क्या है UPA सरकार में हुई Devas-Antrix Deal? अब क्यों मच रहा है इस पर हंगामा?

What is Devas-Antrix Deal: यूपीए सरकार में हुई देवास-एंट्रिक्स डील एक बार फिर चर्चा में है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस डील को लेकर यूपीए सरकार को घेरा है. उन्होंने आरोप लगाया कि ये डील देश के साथ धोखा है.

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इस डील के तहत 2 सैटेलाइट ऑपरेट और लॉन्च करना था. (फाइल फोटो-AP) इस डील के तहत 2 सैटेलाइट ऑपरेट और लॉन्च करना था. (फाइल फोटो-AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:35 AM IST
  • जनवरी 2005 में हुई थी देवास-एंट्रिक्स डील
  • फरवरी 2011 में डील को रद्द कर दिया था

What is Devas-Antrix Deal: देवास-एंट्रिक्स डील मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सियासत गरमा गई है. इस डील पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने यूपीए सरकार को घेरा है. उन्होंने यूपीए सरकार में हुई इस डील को देश के साथ 'धोखा' बताया है. 

दरअसल, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के देवास (डिजिटल इनहांस्ड, वीडियो एंड ऑडियो सर्विसेज) मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड को बंद करने के आदेश को बरकरार रखा. कोर्ट ने कहा कि ये मामला बड़े आकार की धोखाधड़ी का है, जिसे कार्पेट के नीचे खत्म नहीं किया जा सकता.

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इस फैसले के बाद मंगलवार को निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार में देश के संसाधन बेचे गए और इस डील के बारे में कैबिनेट को मालूम भी नहीं था. 

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क्या है देवास-एंट्रीक्स डील?

- देवास एक मल्टीमीडिया कंपनी थी, जिसका गठन 2004 में हुआ था. ये कंपनी बेंगलुरु स्थित एक स्टार्टअप थी. इसने 2005 में ISRO की कमर्शियल कंपनी एंट्रिक्स के साथ सैटेलाइट को लेकर एक डील की. 

- इस डील के तहत देवास को एंट्रिक्स को सेवाएं देने के लिए बैंडविड्थ दिया गया था. एंट्रिक्स को दो सैटेलाइट बनाना और उसे लॉन्च करना था. उसकी 90% सैटेलाइट ट्रांसपोडर क्षमता देवास को देना था.

- इस सौदे में एक हजार करोड़ रुपये की लागत के 70 मेगाहर्ट्ज के S-बैंड स्पेक्ट्रम भी शामिल थे. इस स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल सिर्फ सुरक्षाबलों और सरकारी टेलीकॉम कंपनियों के ही होना था.

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- इस सौदे पर सवाल उठे. इसके बाद 2011 में यूपीए सरकार ने इस डील को रद्द कर दिया. 

- एंट्रिक्स ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) का रुख किया और आरोप लगाया कि इसरो के तत्कालीन चेयरमैन जी. माधवन नायर समेत सीनियर अफसरों ने देवास को गैर-कानूनी तरीके से कॉन्ट्रैक्ट दिया.

- NCLT ने देवास को बंद करने का आदेश दिया. इसके बाद सितंबर 2021 में मामला नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) पहुंचा. NCLAT ने NCLT के फैसले को बरकरार रखा.

-  बाद में एंट्रिक्स इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची. सुप्रीम कोर्ट ने भी NCLAT के फैसले को बरकरार रखा और इस डील को धोखाधड़ी बताया. 

देवास-एंट्रिक्स डील में कब-कब क्या हुआ?

- जनवरी 2005 : देवास और एंट्रिक्स के बीच 2 सैटेलाइट को ऑपरेट और लॉन्च करने को लेकर समझौता हुआ.

- फरवरी 2011 : तत्कालीन यूपीए सरकार ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इस समझौते को रद्द कर दिया. देवास ने इस डील को रद्द करने के फैसले के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत का रुख किया. 

- अगस्त 2016 : इसरो के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर समेत कई सीनियर अफसरों के खिलाफ CBI ने चार्जशीट दाखिल की. CBI ने इन अधिकारियों पर देवास को 578 करोड़ रुपये का गलत फायदा देने का आरोप लगाया.

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- सितंबर 2017 : इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स (ICC) ने देवास को 1.3 अरब डॉलर का मुआवजा देने का आदेश दिया.

- अक्टूबर 2020 : अमेरिकी अदालत ने एंट्रिक्स को देवास को मुआवजा देने को कहा. मुआवजा नहीं मिलने पर देवास ने याचिका दाखिल की थी.

-  नवंबर 2020 : भारत की सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिकी कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी. साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट को इस मुआवजे के खिलाफ एंट्रिक्स की याचिका पर सुनवाई करने को कहा.

-  जनवरी 2021 : मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स की सलाह पर एंट्रिक्स ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की बेंगलुरु बेंच का रुख किया. एंट्रिक्स ने देवास को बंद करने की मांग की. 

- मई 2021 : NCLT ने देवास को अपना काम समेटने का आदेश दिया. 

- सितंबर 2021 : देवास ने इस फैसले को NCLAT में चुनौती दी. NCLAT ने NCLT के फैसले को बरकरार रखा.

- जनवरी 2022 : देवास ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 17 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के फैसले पर मुहर लगाई और इस डील को धोखाधड़ी बताया. 

 

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