India @100: बदल जाएगा संविधान, 2047 में भारत होगा हिन्दू राष्ट्र? शशि थरूर ने दिया ये जवाब

भारत ने हाल ही में अपनी आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव मनाया है. 2047 में जब भारत आजादी की 100वीं सालगिरह मना रहा होगा, तो क्या वह हिन्दू राष्ट्र बन जाएगा? संविधान को बदल दिया जाएगा? कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने Business Today India @ 100 पर इसे लेकर अहम बात कही. साथ ही Uniform Civil Code को लेकर भी अपनी राय रखी.

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शशि थरूर (Photo : Hemant Rawat) शशि थरूर (Photo : Hemant Rawat)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 10:08 PM IST

क्या भारत 2047 तक एक हिन्दू राष्ट्र बन जाएगा, जिसका एक नया संविधान भी होगा? कांग्रेस नेता शशि थरूर से Business Today India @ 100 सम्मेलन में जब इस बाबत सवाल किया गया, तो उन्होंने खुलकर इसका जवाब दिया. वहीं यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर भी उन्होंने अपनी राय रखी.

आसान नहीं होगा नया संविधान बनाना

शशि थरूर ने कहा कि अभी हमारा जो संविधान है, वो धर्म, जाति, लिंग, जन्म, भाषा और रंग इत्यादि के आधार पर हमको विभाजित नहीं करता है. बल्कि सभी को समानता के साथ-साथ अपने धर्म को मानने और उसका प्रचार-प्रसार करने का भी अधिकार देता है. लेकिन आज जो अपने आप को हिंदुत्ववादी बताते हैं, वो इस संविधान को दरकिनार कर देते हैं. उनके हिसाब से भारत हमेशा से एक हिन्दू राष्ट्र (Hindu State) है, और इस धरती पर आने वाला कोई अन्य व्यक्ति जो हिन्दू नहीं है, वो या तो मेहमान है या फिर आक्रांता है. उनका मूल विश्वास है कि इन लोगों को इस देश से खदेड़ देना है या फिर उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर रखना है.

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शशि थरूर ने कहा कि संघ परिवार की हिंदुत्व की विचारधारा में समय के साथ थोड़ा परिवर्तन आया है. लेकिन मूल विचार यही है कि जो इस धरा से संबंधित नहीं, उसे यहां से चले जाना चाहिए. ऐसे में जिन धर्मों के लोगों का मूल भारत नहीं है, हिंदुत्व की ये विचारधारा उन्हें यहां से बहिष्कृत कर देती है या उन्हें हिंदुओं द्वारा बताए जाने वाले नियमों पर निर्भर बना देती है. इसी से उन पर दबाव बनता है कि वो खुद को हिंदू मुस्लिम या हिंदू ईसाई बताएं. ऐसे में मेरे हिसाब से हम अभी इस दिशा में जाना शुरू कर चुके हैं.

रही बात नया संविधान बनाने की, तो शशि थरूर को नहीं लगता कि ये इतना आसान होगा. बल्कि आसान रास्ता ये होगा कि सरकार इसके कुछ प्रावधानों को नजरअंदाज कर दे. जैसे कि ऐसी व्यवस्था बन जाए जहां एक प्रधानमंत्री अयोध्या मंदिर का भूमि पूजन कर सके, या संसद की नई इमारत के लिए भूमि पूजन कराया जाए.

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भारत हजारों साल से सेक्यूलर समाज

इसी बात को आगे बढ़ाते हुए शशि थरूर ने कहा कि अगर संविधान से सेक्युलर शब्द निकाल भी दिया जाए तो भी भारत हजारों साल से सेक्युलर है. वहीं संविधान के कई अनुच्छेद सेक्युलर शब्द नहीं होने के बावजूद देश को सेक्युलर बनाते हैं. उनकी इस बात का जवाब लेखक और अर्थशास्त्री हर्ष गुप्ता मधूसूदन ने दिया.

मधूसूदन ने कहा कि सेक्युलर शब्द भारत को सेक्युलर नहीं बनाता है, बल्कि यहां का हिन्दू समाज हमें सेक्युलर बनाता है. उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से हिन्दू राष्ट्र रहा है. जहां-जहां हिन्दू समाज रुक गया या उसका सेक्युलरिज्म खत्म हो गया, वो हिस्सा अब भारत में नहीं रहा, चाहे वो पंजाब का इलाका रहा हो या बंगाल का, वहां अब दो अलग देश हैं.

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बोले थरूर

इस सम्मेलन के दौरान एक सवाल के जवाब में शशि थरूर ने माना कि यूनिफॉर्म सिविल कोड वक्त की जरूरत है. इसे आना चाहिए, लेकिन ये बहुसंख्यकों (मेजॉरिटी) के नियम-कायदे के हिसाब से नहीं होना चाहिए, बल्कि सभी लोगों की भावनाओं को इसमें शामिल किया जाना चाहिए. यूनिफॉर्म सिविल कोड को लाया जाना चाहिए, लेकिन इसके लिए सही तरह बहस होनी चाहिए.

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