पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए किसी भी सीट से चुनाव जीतना जरूरी हो गया है. मार्च-अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की तो बंपर जीत हुई थी, लेकिन ममता बनर्जी को नंदीग्राम सीट से हार मिली थी. उनके पुराने साथी शुभेंदु अधिकारी ने एक करीबी मुकाबले में उन्हें हरा दिया था. ऐसे में चुनाव आयोग ने राज्य में उप-चुनाव करवाए जाने को लेकर कई दलों को लेटर लिखा है. माना जा रहा है कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए ही राज्य में होने वाले उप-चुनाव को लेकर देरी हो रही है.
पश्चिम बंगाल में होने वाले उप-चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने राज्य की सभी पार्टियों को लेटर लिखा है. आयोग ने उप-चुनाव करवाए जाने पर उनकी राय मांगी है. सभी दलों को अपनी राय 30 अगस्त तक चुनाव आयोग को बतानी होगी. चुनाव आयोग ने कहा है कि जैसा कि आपको पता है कि साल 2021-22 में पांच राज्यों में चुनाव और उप-चुनाव बाकी हैं. ऐसे में आयोग उनसे उनकी राय के बारे में जानना चाहता है.
मालूम हो कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव संपन्न करवाए जाने को लेकर चुनाव आयोग पर काफी उंगली उठी थी. जिस समय चुनाव करवाए जा रहे थे, उस दौरान बंगाल समेत देशभर में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी थी. बड़ी संख्या में कोरोना मामले सामने आने और लोगों की जान जाने के चलते चुनाव आयोग भी आलोचना का शिकार हुआ था. मद्रास हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए दूसरी लहर के पीछे चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि मर्डर का चार्ज लगाया जाना चाहिए.
बंगाल में उप-चुनाव के लिए कह चुकी हैं बनर्जी
तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में उप-चुनाव करवाने के लिए कहती रही है. खुद ममता बनर्जी ने पिछले महीने चुनाव आयोग को जानकारी दी थी कि राज्य सरकार सात सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर तैयार है. सचिवालय के बाहर बात करते हुए ममता बनर्जी ने कहा था कि हमने चुनाव आयोग से बता दिया है कि सरकार सात सीटों के चुनाव और राज्यसभा के चुनाव के लिए तैयार है. बंगाल में अब कोरोना वायरस से हालात पूरी तरह से नियंत्रण में हैं.
छह महीने के अंदर विधानसभा पहुंचना जरूरी
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजों का ऐलान मई में हुआ था. इस हिसाब से छह महीने नवंबर में पूरे हो रहे हैं. चुनाव आयोग के नियम के अनुसार, यदि कोई मुख्यमंत्री किसी विधानसभा या फिर विधानपरिषद का सदस्य नहीं है तो फिर उसे छह महीने के भीतर किसी एक सदन का सदस्य बनना होता है. इस वजह से ही ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बने रहने के लिए पश्चिम बंगाल में उप-चुनाव महत्वपूर्ण हो गए हैं. माना जा रहा है कि जब भी चुनाव होते हैं तो ममता अपनी पारंपरिक सीट भवानीपुर से ही चुनावी मैदान में उतर सकती हैं.
सूर्याग्नि रॉय