साल 2016 के बाद से अपने स्वास्थ्य और पारिवारिक कारणों की वजह से मुलायम सिंह यादव की राजनीति और पार्टी में सक्रियता भले ही कम हो गयी हो पर पार्टी के लिए अभिभावक के तौर पर ही बने रहे. मुलायम के समय सक्रिय हुए नेताओं में से कई जहां उनको याद कर भावुक हो रहे हैं वहीं नयी पीढ़ी के कार्यकर्ताओं में उनसे ज़्यादा न मिल पाने का मलाल भी है.
जिन लोगों ने मुलायम सिंह यादव को पहले नेतृत्वकर्ता के रूप में सक्रिय देखा है वो सभी इस बात से परिचित हैं कि मुलायम सिंह यादव अपने कार्यालय में कार्यकर्ताओं से मिलते थे. पार्टी कार्यालय में ये आम बात थी. उसमें कार्यकर्ताओं में वरिष्ठ ही नहीं नए और युवा कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में होते थे. युवा कार्यकर्ताओं को मुलायम अक्सर लोहिया और अन्य समाजवादी विचारकों को पढ़ने की सीख देते थे. पर 2016 के बाद के वो स्वास्थ्य और अन्य कारणों से ऐसा नहीं कर सके.ऐसे में पिछले कुछ समय से सक्रिय युवा कार्यकर्ताओं के लिए नेताजी से हुई एक मुलाक़ात या एक बात भी ख़ास रही. इन कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर मुलायम सिंह यादव की इन यादों को साझा भी किया है.
‘ओए लड़की, फ़ोटो नहीं खिंचवाओगी?’
पार्टी की प्रवक्ता और महिला सभा की सदस्य ज़ेबा यासमीन कहती हैं कि नेताजी से कई बार मिलने का मौक़ा मिला वो हमेशा पढ़ने पर ज़ोर देते थे.मैंने उनकी बातों से प्रभावित होकर लोहिया ट्रस्ट से कई किताबें ख़रीदकर पढ़ीं. पर ज़ेबा मुलायम सिंह यादव के साथ अपनी पहली मुलाक़ात की बात याद करती हैं. ज़ेबा यासमीन 2017 में समाजवादी पार्टी से जुड़ीं. एक सामान्य युवा कार्यकर्ता के तौर कर अखिलेश यादव को अपना रोल मॉडल मानने वाले युवाओं में शामिल ज़ेबा को मुलायम सिंह यादव से अलग से मिलने की उम्मीद भी नहीं थी.
एक दिन युवा और छात्र कार्यकर्ताओं का हुजूम समाजवादी पार्टी कार्यालय पहुँचा.मुलायम सिंह बैठे थे. सब बारी-बारी से मिल रहे थे. ज़ेबा यासमीन उस बात को याद करती हुई कहती हैं कि ‘सब युवा कार्यकर्ताओं की तरह मैं भी उनसे मिली. उस भीड़ में सब आगे नेताजी के साथ फ़ोटो खिंचाना चाहते थे. फिर मैं जाने लगी.अलग से फ़ोटो खिंचवाने की इच्छा थी पर भीड़ बहुत थी. नेताजी का अभिवादन कर वापस मुड़ी ही थी कि नेताजी की आवाज़ पीछे से मुझे सुनाई पड़ी. ओए लड़की, फ़ोटो नहीं खिचवाओगी? ऐसे पढ़ लेते थे नेताजी कार्यकर्ताओं के मन की बात. मैं लौटी और वहां मौजूद फ़ोटोग्राफ़र ने मेरी उनके साथ फ़ोटो खींची.’ ज़ेबा यासमीन ने अपने सोशल मीडिया पर इस फ़ोटो के साथ लिखा है कि नेताजी दूर रहकर भी इस लड़की पर आशीर्वाद बनाए रखिएगा.’
ज़ेबा कहती हैं कि उसके बाद भी कई बार नेताजी से मुलाक़ात हुई.अगर महिला कार्यकर्ता हैं तो उनकी संख्या कम होती है ऐसे में उनको आगे बुलाकर उनको सहज महसूस करवा कर नेता जी अभिभावक होने का परिचय देते थे. ज़ेबा यासमीन कहती हैं कि राजनीति में पार्टी के व्यवस्था के कार्यों में महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुक़ाबले कम होती है. ऐसे में उनको आगे बढ़ा कर इनको अलग से स्थान देकर नेताजी ने अभिभावक की जो भूमिका निभाई वो बहुत मायने रखती है.
'अस्वस्थ थे पर छात्रों से मिले'
इसी तरह की पहली मुलाक़ात की बात समाजवादी पार्टी के स्टूडेंट विंग समाजवादी छात्रसभा के पूर्व सदस्य अभिनय श्रीवास्तव 'सुमित' याद करते हैं. बस्ती जिले के रहने वाले सुमित कहते हैं ‘हम लोग पार्टी में उस समय शामिल हुए जब अखिलेश जी नेतृत्व कर रहे थे. हम लोगों के लिए नेताजी से मिलना ही सपने जैसा था.
पार्टी में काम करते हुए जब 3 साल हो गए तब 2020 में हमने सोचा कि नेताजी से मिलेंगे ज़रूर. नेताजी अस्वस्थ चल रहे थे. मैंने उनके पीएसओ को कई बार फ़ोन किया कि हमको मिलना है. जब उनसे मिलने का समय मिलेगा लखनऊ आ जाएंगे. एक दिन मैं और छात्रसभा के मेरे दो साथी लखनऊ में थे. हमने नेताजी के पीएसओ को फिर फ़ोन किया. उन्होंने हमें बताया कि नेताजी की तबियत ख़राब है. उनसे मुलाकात तभी होगी अगर वो कहेंगे. 2:30 बजे के बाद फोन आया और हमें कहा गया कि नेताजी मिलेंगे. आप आ जाइए.’
अभिनव बताते हैं कि इतने छोटे कार्यकर्ता के बिना किसी वजह के मिलने पर भी उन्होंने सहमति दी थी. हम पहुंचे तो मेरे साथ कई लोग और पहुंच गए. नेताजी ने सबके साथ फोटो खिंचाई. मैं झुका तो मुझे बैठने का इशारा किया. फिर मेरे कंधे पर हाथ रख कर फ़ोटो खिंचाई. ऐसे थे नेताजी हमारे.’अभिनव कहते हैं कि मुझे बाद में उनके स्टाफ ने बताया कि आपकी वजह से कई लोगों से आज नेताजी की मुलाक़ात हो गयी. सुमित कहते हैं ये किसी नेता का अपने कार्यकर्ता के लिए इतना सुलभ होना महत्वपूर्ण है. चाहे वो किसी कार्यकर्ता को व्यक्तिगत रूप से न जानते हों.
'पार्टी के लिए लिखती रहो, सिर पर हाथ रख कर दिया आशीर्वाद'
चाहत मल्होत्रा समाजवादी पार्टी के लिए गीत लिखती और गाती हैं. उनके लिखे कई गीत सपा के कार्यक्रमों और आयोजनों में सुने जा सकते हैं.चाहत 20 साल की हैं और दो साल से पार्टी की सदस्य हैं. चाहत याद करती हुई कहती हैं कि सबसे पहला गीत जो मैंने लिखा था वो नेताजी के जन्मदिन पर उनके लिए ही था. तब मैं पार्टी की सदस्य भी नहीं थी. मैंने उनको अपने लिखे गीत के बारे में बताया तो नेताजी के चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ गए.’
हालाँकि चाहत ये कहती हैं कि नेताजी का इधर स्वास्थ्य ख़राब होने की वजह से उनसे कोई मुलाक़ात नहीं हो पायी. इसके बावजूद पार्टी ऑफ़िस में मैं एक बार गयी तो नेताजी आए हुए थे. किसी ने उनको बताया कि मैं पार्टी के लिए गीत लिखती हूँ. ये सुन कर वो बहुत खुश हुए. कहा लिखती रहो.मैं बग़ल में खड़ी थी. उनका हाथ अपने आप ऊपर उठ गया. मुझे लगा कि वो मुझे आशीर्वाद देना चाहते हैं तो मैंने अपना सिर झुका दिया.उन्होंने मेरे सिर पर हाथ रख कर आशीर्वाद दिया. ये पल मेरे लिए जीवन भर सबसे यादगार पल रहेगा.’चाहत कहती हैं कि नेताजी का योगदान सिर्फ़ पार्टी के लिए ही नहीं, राजनीति के लिए भी हमेशा अमूल्य रहेगा.’
नेताजी ने कहा ‘जेल जाने से मत डरना’
ऐसी ही पहली मुलाक़ात की बात आकाश मालिक याद करते हैं. झाँसी के रहने वाले आकाश मलिक 2017-18 बुंदेलखंड डिग्री कॉलेज (BKD college) के छात्र थे. समाजवादी पार्टी के नेता राहुल सक्सेना के साथ उनका जुड़ाव था. मुलायम सिंह यादव अस्वस्थ थे. पर लखनऊ में पार्टी कार्यालय में छात्रसभा के कार्यकर्ता पहुंचे. वे मुलायम सिंह को देखकर उनसे मुलाक़ात करने और आशीर्वाद लेने पहुंचे.
आकाश मालिक कहते हैं ‘नेताजी ने सबका नाम पूछा सबके बारे में पूछा. मैंने उनको बताया कि छात्रसंघ चुनाव नहीं हो रहे. इसके बाद उन्होंने मुझे कहा कि तुम लोग इसके लिए संघर्ष करो. विरोध प्रदर्शन करना....और ऐसा करने में कभी जेल जाने से मत डरना.’ आकाश कहते हैं कि उनकी ये सीख मेरे लिए आज भी बड़ी सीख है.खुद शीर्ष नेता होकर उन्होंने साफ़ शब्दों में हम जैसे छोटे कार्यकर्ता को बताया कि छात्र हितों के लिए जेल जाने से नहीं पीछे हटना चाहिए.’ आकाश कहते हैं कि यही उनकी विरासत है जो अखिलेश यादव में भी है. वो भी किसी युवा कार्यकर्ता को ऐसे ही बुलाकर हौंसला बढ़ाते हैं.
शिल्पी सेन