आगामी लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बाकी हैं ऐसे में चुनाव नजदीक आने के साथ ही गठबंधन और दलबदल राजनीतिक परिदृश्य भी बदलने के लिए तैयार हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम INDIA गठबंधन के चेहरे और संभावित प्रधानमंत्री के रूप में प्रस्तावित किया.इस पूरे साल कई राजनेता एक पार्टी से दूसरी पार्टी में चले गए और कुछ मामलों में पूरी तरह से नए गुट बन गए.
इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट ने जब पिछले दस लोकसभा चुनावों (1984 से) में दलबदलुओं के प्रर्दशन पर रिसर्च की तो तो यह बात सामने निकलकर आई कि मतदाताओं ने वफादारी बदलने वाले राजनेताओं के प्रति अपनी प्राथमिकताएं कम कर दी हैं. 2004 के चुनावों तक दलबदलुओं की सफलता दर 25 प्रतिशत से अधिक थी लेकिन 2009 के बाद से यह लगातार 15 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है.
दलबदलुओं की सफलता दर
अशोका यूनिवर्सिटी ने 1962 से शुरू हुए भारतीय चुनाव परिणामों पर रिचर्स की और उसके आकंड़ों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव 2019 में चुनाव लड़ने वाले 205 दलबदलुओं में से केवल 35 ही चुनाव जीत सके. 2014 के चुनावों में, 264 दलबदलुओं में से 38 को ही जीत हासिल हो सकी जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में 213 दलबदलुओं में से केवल 30 को ही सफलता मिली.
ऐसे समय में जब दलबदलुओं की सफलता दर में गिरावट आ रही है तो दूसरी तरफ 2019 के चुनावों में सफल दलबदलुओं की सूची में महिलाओं की हिस्सेदारी नाटकीय रूप से बढ़ी है. सफल दलबदलुओं में महिलाओं की हिस्सेदारी 1984 के बाद से आठ प्रतिशत से कम रही है, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में बढ़कर 27.6 प्रतिशत हो गई.
किस पार्टी ने जीत सुनिश्चित की
1984 के चुनावों के बाद से जीतने वाले 476 दलबदलुओं के लिए, भारतीय जनता पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस प्रमुख विकल्प बने रहे. जनता दल, जिसने अपना आखिरी चुनाव 1998 में लड़ा था, सूची में तीसरी पार्टी रही. बीजेपी और कांग्रेस में शामिल होने वाले दलबदलुओं की संख्या 91-91 रही, यानि समान रही.
गौर करने वाली बात ये है कि कुल दलबदलुओं की जीत में, हर तीन में से लगभग एक उम्मीदवार पहले से ही निर्वाचन क्षेत्र पर काबिज रहा था, जबकि हर तीन दलबदलुओं में से दो ने अपने प्रतिद्वंद्वी से निर्वाचन क्षेत्र में जीत हासिल की. इसका मतबल ये हुआ कि दलबदलुओं की जीत में उम्मीदवार की व्यक्तिगत पहचान की तुलना में पार्टी की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण रही है. तो देखना दिलचस्प रहेगा कि अप्रैल से मई 2024 के बीच होने वाले लोकसभा चुनाव में दलबलदुओं की स्थिति कैसी रहती है.
सम्राट शर्मा