पंजाब में औद्योगिक विकास और निवेश को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई वाली सरकार ने बुधवार को एक ऐतिहासिक फैसला लिया. राज्य कैबिनेट की बैठक में राइट टू बिजनेस एक्ट (Right To Business Act) में महत्वपूर्ण संशोधनों को मंजूरी दी गई है. इस बदलाव से अब पहले की तुलना में दो से तीन गुना अधिक उद्योग इस अधिनियम के दायरे में आएंगे और उन्हें निर्धारित समयसीमा में मंजूरी प्राप्त होगी.
कैबिनेट मंत्री संजीव अरोड़ा ने बैठक के बाद बताया कि पहले इस अधिनियम के तहत केवल उन इकाइयों को लाभ मिलता था जिनका निवेश 25 करोड़ रुपये तक था, लेकिन अब इस सीमा को बढ़ाकर 125 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इसका सीधा असर यह होगा कि अधिक संख्या में उद्योग बिना देरी के औद्योगिक गतिविधियां शुरू कर पाएंगे.
उन्होंने बताया कि सरकार ने इस कानून के तहत विभिन्न मंज़ूरियों की समयसीमा तय कर दी है, ताकि निवेशकों को लंबी प्रक्रियाओं का सामना न करना पड़े. रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स को अब पांच दिन के भीतर मंजूरी मिल जाएगी, वहीं नए औद्योगिक प्रोजेक्ट्स जिन्हें रियल एस्टेट या पार्क श्रेणी में शामिल नहीं किया गया है, उन्हें 15 दिन में स्वीकृति प्रदान की जाएगी. इसके अतिरिक्त, यदि कोई उद्योग अपने उत्पादन का विस्तार करना चाहता है, तो उसे अधिकतम अठारह दिनों में मंजूरी मिल जाएगी.
मंत्री संजीव अरोड़ा ने बताया कि संशोधित अधिनियम में अब पांच नई मंजूरियां भी जोड़ी गई हैं. इनमें श्रम विभाग से अनुमति, फैक्टरी लाइसेंस की मंजूरी, प्रदूषण विभाग से स्थापना की सहमति और संचालन की सहमति तथा वन विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) शामिल हैं. इसके अलावा रियल एस्टेट परियोजनाओं को भी अधिनियम के दायरे में लाया गया है, जिससे PUDA या स्थानीय निकायों के अंतर्गत आने वाले सभी प्रोजेक्ट्स को तेजी से स्वीकृति मिल सकेगी.
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कानून का लाभ केवल ग्रीन और ऑरेंज श्रेणी के उद्योगों को मिलेगा, जबकि रेड और खतरनाक उद्योग अभी इसके अंतर्गत शामिल नहीं किए गए हैं. हालांकि, राज्य सरकार का प्रयास है कि ज़्यादा से ज़्यादा उद्योग इस व्यवस्था में कवर हो सकें. मंत्री ने भरोसा दिलाया कि कोई भी औद्योगिक इकाई यदि आवश्यक फॉर्म भरकर राइट टू बिजनेस एक्ट में आवेदन करती है, तो उसे पांच से 18 दिनों के भीतर सभी मंजूरियां उपलब्ध करा दी जाएंगी.
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