीएल संतोष बनाए गए बीजेपी के संगठन महासचिव

जब 2011 में जमीन विवाद में येदियुरप्पा फंसे तो उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था. बताया जाता है कि येदियुरप्पा को बीएल संतोष की ओर से केंद्रीय नेतृत्व के सामने भूमिका बांधने और दबाव डालने की वजह से ही इस्तीफा देना पड़ा था. तब से दोनों के बीच दूरियां और बढ़ गईं. खटपट ज़्यादा बढ़ने पर बीजेपी ने बीएल संतोष को राष्ट्रीय टीम में बतौर संयुक्त महासचिव बुला लिया.

सूत्रों का कहना है कि बीएल संतोष भले ही अब बीजेपी की राजनीति में हैं, लेकिन वह विभिन्न मुद्दों पर स्टैंड प्रचारक वाला ही लेते हैं. कर्नाटक में येदियुरप्पा की पॉलिटिक्स को पार्टी की इमेज ख़राब करने वाला बताते हुए कई बार नाराजगी ज़ाहिर कर चुके हैं.

Advertisement

यहां तक कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह जब लोकसभा चुनाव के पहले बेंगलूरु के तीन दिवसीय दौरे पर पहुंचे थे तो उन्होंने संतोष और येदियुरप्पा को एक साथ बैठाकर उनसे मिलकर काम करने का वादा लिया था. लेकिन फिर भी दोनों नेताओं के बीच की दूरियां कम नहीं हुईं.

सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले संतोष का चुनाव के दौरान एक फेसबुक पोस्ट भी चर्चा में रहा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि टीम भावना से काम न करने वाले सफल नहीं होते. इस कमेंट को येदियुरप्पा से जोड़कर देखा गया था. हालांकि येदियुरप्पा कैंप आरोप लगाता रहा है कि भले ही बीएल संतोष राष्ट्रीय टीम में हैं, मगर निगाह उनकी कर्नाटक पर ही रहती हैं, वह बीजेपी में येदियुरप्पा की जगह खुद को सीएम पद का दावेदार होते देखना चाहते हैं, जबकि बीएल संतोष कैंप के लोग इस बात को ख़ारिज करते हुए कहते हैं, 'वह पूर्णकालिक प्रचारक हैं, कर्नाटक में बीजेपी संगठन की चिंता करने का मतलब सीएम पद की महत्वाकांक्षा नहीं है.'

क्यों अहम होता है महासचिव संगठन का पद?

भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव भले ही कई हो सकते हैं, लेकिन महासचिव संगठन का पद एक होता है. अध्यक्ष के बाद यह दूसरा सबसे ताकतवर पद होता है. इस पद पर आरएसएस से प्रतिनियुक्ति पर आए किसी प्रचारक की ही नियुक्ति होती है. इसी तरह प्रदेशों में भी संगठन मंत्री का पद सिर्फ आरएसएस प्रचारक या पृष्ठिभूमि से जुड़े व्यक्ति को ही मिलता है. संगठन महासचिव का काम बीजेपी और आरएसएस के बीच समन्वय का होता है. एक तरह से देखें तो बीजेपी की नीतिगत बैठकों में महासचिव संगठन आरएसएस का प्रतिनिधित्व करता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement