इंजीन‍ियर-डॉक्टर से प्रोफेसर तक...सिर्फ गरीब या अनपढ़ नहीं, 'जिहाद' में व्हाइट कॉलर वाले भी शामिल, देखें ल‍िस्ट

उच्च शिक्षित, सामाजिक रूप से सफल लेकिन आतंकी विचारधारा में इस कदर डूबे कि अपनी डिग्री और दिमाग को जिहादी हथियार बना लिया. वर्ष 2001 से 2025 तक की ये लिस्ट द‍िखाती है कि आतंकवाद अब सिर्फ गरीबी या अशिक्षा का नतीजा नहीं रहा. डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, पत्रकार और आईटी एक्सपर्ट तक सब इसमें शामिल है.

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पढ़े-लिखे आतंकियों की बढ़ती फेहरिस्त ने खड़े किए सवाल (Photo: Grok) पढ़े-लिखे आतंकियों की बढ़ती फेहरिस्त ने खड़े किए सवाल (Photo: Grok)

अरविंद ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 12 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:14 PM IST

साल 2008 में मुंबई के ताज होटल में आतंकी हमले के बाद अब्दुल कसाब पकड़ा गया. 26/11 मुंबई हमला के मुख्य आरोपी कसाब के बारे में कहा गया कि वो पाकिस्तान के एक गांव से आया गरीब लड़का था जिसके पर‍िवार को कुछ रकम देकर उसे टेर‍र‍िस्ट बनाया गया. वैसे भी अभी तक ये आम धारणा ही थी कि गरीब पर‍िवार के बच्चों को लालच देकर या ब्रेन वाश करके उन्हें आतंक की राह पर चलाया जाता है. उन्हें इस कदर जिहादी बना दिया जाता है कि वो फिदायीन हमले से पहले भी नहीं सोचते. लेकिन बीते कुछ सालों में ये ट्रेंड बदला सा दिख रहा है.

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दिल्ली ब्लास्ट की घटना के बाद व्हाइट कॉलर टेररि‍ज्म पर एक नई बहस छ‍िड़ गई है. हाल ही में जारी की गई एक सूची में 2001 से 2025 तक की ऐसी आतंकी घटनाओं का जिक्र है जिनमें डॉक्टर से लेकर इंजीन‍ियर प्रोफेसर, टेक प्रोफेशनल और पत्रकार तक इनमें शामिल थे. आइए जानते हैं कि क्या ये सूची वाकई हमें सोचने पर मजबूर करती है कि जिहाद के रास्ते पर आने के लिए अब कोई विशेष योग्यता या पर‍िस्थ‍िति भर दोषी नहीं है. 

फरीदाबाद का 'आतंकी प्रोफेसर'

10 नवंबर 2025 को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. मुजम्मिल शकील को गिरफ्तार किया. उनके कमरे से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ जो किसी बड़े हमले की योजना का संकेत था. उनकी सहयोगी और प्रेमिका, लखनऊ की डॉक्टर शाहीन शाहिद की कार से AK-47 राइफल मिली. दोनों के जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद से संबंध सामने आए.

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डॉक्टरों का जिहादी नेटवर्क

इसी साल सहारनपुर से जम्मू-कश्मीर के काजीगुंड के रहने वाले और पूर्व सीनियर रेजि‍डेंट डॉ. आदिल अहमद राथर गिरफ्तार हुए. उनपर जैश नेटवर्क को पुनर्जीवित करने का आरोप है.

2024 में पुणे के डॉ. अदनान अली जो एनेस्थीसिया विशेषज्ञ हैं. वो ISIS से जुड़े मॉड्यूल का हिस्सा निकले. NIA को उनके घर से ISIS दस्तावेज और डिजिटल सबूत मिले.

झारखंड के डॉ. इश्तियाक पर अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) का मॉड्यूल चलाने का आरोप है जबकि महाराष्ट्र के डॉ. उसामा शेख गजवा-ए-हिंद की साजिश रच रहे थे.

टेक और इंजीनियरिंग से आतंक की तकनीक तक

पुणे के जुबैर हंगरगेकर, एक QA इंजीनियर, अल-कायदा के “डिजिटल जिहाद” से जुड़े निकले. झारखंड के शहनवाज़ आलम, NIT नागपुर से माइनिंग इंजीनियर, ISIS के भारत मॉड्यूल में शामिल मिले. IIT मुंबई के केमिकल इंजीनियर अहमद मुर्तज़ा अब्बासी ने गोरखनाथ मंदिर हमले में सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया और उन्हें 2023 में फांसी की सजा हुई.
याहू के प्रिंसिपल इंजीनियर मंसूर पीरभॉय इंडियन मुजाहिदीन के मीडिया सेल का मुखिया था.
रियाज भटकल, इंजीनियर, इंडियन मुजाहिदीन का संस्थापक निकला.

नीचे दी गई पीडीएफ फाइल में देखें पूरी लिस्ट 

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विश्वविद्यालयों और अकादमिक जगत के चेहरे

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मन्नान बशीर वानी, पीएचडी स्कॉलर, हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुए और 2018 में एनकाउंटर में मारे गए.

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डॉ. मोहम्मद रफीक, कश्मीर यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर, सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में ढेर हुए. मध्य प्रदेश के प्रोफेसर सलीम खान जो हिज्ब-उत-तहरीर से जुड़े थे, वो आतंकी ट्रेनिंग देते गिरफ्तार किए गए.

मीडिया और पत्रकारिता के नाम

मसूद अजहर जो ‘सावत-ए-कश्मीर’ पत्रिका का संपादक था, बाद में जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक बना.
जॉर्डन की पत्रकार अहलम तमीमी ने यरूशलेम में 2001 का बम विस्फोट अंजाम दिया, जिसमें 16 लोग मारे गए.

शिक्षा रोक नहीं पाई कट्टरता

रिपोर्ट दिखाती है कि इन 35 से अधिक मामलों में ज्यादातर दोषियों ने IIT, NIT, AIIMS, और विदेशी विश्वविद्यालयों से डिग्रियां लीं. लेकिन ये शिक्षा उन्हें मानवता से जोड़ने के बजाय तकनीक को विनाश का हथियार बनाने की तरफ ले गई. देखा जाए तो आतंकवाद अब झुग्गियों या अशिक्षित इलाकों तक सीमित नहीं रहा. अब उसके चेहरे लैब कोट, टाई या यूनिवर्सिटी आईडी कार्ड के पीछे भी छिपे हो सकते हैं. इसील‍िए कहा जाता है कि शिक्षा जब मानवता से कट जाए तो ज्ञान भी जहर बन जाता है.

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