क्या संभल बनेगी तीर्थ नगरी? ASI सर्वे के बीच जिलाधिकारी ने दिया ये जवाब

संभल के जिलाधिकारी ने कहा, "जब स्थानीय लोगों को इतिहास के बारे में जानकारी नहीं दी जाती है, तो लोग अपने हिसाब से सोचने लगते हैं. अब हम लोगों को सभी ढंग से जागरुक करेंगे."

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संभल की ASI सर्वे (तस्वीर: PTI) संभल की ASI सर्वे (तस्वीर: PTI)

अभिनव माथुर

  • संभल,
  • 26 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:47 PM IST

उत्तर प्रदेश के संभल (Sambhal) में कुओं और तीर्थ स्थलों को रीस्टोर करने और लोगों को उनकी धार्मिक परंपराओं से फिर से जोड़ने की कोशिशों के तहत, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और स्थानीय प्रशासन की एक टीम ने बुधवार को कई ऐतिहासिक स्थानों का दौरा किया. इनमें फिरोजपुर किला, बावड़ियां (सीढ़ीदार कुएं) और चोर कुआं जैसी प्राचीन संरचनाएं शामिल थीं.

ASI टीम ने डीएम, एसपी और एसडीएम के साथ शहजादी सराय में स्थित क्षेमनाथ तीर्थ पर स्थित जागृत कूप का भी सर्वे किया, जहां दो दिन पहले कूप का फर्श तोड़ने पर कूप के अंदर 12 फीट की गहराई पर ही पानी दिखाई दिया था. वहीं, मंदिर पर सर्वे के दौरान टीम ने मंदिर के महंत बाल योगी दीनानाथ से भी जानकारी ली है. दूसरी तरफ, ASI टीम अधिकारियों के साथ कमलपुर सराय इलाके में तोता-मैना की कब्र पर भी पहुंची और निरीक्षण करने के बाद बावड़ी के अंदर सर्वे के लिए पहुंची थी. 

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'तीर्थ नगरी बनेगी संभल...'

संभल के डीएम राजेंद्र पेंसिया ने कहा, "भारत में सामान्य तौर पर पौराणिक और संतों की जो भूमि होती है, उसे तीर्थ नगरी ही कहते हैं. हम यहां के स्थानों को संरक्षित करेंगे, तो अपने आप में यहां पर्यटन बढ़ेगा और संभल तीर्थ नगरी बनेगा."

उन्होंने आगे कहा कि जब स्थानीय लोगों को इतिहास के बारे में जानकारी नहीं दी जाती है, तो लोग अपने हिसाब से सोचने लगते हैं. अब हम लोगों को सभी ढंग से जागरुक करेंगे. बावड़ी की खुदाई करेंगे. वास्तविकता कभी छिपती नहीं है, सच्चाई बाहर आ ही जाती है.

यह भी पढ़ें: संभल में रानी की बावड़ी की खुदाई के बीच ASI की टीम ने फिरोजपुर किले का किया सर्वे, DM ने अतिक्रमण पर जताई नाराजगी

फिरोजपुर किले पर क्या बोले DM?

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एजेंसी के मुताबिक, संभल के डीएम डॉ राजेंद्र पेंसिया ने कहा, "हमने फिरोजपुर किले का दौरा किया, जो ASI द्वारा संरक्षित है. हमारे साथ एएसआई की टीम भी थी. उसके बाद, हमने नीमसार तीर्थ स्थल के नीचे एक कूप (कुआं) का दौरा किया, जो एकमात्र कूप है, जिसमें अभी भी पानी है. हमने राजपूत बावड़ियों (खुले कुओं) का भी दौरा किया."

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