लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर चर्चा हुई. एक वक्ता ने कहा कि नेता चाहे पक्ष के हों या प्रतिपक्ष के, उन्हें जनता ही चुनती है. संसद में बड़े मुद्दों पर बहस होती है, लेकिन विपक्ष हमेशा नकारात्मक विचार रखता है और वैधानिक संस्थाओं का सम्मान नहीं करता.