अगर एयरफोर्स में महिलाएं राफेल उड़ा सकती हैं तो सेना की लीगल ब्रांच में संख्या कम क्यों?: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि पदों को जेंडर-न्यूट्रल क्यों कहा गया, जबकि उच्च योग्यता वाली महिला उम्मीदवार योग्य नहीं थीं, क्योंकि रिक्तियां अभी भी लिंग के आधार पर विभाजित हैं.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

aajtak.in

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  • 14 मई 2025,
  • अपडेटेड 2:48 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए 50-50 सेलेक्शन मानदंड पर केंद्र के तर्क पर सवाल उठाया. कोर्ट ने कहा, "अगर इंडियन एयरफोर्स में कोई महिला राफेल लड़ाकू विमान उड़ा सकती है, तो सेना की जज एडवोकेट जनरल (लीगल) ब्रांच के जेंडर-न्यूट्रल पदों पर कम महिला अधिकारी क्यों हैं."

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने 8 मई को दो अधिकारियों अर्शनूर कौर और आस्था त्यागी की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिन्होंने क्रमशः 4वां और 5वां रैंक हासिल करने के बावजूद, मेरिट के नजरिए से अपने पुरुष साथियों की तुलना में हाइयर, महिलाओं के लिए कम वैकेंसीज की वजह से जेएजी डिपार्टमेंट के लिए नहीं सेलेक्ट किया गया. 

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अधिकारियों ने पुरुषों और महिलाओं के लिए असमानुपातिक रिक्तियों को चुनौती दी और कहा कि उनका चयन नहीं किया जा सकता क्योंकि कुल छह पदों में से महिलाओं के लिए केवल तीन रिक्तियां थीं. 

'हम निर्देश देते हैं...'

बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा, "पहली नजर में हम याचिकाकर्ता अर्शनूर कौर द्वारा स्थापित मामले से संतुष्ट हैं." कोर्ट ने कहा, "हम प्रतिवादियों को निर्देश देते हैं कि वे जज एडवोकेट जनरल (JAG) के रूप में नियुक्ति के लिए अगले ट्रेनिंग कोर्स में उसे शामिल करने के मकसद से जो भी कार्रवाई जरूरी है, उसे शुरू करें."

बेंच ने एक अखबार के लेख का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि एक महिला लड़ाकू पायलट राफेल विमान उड़ाएगी और कहा कि ऐसी स्थिति में उसे युद्ध बंदी के रूप में लिया जा सकता है.

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जस्टिस दत्ता ने केंद्र और सेना की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से पूछा, "अगर इंडियन एयरफोर्स में किसी महिला के लिए राफेल लड़ाकू विमान उड़ाना जायज है, तो सेना के लिए जेएजी में ज्यादा महिलाओं को अनुमति देना इतना मुश्किल क्यों है?" 

यह भी पढ़ें: Delhi: गवाहों के पलटने से सुप्रीम कोर्ट ने 6 हत्या आरोपियों को किया बरी, कहा- 'भारी मन से लिया फैसला'

जज के सामने क्या दलील पेश की गई?

बेंच को बताया गया कि दूसरी याचिकाकर्ता त्यागी कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान भारतीय नौसेना में शामिल हो गई थीं. इसके बाद अदालत ने पदों को जेंडर-न्यूट्रल होने का दावा करने के बावजूद महिलाओं के लिए कम पद निर्धारित करने के लिए केंद्र से सवाल किया.

भाटी ने कहा कि सेना में जेएजी ब्रांच सहित महिला अधिकारियों की भर्ती और नियुक्ति इसकी परिचालन तैयारियों को ध्यान में रखते हुए एक प्रगतिशील प्रक्रिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने आगे पूछा कि पदों को जेंडर-न्यूट्रल क्यों कहा गया, जबकि उच्च योग्यता वाली महिला उम्मीदवार योग्य नहीं थीं, क्योंकि रिक्तियां अभी भी लिंग के आधार पर विभाजित हैं. जस्टिस मनमोहन ने कहा कि अगर 10 महिलाएं योग्यता के आधार पर जेएजी के लिए योग्य हैं, तो क्या उन सभी को जेएजी ब्रांच के अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा.

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