पश्चिम बंगाल: सुवेंदु अधिकारी ने उठाई ग्राम रक्षा समिति और राष्ट्रपति शासन की मांग, राहत शिविरों को बताया डिटेंशन सेंटर

सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों, विशेष रूप से मुर्शिदाबाद जिले में रहने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए 'ग्राम रक्षा समितियों' का गठन किया जाना चाहिए और आम नागरिकों को लाइसेंसी हथियार उपलब्ध कराए जाने चाहिए. उन्होंने दावा किया कि यह इलाका बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है और यहां हिंदुओं की आबादी 50 प्रतिशत से भी कम रह गई है, जिससे उनकी सुरक्षा को गंभीर खतरा है.

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बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी (फाइल फोटो) बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी (फाइल फोटो)

अनिर्बन सिन्हा रॉय

  • कोलकाता,
  • 19 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 6:45 PM IST

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद राज्य के नेता विपक्ष और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुवेंदु अधिकारी ने शनिवार को ममता सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने दावा किया कि दंगों से प्रभावित लोगों के लिए बनाए गए राहत शिविरों को राज्य प्रशासन ने 'डिटेंशन सेंटर' में बदल दिया है और वहां बाहरी लोगों को पीड़ितों से मिलने की अनुमति नहीं दी जा रही है.

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सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों, विशेष रूप से मुर्शिदाबाद जिले में रहने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए 'ग्राम रक्षा समितियों' का गठन किया जाना चाहिए और आम नागरिकों को लाइसेंसी हथियार उपलब्ध कराए जाने चाहिए. उन्होंने दावा किया कि यह इलाका बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है और यहां हिंदुओं की आबादी 50 प्रतिशत से भी कम रह गई है, जिससे उनकी सुरक्षा को गंभीर खतरा है.

राष्ट्रपति शासन की मांग

अधिकारी ने मांग की कि आगामी चुनावों के दौरान चुनाव आयोग को राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहिए, ताकि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव हो सकें. उन्होंने आरोप लगाया कि जब तक ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनी रहेंगी, तब तक विपक्ष के लिए सड़क पर संघर्ष जारी रहेगा. "ममता के रहते हिंदू अपने घरों से भाग रहे हैं," उन्होंने कहा.

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राहत शिविरों की स्थिति पर सवाल

सुवेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि धूलियान और शमशेरगंज से सैकड़ों लोग अपनी गरिमा की रक्षा के लिए पलायन कर चुके हैं और मालदा के बैष्णवनगर क्षेत्र के स्कूलों में शरण लिए हुए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार स्वयंसेवी संगठनों और मीडिया को पीड़ितों से मिलने नहीं दे रही है, और शिविरों में खराब गुणवत्ता का भोजन परोसा जा रहा है.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि NGO द्वारा भेजे गए राहत सामग्री को स्थानीय गोदामों में जमा कर लिया गया है और NGO पर झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं.

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