देश के सबसे अमीर तिरुमाला तिरुपति मंदिर के ट्रस्ट (तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम) के लिए तिरुपति से विधायक भुमना करुणाकर रेड्डी को अध्यक्ष बनाया गया है. आंध्रप्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी ने इनकी नियुक्ति की है. वह 10 अगस्त को अध्यक्ष पद संभालेंगे, लेकिन इससे पहले ही उनकी नियुक्ति विवादों में आ गई है. दरअसल करुणाकर रेड्डी ईसाई हैं, इसीलिए हिंदू मंदिर के ट्रस्ट का अध्यक्ष किसी ईसाई को बनाने को लेकर हंगामा शुरू हो गया है.
जगन मोहन रेड्डी के विरोधी चंद्रबाबू नायडू की तेलुगुदेशम पार्टी के सचिव बुच्ची राम प्रसाद ने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें टीटीडी प्रमुख कैसे बनाया जा सकता है, जबकि उनकी हिंदू धर्म में कोई आस्था नहीं है. हर कोई जानता है कि उनका ईसाई धर्म से संबंध है. हमारे पास इसके पर्याप्त सबूत हैं. उनकी बेटी की शादी ईसाई रीति-रिवाजों से हुई थी. वहीं विवाद बढ़ने के बाद करुणाकर की सफाई सामने आई है. उनका कहना है कि उनका परिवार ईसाई धर्म का पालन करता है, लेकिन वे हिंदू धर्म को मानते हैं.
- टीडीपी सचिव बुच्ची राम प्रसाद ने आरोप लगाया कि वह राजनीति में आने से पहले एक नक्सली कार्यकर्ता थे और उन्होंने अतीत में भगवान वेंकटेश्वर पर निंदनीय टिप्पणी की थी. हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले ऐसे शख्स को टीटीडी का प्रमुख कैसे नियुक्त किया जा सकता है?
उन्होंने दावा किया कि टीटीडी चीफ के रूप में पिछले शासन के दौरान भी करुणाकर रेड्डी ने यह घोषणा करके हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया था कि तिरुमाला में सात पहाड़ियां नहीं बल्कि केवल पांच पहाड़ियां शामिल हैं. उन्होंने कहा कि भक्तों और हिंदू संगठनों के विरोध के बाद उन्हें पीछे हटना पड़ा था.
- आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव और बीजेपी नेता आईवाईआर कृष्ण राव ने भी करुणाकर को टीटीडी प्रमुख नियुक्त करने के लिए जगन सरकार की आलोचना की. टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी के रूप में काम कर चुके राव ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि टीटीडी ट्रस्ट बोर्ड के प्रमुख का पद एक राजनीतिक नियुक्ति बन गया है. उन्होंने कहा, "केवल उन्हीं लोगों को टीटीडी अध्यक्ष नियुक्त किया जाना चाहिए, जिनकी भगवान में असीम आस्था है.
उन्होंने कहा कि सरकार को लगता है कि हिंदू संगठनों पर विवादास्पद फैसले लेने पर भी कोई सवाल नहीं उठाएगा. उन्होंने कहा,"जितनी जल्दी हिंदू धार्मिक संस्थानों के नियंत्रण से सरकार दूरी बनालेगी, हिंदू धर्म के लिए उतना ही बेहतर होगा."
वैसे यह दूसरी बार है, जब करुणाकर रेड्डी को अध्यक्ष बनाया गया है. जगन मोहन रेड्डी के पिता वाई एस राजशेखर रेड्डी जब आंध्र प्रदेश के सीएम थे, तब उन्होंने 2006-2008 में करुणाकर को ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया था. अब 15 साल बाद उन्हें फिर से यह मौका दिया है.
करुणाकर रेड्डी तिरुपति से दो बार (2012 और 2019) विधायक हैं. उनका जन्म कडप्पा जिले के नंदलुर मंडल के ईदारापल्ले गांव में हुआ था. उन्होंने तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय से कला में मास्टर डिग्री पूरी की है. वह वर्तमान अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी की जगह लेंगे. वह दो साल के लिए इस पद पर रहेंगे.
वैसे इस पद के लिए कई दावेदार रेस में थे. इन लोगों में वाईएसआरसीपी एमएलसी जंगा कृष्णमूर्ति, पूर्व मंत्री कोलुसु पार्थसारधि और सिद्दा राघव राव के नाम शामिल थे, लेकिन सीएम ने करुणाकर को ट्रस्ट बोर्ड प्रमुख के रूप में उनके पूर्व अनुभव को देखते हुए उन्हें फिर से नामित कर दिया.
टीटीडी ट्रस्ट के चीफ का चयन विशेषज्ञों का एक पैनल करता है. यह पैनल पद के प्रमुख दावेदारों की योग्यता और उनके अनुभव की समीक्षा करता है. इन उम्मीदवारों को विभिन्न व्यक्ति, संगठन या राजनीतिक संस्थाएं नामांकित या अनुशंसित करती हैं. पैनल इन उम्मीदवारों की धार्मिक प्रथाओं के बारे में उनके ज्ञान और समझ का आकलन करता है. इसके अलावा मंदिर और उसके भक्तों की सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का आकलन करता है. टीटीडी ट्रस्ट प्रमुख मंदिर के मामलों के प्रबंधन और इसके आध्यात्मिक महत्व को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
इसके बाद शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवार का नाम पैनल सरकार को अंतिम मंजूरी के लिए भेजता है. सरकार से मंजूरी मिलने के बाद उसे औपचारिक रूप से टीटीडी ट्रस्ट का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया जाता है.
आंध्र प्रदेश धर्मार्थ और हिंदू धार्मिक संस्थान और बंदोबस्ती अधिनियम, 1987 के तहत टीटीडी को चलाया जा रहा है. यह अधिनियम आंध्र प्रदेश में हिंदू मंदिरों और धर्मार्थ संस्थानों के प्रशासन और प्रबंधन के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है. हालांकि अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया का अधिनियम में स्पष्ट रूप से कोई उल्लेख नहीं किया गया है.
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