तमिलनाडु में 15 ठिकानों पर ED की रेड, 30 करोड़ के बैंक फ्रॉड का मामला

जांच के दौरान अधिकारियों ने तमिलनाडु के म्यूनिसिपल एडमिनिस्ट्रेशन एंड वाटर डिपार्टमेंट (MAWS) में बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा किया. इस मामले में एक संगठित नेटवर्क की गतिविधियों का पता चला है, जो टेंडर हासिल करने के लिए पहले से तय किए गए कमिशन और राजनीति तक पहुंच रखने वालों का सहारा लेता था.

Advertisement
तमिलनाडु में ईडी की बड़ी रेड तमिलनाडु में ईडी की बड़ी रेड

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 7:50 AM IST

तमिलनाडु में ईडी ने 30 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड का पर्दाफाश किया है. ईडी की टीम ने चेन्नई, त्रिची, और कोयंबटूर में 7 अप्रैल को छापेमारी की, और ट्रुडोम ईपीसी इंडिया लिमिटेड और इससे जुड़े लोगों के 15 ठिकानों पर तलाशी ली. सीबीआई ने इस केस में एक एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें ट्रुडोम और अन्य के खिलाफ इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) द्वारा हासिल किए गए लोन की रकम को गलत तरीके से इस्तेमाल करने के आरोप लगाए गए थे.

Advertisement

ईडी के मुताबिक, ट्रुडोम ईपीसी इंडिया लिमिटेड असल में एक शेल कंपनी थी और इसके पास विंड एनर्जी प्रोजेक्ट्स में किसी तरह का एक्सपीरियंस भी नहीं था. 100.8 मेगा वाट विंड प्रोजेक्ट स्थापित करने के बहाने, इस कंपनी को लोन फंड का गलत इस्तेमाल करने के लिए स्थापित किया गया था. जांच में पता चला कि लोन हासिल होने के तुरंत बाद उस रकम को कई अलग-अलग शेल कंपनियों में खपा दिया गया.

यह भी पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स सिंडिकेट का 'किंगपिन' गिरफ्तार, मनी लॉन्ड्रिंग के तहत ईडी के हत्थे चढ़ा

जाली प्रोजेक्ट एग्रीमेंट पर हासिल किए लोन

एजेंसी ने जांच में पता लगाया कि कंपनी ने लोन हासिल करने के लिए जाली प्रोजेक्ट एग्रीमेंट, डमी एंटटीज, और ट्रांजैक्शन लेयर बनाए और उसी के जरिए फंड को डाइवर्ट किया. रेड के दौरान अधिकारियों ने इस तरह के कई दस्तावेज बरामद किए हैं, जिनमें डिजिटल एविडेंस और प्रॉपर्टी रिकॉर्ड्स शामिल हैं. इस केस में एन रविचंद्रन और अरुण नेहरू, जांच के दायरे में हैं जहां उनपर लोन रकम हासिल करने के लिए जालसाजी करने समेत कई आरोप हैं.

Advertisement

जांच एजेंसी ने जांच के दौरान तमिलनाडु के म्यूनिसिपल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट एंड वाटर डिपार्टमेंट (MAWS) में बड़े भ्रष्टाचार का पता लगाया है. जांच में पता चला कि इस मामले में एक सिस्टमेटिक नेटवर्क काम कर रहा था, जिसने टेंडर हासिल किए. इनमें पहले से तय किए गए कमिशन, ब्यूरोक्रेट्स के एक आर्गेनाइज्ड नेक्सस, मिडिलमैन, और राजनीति तक पहुंच रखने वाले लोग भी शामिल थे.

यह भी पढ़ें: नौकरी के बदले जमीन मामले में लालू परिवार पर ईडी की गहन जांच, 10 साल में 193 नेताओं पर केस दर्ज

हवाला चैनलों के जरिए फंड को किया डाइवर्ट

जांच के दौरान बरामद किए गए दस्तावेजों से पता चला कि फंड के मूवमेंट्स के लिए हवाला चैनलों का इस्तेमाल किया गया था. इस दौरान (MAWS) में अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर्स के लिए घूस की बड़ी रकम के ट्रांसफर का भी पता चला है. ईडी अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि क्राइम के दौरान फंड ट्रांसफर और खरीदे गए एसेट का पता लगाया गया है और उसे जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, और आगे की जांच जारी रहेगी.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement