जोशीमठ का मामला सरकार समेत अदालतों के लिए भी चिंता का विषय है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई थी. जिसे कि सोमवार को SC ने खारिज कर दिया. मामले पर सुनवाई करते हुए SC की बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि इस मामले को उत्तराखंड हाई कोर्ट के सामने रखें. तीन जजों की बेंच ने कहा कि यह मुद्दा पहले से ही उत्तराखंड हाई कोर्ट में चल रहा है.
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने राहत और पुनर्वास पर जोर दिया था. जजों की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता राहत और पुनर्वास के मुद्दे से संबंधित याचिका को भी हाई कोर्ट में उठाए. SC ने कहा कि अनुच्छेद 226 के तहत HC द्वारा क्षेत्राधिकार की धारणा हो जाने के बाद इस मामले के विशिष्ट प्रावधानों पर विचार किया जा सकता है.
अदालत के सामने रखी गईं ये मांगें
CJI ने कहा याचिकाकर्ता ने प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास और राहत के लिए UoI और राज्य को परमादेश सहित विस्तृत दिशा-निर्देश मांगे हैं. उन्होंने मांग की है कि वर्तमान में जोशीमठ की स्थिति एक राष्ट्रीय आपदा जैसी है और NDRF को सहायता प्रदान करनी चाहिए. याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की कि उत्तराखंड राज्य के लिए बीमा कवरेज और पुनर्वास उपाय दिए जाएं. साथ ही आध्यात्मिक और धार्मिक स्थानों की सुरक्षा के लिए तपोवन परियोजना का निर्माण बंद करने की मांग की गई.
बिगड़ रहे जोशीमठ के हालात
बता दें कि उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते ही जा रहे हैं. भू-धंसाव के चलते तमाम घरों और होटलों में दरारें पड़ गई हैं. प्रशासन प्रभावित इमारतों को जमींदोज करने की तैयारी कर रहा है. लेकिन इसी बीच जोशीमठ में दो और होटलों के एक दूसरे की तरफ झुकने का मामला भी सामने आया.
दो और होटल में देखा गया झुकाव
जानकारी के मुताबिक असुरक्षित घोषित किए गए दो होटलों 'मलारी इन' और 'माउंट व्यू' को ध्वस्त करने की प्रक्रिया अभी भी चल रही थी. इसी बीच साइट से लगभग 100 मीटर की दूरी पर, दो और होटल- स्नो क्रेस्ट और कॉमेट, खतरनाक तरीके से एक-दूसरे की ओर झुके हुए हैं और एहतियात के तौर पर खाली कर दिए गए हैं. यानी कि ये होटल कभी भी एक दूसरे से टकरा सकते हैं.
अनीषा माथुर