'लोग तो जजों को भी ट्रोल करने से बाज नहीं आते...', सुप्रीम कोर्ट की ट्रोल्स पर टिप्पणी

जस्टिस भुइयां ने कहा कि सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग वास्तव में असंवेदनशील और नृशंस है. इससे हर कोई प्रभावित होता है, जज भी ट्रोल किए जाते हैं. हम किसी के पक्ष में आदेश पारित करते हैं, तो दूसरा पक्ष जज और अदालत को ही ट्रोल कर देता है. इसी चर्चा के बीच बेंच की अगुवाई कर रहे जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ऐसे मामलों को अनदेखा करना बेहतर है.

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ट्रोलिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है ट्रोलिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 02 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:29 PM IST

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ट्रोलिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी नाखुशी जताई है. ट्रोलिंग पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब तो वहां जजों को भी नहीं बख्शा जाता है. सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग "नृशंस" है. 

सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि 'असंवेदनशील, गैर-जिम्मेदार लोगों' द्वारा की गई टिप्पणियों को अनदेखा करना सबसे अच्छा है. दरअसल, स्वाति मालीवाल पर अटैक के मामले में आरोपी बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने ये टिप्पणी की.

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जमानत पर रिहाई का आदेश दिए जाने से पहले स्वाति मालीवाल की ओर से पेश वकील ने बेंच के समक्ष ये शिकायत की कि घटना के बाद से ही स्वाति मालीवाल को सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है. इस मामले में अपराध 13 मई को ही समाप्त नहीं हुआ है. बल्कि उसके बाद भी जिस तरह की ट्रोलिंग के जरिए पीड़िता को शर्मिंदा किया जा रहा है, उसकी  मुझे शिकायत दर्ज करानी है. याचिकाकर्ता बिभव कुमार के दोस्त लगातार ट्रोलिंग कर रहे हैं. सोशल मीडिया प्लेटफार्म X,इंस्टाग्राम हर जगह ये सब जारी है.

इस दलील का सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने विरोध करते हुए कहा कि बिभव 'X' का इस्तेमाल नहीं करते हैं. हालांकि बेंच ने स्वाति मालीवाल के वकील की शिकायत पर सहानुभूति जताई. 

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इस पर जस्टिस भुइयां ने कहा कि सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग वास्तव में असंवेदनशील और नृशंस है. इससे हर कोई प्रभावित होता है, जज भी ट्रोल किए जाते हैं. हम किसी के पक्ष में आदेश पारित करते हैं, तो दूसरा पक्ष जज और अदालत को ही ट्रोल कर देता है. इसी चर्चा के बीच बेंच की अगुवाई कर रहे जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ऐसे मामलों को अनदेखा करना बेहतर है. गैर-ज़िम्मेदार लोगों का एक बड़ा वर्ग इसमें सक्रिय है. दुर्भाग्य से उन्हें इस मंच तक पहुंच मिल गई है. वे पूरी तरह से असंवेदनशील, गैर-ज़िम्मेदार हैं. वे अपने कर्तव्यों से अवगत नहीं हैं. लिहाजा ऐसे लोगों और उनकी टिप्पणियों को नज़रअंदाज़ करना होगा. 

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