ऑपरेशन चिरंजीवी: मुफ्त इलाज के लिए भटकते लोग, स्टिंग के बाद अस्पतालों पर एक्शन का आदेश

राजस्थान में आम लोगों को अस्पताल में कैशलेस इलाज के लिए शुरू की गई 30 हजार करोड़ की योजना का सच संवाददाता शरत कुमार ने ऑपरेशन चिरंजीवी के तहत छिपे हुए कैमरे में कैद किया है, जहां इलाज कराने के नाम पर लोगों को लूटा जा रहा है.

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जयपुर का मेट्रो हॉस्पिटल जयपुर का मेट्रो हॉस्पिटल

शरत कुमार

  • जयपुर,
  • 22 जून 2021,
  • अपडेटेड 8:39 AM IST
  • स्टिंग में सामने आई चिरंजीवी स्कीम की सच्चाई
  • जयपुर के अस्पताल चिरंजीवी स्कीम के तहत नहीं करते इलाज

देश में केंद्र से लेकर तमाम राज्य सरकारें जनता को अस्पतालों में सस्ता इलाज दिलाने के लिए सरकारी बीमा योजनाएं चलाती हैं, लेकिन वही योजनाएं प्राइवेट अस्पतालों के दरवाजे पर जाकर दम तोड़ने लगती हैं. ऐसी ही एक स्कीम राजस्थान में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा के नाम से शुरु हुई. आम लोगों को अस्पताल में कैशलेस इलाज के लिए 30 हजार करोड़ की योजना का सच संवाददाता शरत कुमार ने ऑपरेशन चिरंजीवी के तहत छिपे हुए कैमरे में कैद किया है. 

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दरअसल, कोरोना के इलाज में भारतीय नागरिकों ने 66,000 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च किए हैं. कोविड काल से लोग जहां स्वास्थ्य पर 5% खर्च करते थे, वो बढ़कर 12 प्रतिशत हो चुका है यानी 100 रुपए कमाने वाला अगर 5 रुपए इलाज में खर्च करता था तो वो बढ़कर 12 रुपए अब हो चुका है. आम आदमी ने अपनों के इलाज में दर्द सहा है औऱ जिंदगी भर का कर्ज परिवार पर चढ़ा है.

इसी कर्ज से बचाने के लिए राजस्थान में अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार ने अप्रैल महीने में अपनी तस्वीर और अपने पद के साथ मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत की. इस दावे के साथ कि हर गरीब, सरकारी कर्मचारी, संविदाकर्मी, किसान को बिना प्रीमियम भरे राजस्थान के सरकारी और निजी अस्पताल में मुफ्त इलाज मिलेगा, जबकि कोई भी आम आदमी 850 रुपए का प्रीमियम भरकर गहलोत सरकार की चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना में 5 लाख का हेल्थ इंश्योरेंस का फायदा ले सकता है.

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यह ऐसी सरकारी बीमा है, जिसमें भर्ती होने के 5 दिन पहले से लेकर डिस्चार्ज होने के 15 दिन बाद तक सारा खर्चा उठाने का दावा हुआ. कोरोना और ब्लैक फंगस जैसी बीमारी तक का पूरा खर्च चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना में कवर किए जाने का दावा हुआ और इसी स्वास्थ्य योजना को लागू करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूरे देश की सरकारों के बीच अपनी योजना से दबाव बनाने की बात तक की.

लेकिन आजतक संवाददाता शरत कुमार जब बूंदी के हंसराज पांचाल के घर पहुंचते हैं तो रोता बिलखते परिवार के लोगों से हकीकत पता चलता है. सरकारी चिंरजीवी योजना के दावे के बावजूद जयपुर के सीकेएस अस्पताल ने सात लाख रुपए का बिल बनाया, कर्जा चढ़ाया. चिरंजीवी योजना के नाम पर मुफ्त इलाज का सरकारी वादा धरा का धरा रह गया. ना हंसराज बचे, ना पैसे.

इसी रिपोर्ट के बाद आजतक संवाददाता शरत कुमार ने जनता के हित के बड़े ऑपरेशन को अंजाम देने निकल पड़े. ये जानने के लिए कि क्या राजस्थान में जो मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के नाम पर मुफ्त इलाज का ढिंढोरा पीटा जाता है, क्या ये सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना वाकई मददगार है या फिर दूर के ढोल सुहाने लगते हैं ? 

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ऑपरेशन 'चिरंजीवी'
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने ब्लैक फंगस का भी मुफ्त इलाज चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में कर रखा है, लेकिन क्या जयपुर के सीकेएस अस्पताल के इंचार्ज सौरभ सरकार की योजना पर इलाज करते हैं. खुफिया कैमरे में आजतक रिपोर्टर शरत कुमार ने अस्पताल प्रबंधन से बातचीत को कैद कर लिया. सुनिए कुछ अंश-

रिपोर्टर- हमारे मरीज़ को ब्लैक फंगस है, चिरंजीवी में ऑपरेशन हो जाएगा
अस्पताल कर्मचारी- नहीं सर
रिपोर्टर- क्यों
उत्तर- हमारे पास पैकेज नहीं है
रिपोर्टर- सरकार ने तो बोला है
उत्तर- सरकार ने बोला है मगर हमारे पास ENT डॉक्टर जुड़ा हुआ नहीं है इसलिए नहीं करेंगे 

सीकेएस अस्पताल का नाम चिरंजीवी योजना यानी मुफ्त में इलाज करने वाली सरकारी योजना में लिस्ट है, तो फिर ये हॉस्पिटल क्या हंसराज पांचाल जैसे मरीजों से सिर्फ पैसा वसूलकर कर्जदार बनाएगा, मुफ्त में इलाज नहीं करेगा ?  

रिपोर्टर- चिरंजीवी में कवर है ही नहीं?
अस्पताल कर्मचारी- कवर का मना नहीं कर रहा हूं ,कवर तो है मगर कोई भी योजना है ,ना तो डॉक्टर का नाम नहीं है, इसके अंदर पहले की योजना में तो कोई भी डिपार्टमेंट वो करना ज़रूरी होता था, ऑटोमैटिक ऐंड होने से अब जब से आयुष्मान भारत योजना शुरूआत डॉक्टर का नाम ज़रूरी है, हमारे यहां ईएनटी कोएनकॉलॉजी के डॉक्टर नहीं है.

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रिपोर्टर -हमारे बहुत सारे लोगों ने कहा था कि यहां पर ऑपरेशन कराया है.
अस्पताल कर्मचारी- कराया है मैं मना नहीं कर रहा हूं, मगर चिरंजीवी योजना में नहीं कराया है
रिपोर्टर- कैश दिया है?
अस्पताल कर्मचारी--हां कैश में दिया है, कैश में तो मना ही नहीं कर रहा हूं, कैश में हो जाएगा, चिरंजीवी में नहीं होगा.  

यानी जयपुर का सीकेएस अस्पताल मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना के तहत जुड़ा होने के बावजूद ब्लैक फंगस का मुफ्त इलाज सरकारी योजना में नहीं करता. हां, मरीज कैश दे तो पैसा देने वाले मरीजों का इलाज होता है. तो फिर क्या सिर्फ ऐलान करके आम आदमी को सरकारी योजना का कार्ड देकर महंगे इलाज को भटकने के लिए मजबूर किया जाता है ? 

आजतक संवाददाता की जनहित वाली पत्रकारिता में अगली दस्तक दी गई जयपुर के मेट्रो अस्पताल पर, जिसकी इमारत तक जनता के पैसे से सरकार ने बनाई है. जयपुर के मेट्रो अस्पताल को लीज पर निजी मैनेजमेंट को दिया गया है. राजस्थान में कोरोना का इलाज भी चिरंजीवी योजना के तहत मुफ्त किए जाने की दुंदुंभी सरकार ने बजाई, लेकिन मेट्रो अस्पताल सरकार की भी नहीं सुनता. यहां चिरंजीवी योजना में मुफ्त इलाज करने से मना कर दिया गया.

रिपोर्टर- कोरोना के लिए नाम आपके हॉस्पिटल लिस्ट में दिया गया है.
अस्पताल कर्मचारी- दिया है, मना नहीं कर रहा हूं मैं , मगर यह फ़ैसिलिटी हमारे पास नहीं है, उन्होंने क्या किया है कि जो भी अस्पताल आयुष्मान भारत में हॉस्पिटल में है, उसका सब का नाम लिख दिया है, बग़ल का अस्पताल पूछ लो वो भी नहीं दे रहा है.
रिपोर्टर- मेरे जानकार कोरोना में हुए हैं एडमिट यहां
उत्तर-नाम क्या है
रिपोर्टर- नाम तो पता नहीं, अंकल है
उत्तर- वहीं तो, नाम बताओ, निकालकर दिखा दूंगा कि कौन सी कैटेगरी में है
रिपोर्टर- चिरंजीवी में नहीं थे उनका 
उत्तर - वही तब मैं बोल रहा हूं, कोरोना में इलाज हो रहा है मगर इसके अंदर नहीं हो रहा है
रिपोर्टर -उनका तो इन्सुरेंस था उसी में एडमिट हुए थे
उत्तर- कोरोना का इलाज हो रहा है वह तो मैं आपसे कह रहा हूं
रिपोर्टर- ये तो आप चिरंजीवी में नहीं कर रहे हैं
उत्तर- हां चिरंजीवी में नहीं ले रहे हैं कैश में ले रहे हैं. 

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यानी जयपुर में जनता के पैसे से बना मेट्रो अस्पताल मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में कोरोना का मुफ्त इलाज नहीं कर रहा. हां, कैश में इलाज कराने वाले मरीजों का स्वागत जरूर करता है. संवाददाता शरत कुमार ने इसके बाद इस इनवेस्टिगेशन को आगे बढ़ाया और इंडस जयपुर अस्पताल पहुंचे. ये अस्पताल भी चिरंजीवी योजना के तहत इलाज कराने की लिस्ट में शामिल है.

यहां छिपे हुए कैमरे पर ये पूछा गया कि क्या दूसरी बीमारियों का इलाज जनता के लिए सरकारी योजना के तहत मुफ्त किया जाता है ? 

रिपोर्टर- यूरोलॉजी का मामला है स्टोन का ऑपरेशन करवाना है चिरंजीवी में कवर हो जाता है
उत्तर- नहीं है
रिपोर्टर- चिरंजीवी में अस्पताल का नाम तो है मैडम
उत्तर - लेकिन नहीं ले रहे हैं
रिपोर्टर- कैश में हो जाएगा
उत्तर - हां कैश में तो हो जाएगा, डॉक्टर से बात कर लो
रिपोर्टर- चिरंजीवी में नहीं होगा ?पोर्टल पर तो आपके अस्पताल का नाम दिया हुआ है
उत्तर- दिया हुआ है मगर नहीं हो रहा है, ज़्यादा जानकारी आप पीछे सर से ले लीजिए

सोचिए अगर गरीब आदमी इलाज कराने सरकार के दावों के भरोसे आता होगा तो क्या होता होगा ? आजतक संवाददाता शरत कुमार इंडस जयपुर अस्पताल के प्रशासनिक कमरे की तरफ बढ़े, ताकि पता चल सके कि जो सरकार प्रचार करके ये बताती है कि मुफ्त इलाज की योजना शुरु कर दी, क्या वाकई वो मुफ्त में इलाज प्राइवेट अस्पताल करते हैं ?

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अस्पताल कर्मचारी- सर आप तो सोच रहे हो कि कैशलेस हो जाए मगर कैशलेस तो नहीं होगा. सब कुछ होने के बाद भी नहीं मिलता है...आप कंपनी में मोटा अमाउंट दे रहे हो उनका भी यहाँ एडमिट हो जाता है और बाद में नहीं होता है.

रिपोर्टर- यहां तो सरकार में कहा है। 
अस्पताल कर्मचारी- तो अभी आपको मैं दिखाऊँगा के बिल कंपनियों में डाल दिया, कंपनी ने रिजेक्ट कर दिया, आप तो चाहते हो कि कैशलेस के लिए बोला है तो हो जाए, मेरे हाथ में क्या है, हम आपका केवल डाटा प्रोसेस कर देते हैं, इसकी गारंटी नहीं दे सकते हैं.

यानी इंडस जयपुर अस्पताल में भी मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना में मुफ्त इलाज देने के नाम पर टाला जाता है. कैशलेश इलाज की जगह पहले मरीज से पैसा भरने को कहा जाता है, दावा होता है कि बाद में क्लेम का पैसा आया तो अस्पताल जमा रकम वापस करेगा.

ऑपरेशन चिरंजीवी का असर
आजतक के ऑपरेशन चिकंजीवी से राजस्थान सरकार हरकत में आ गई है. राजस्थान सरकार ने देर रात चिरंजीवी योजना से इलाज करने वाले अस्पतालों की शिकायत के लिए गाइडलाइन जारी की. आदेश में कहा गया है कि निजी अस्पतालों से चिरंजीवी योजना के तहत मुफ़्त इलाज नहीं देने की बात सामने आयी है, ऐसे अस्पतालों के ख़िलाफ़ सरकार कार्रवाई करेगी.

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राजस्थान सरकार ने चिरंजीवी योजना के तहत मुफ़्त इलाज नहीं देने वाले अस्पतालों की शिकायत के लिए गाइडलाइन भी तय की है. ऐसे अस्पतालों की शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 181 पर की जा सकती है. अगर कोई ऑफ़लाइन शिकायत करना चाहता है तो योजना के नोडल अधिकारी या मुख्य चिकित्सा अधिकारी या जिला कलेक्टर के दफ़्तर में इसके लिए व्यवस्था की जाएगी. फिर यह शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 181 पर करेगा.

जिला कलेक्टर हर सप्ताह शिकायतों की समीक्षा कर तीन दिन के अंदर शिकायतकर्ता को जवाब देना होगा. अस्पताल की लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई करने के लिए सक्षम अधिकारी या जिला कलेक्टर स्वतंत्र होगा.

 

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