दंगल की चर्चा में जातीय जनगणना का मुद्दा भी उठा, जिस पर कुछ धर्मगुरुओं के रुख पर सवाल उठाए गए. बिहार में विकास, रोजगार और महिलाओं के सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ने की बात भी कही गई, न कि हिंदू-मुस्लिम के आधार पर. बिहार को सांप्रदायिक दंगों से मुक्त कराने और गंगा-जमुनी तहजीब से चलने वाला राज्य बताया गया.