जब मुलायम पर चलाई गईं ताबड़तोड़ गोलियां, बाल-बाल बची थी नेताजी की जान, पढ़ें सपा संस्थापक के अनसुने किस्से

पहलवान से लेकर नेताजी बनने तक मुलायम सिंह यादव के जीवन के कई किस्से हैं. जवानी के दिनों के अपने जुनून (कुश्ती) के दांव-पेंच उन्होंने सियासत में भी खूब अपनाए. बस उनको अपनाने का स्टाइल कुछ अलग था. साथ ही एक दौर की राजनीति ऐसी भी थी जब मुलायम सिंह यादव पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गईं. इस हमले में मुलायम की जान बाल-बाल बची थी.

Advertisement
मुलायम सिंह यादव (फाइल फोटो) मुलायम सिंह यादव (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 1:38 PM IST

नेताजी के नाम से मशहूर सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का सोमवार सुबह निधन हो गया. ऐसे में हर कोई मुलायम सिंह को अपने तरीके से याद कर रहा है. हालांकि मुलायम जमीन से जुड़े नेता थे तो हर किसी के पास उन्हें याद करने के अपने पल हैं. एक वक्त तो ऐसा भी आया था कि मुलायम सिंह पर गोलियां चलाई गई थीं.

Advertisement

मुलायम पर चली थीं गोलियां 

तारीख 8 मार्च 1984 की है जब मुलायम सिंह यादव की जान बाल-बाल बची थी. मुलायम सिंह यादव उस वक्त लोकतांत्रिक मोर्चा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष थे. मुलायम इटावा दौरे पर निकले थे कि अचानक उनकी कार पर दो बाइक सवार हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं. कार पर कुल 9 राउंड की फायरिंग की गई. इस हमले में मुलायम सिंह के एक सहयोगी की मौत हो गई, लेकिन गोली चलाने वाले छोटेलाल को भी मौके पर ही सुरक्षा कर्मियों ने मौत के घाट उतार दिया. दूसरे हमलावर नेत्रपाल को भी गंभीर चोटें आईं. 

हमले के बाद मुलायम सिंह ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि मेरी हत्या की साजिश रची गई थी, लेकिन मैं भगवान की दुआ से बच गया. मुझे कुछ समय पहले लोगों ने बताया था कि मुझपर हमला हो सकता है, लेकिन मुझे भरोसा नहीं हुआ. मुलायम सिंह पर हमले का आरोप तत्कालीन ग्राम विकास मंत्री और कांग्रेस नेता बलराम सिंह यादव के समर्थकों पर लगा. इटावा के उस समय के लोकदल अध्यक्ष रहे महाराज सिंह ने आरोप लगाया कि सत्ता में बैठी कांग्रेस अपराधियों की मदद से अपनी राजनीति आगे बढ़ाना चाहती है. 2017 में सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया तो पीएम मोदी ने कहा था कि अखिलेश यादव ने उस पार्टी के साथ हाथ मिला लिया, जिसने कभी उनके पिता पर हमला कराया था. 

Advertisement

बदलते वक्त के साथ गुरु भी बदले 

मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस विरोध से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी. 1967 में पहली बार राम मनोहर लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर जसवंतनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर वे विधायक बने. लोहिया उनके राजनीतिक गुरु थे. 1968 में लोहिया के देहांत के बाद मुलायम सिंह यादव बीकेडी में चले गए. इस दौरान उनके गुरु भी बदल गए. उन्होंने चौधरी चरण सिंह को अपना सियासी गुरु बना लिया. 

'अखबार में रोल नंबर नहीं दिखेगा'

एक दौर यह भी आया कि इंटरमीडियट की छमाही परीक्षा में मुलायम सिंह यादव के नंबर कम आए थे. इसी बीच मुलायम सिंह यादव का जिले और राज्य स्तर पर खेलकूद में लाइट वेट कुश्ती में चयन हो गया. मुलायम सिंह यादव को स्टेट लेबल की कुश्ती के लिए असम जाना था. असम जाने के तैयारी कर रहे थे तो उनके गुरु उदय प्रताप ने कहा कि इंटरमीडियट की परीक्षा में दो महीने का समय बचा है. ऐसे में अगर कुश्ती लड़ने गए तो अखबार में रोल नंबर चश्मा लगाने के बाद भी नहीं मिलेगा. इस तरह वो कहना चाहते थे कि पास नहीं हो पाओगे. इसलिए बेहतर है कि ये कुश्ती छोड़ो और ध्यान से पढ़ो. पास हो जाओगे तो कुछ बन जाओगे.

Advertisement

कवि को रोका तो इंस्पेक्टर को पटक दिया

पहलवान से लेकर नेताजी बनने तक मुलायम सिंह यादव के जीवन के कई किस्से हैं. जवानी के दिनों के अपने जुनून (कुश्ती) के दांव-पेंच उन्होंने सियासत में भी खूब अपनाए. बस उनको अपनाने का स्टाइल कुछ अलग था. यहां वो शरीर से नहीं बल्कि दिमाग के सामने वाले को पटखनी दे रहे थे. हालांकि एक बार तो मुलायम ने एक पुलिस इंस्पेक्टर को सचमुच में उठाकर पटक दिया था. 

घटना साल 1960 की है. इस समय मुलायम सिंह पहलवानी करते थे. एक बार मैनपुरी के करहल में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. भारी संख्या में लोग पहुंचे. इसी दौरान कवि दामोदर स्वरूप 'विद्रोही' ने कविता पढ़नी शुरू ही की थी कि एक पुलिस इंस्पेक्टर ने उन्हें रोक दिया. इस बात से मुलायम सिंह बहुत नाराज हुए. मुलायम मंच की ओर तेजी से बढ़े और इंस्पेक्टर को उठाकर पटक दिया. मुलायम जब यूपी के मुख्यमंत्री बने तो विद्रोही को हिंदी साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित किया. 

(इनपुट- प्रशांत द्विवेदी)

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement